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 Tajendra kumar singh

सुपारी की खेती करने का पूरा तरीका,कम लागत और अधिक मुनाफा।Complete way to cultivate betel nut, low cost and more profit

प्रिय किसान भाइयों नमस्कार: किसान बाबा हिंदी न्यूज़ में आप का स्वागत है,इस लेख में हम सुपारी की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं तो आप इस लेख को पूरा अवस्य ही पढ़ें और इसे शेयर भी करें।

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                                  betel nut cultivation

सुपारी की खेती (betel nut farming in hindi)

सामान्य विवरण:-जैसा कि हम देखते हैं कि किसान भाई अक्सर ही आपदा से हुई फसल नष्ट के विषय के बारे में सोचकर परेशान रहते हैं हो भी क्यों ना सारी मेहनत व खर्च पर पानी फिर जाता हैं और एक बहुत ही बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। कभी-कभी कीट आक्रमण से फसल को नुकसान पहुंचता है,जिससे किसान भाइयों को अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। वही किसान भाई सुपारी की खेती को एक वैकल्पिक रूप में देखा जा रहा है।इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय फसल रोपड़ अनुसंधान संस्थान केरल ने किसानों के लिए एक ऐसा तरीका लेकर आये हैं जिसके बाद किसान देश के अन्य क्षेत्रों में भी सुपारी की खेती से कम लागत अधिक पैदावार और मुनाफा कमा सकेंगे।केंद्रीय फसल रोपड़ अनुसंधान द्वारा सुपारी की कई शंकर प्रजातियों को तैयार किया गया है। जिन्हें वैज्ञानिक तरीको से उगाकर किसान भाई अधिक मात्रा में पैदावार प्राप्त कर सकेंगे। इन किस्मों के विकसित होने से फसल में लगने वाले रोगों से छुटकारा भी मिल सकेगा।पिछले कुछ वर्षों में सुपारी की फसल में कोले रोग का प्रकोप अधिक देखने को मिला है।

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कोले रोग एक बहुत ही शक्तिशाली रोग की श्रेणी में रखा गया है।इस रोग में  सुपारी की सम्पूर्ण फसल को नष्ट करने मि क्षमता होती है।इस प्रकार के नुकशान को मद्देनजर रखते हुए शंकर प्रजातियों को विकसित किया गया है। सुपारी की इस प्रकार की किस्म में पौधे की लंबाई कम देखने को मिलेगी। जिस कारण इसमें रोग नाशक रसायनों का बखूबी उपयोग किया जा सकेगा,और पौधे की देखरेख भी भलीभाँति हो सकेगी।ये बोनी किस्में किसानों के लिए अधिक लाभकारी सावित होगीं व हो रही हैं। यह तो आप जानते ही होंगे कि सुपारी का उपयोग पान,गुटखा पान मशाला के रूप में खाने में उपयोग किया जाता है।सुपारी का इस्तेमाल भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा में भी किया जाता हैं,सुपारी का उपयोग हिंदू समाज में पूजा में भी किया जाता है।बाजार में सुपारी का भाव अधिक रहता है,जिससे किसान भाई इसकी खेती से अधिक लाभ कमा पाते हैं।यदि आप भी एक किसान है और कुछ अलग करना चाहते हैं तो आप एक बार सुपारी की खेती में किस्मत अजमा कर अवस्य देखें आप अधिक मुनाफा अर्जित कर पाएंगे।इस लेख में हम सुपारी की खेती कैसे करें के विषय में जानकारी दे रहे हैं।

'सुपारी की खेती कैसे करें'

सुपारी के फायदे (benefits of betel nut)

सामान्य तौर पर सुपारी को पान मसाले के रूप में खाने के लिए प्रयोग किया जाता है।किन्तु हिन्दू मान्यताओं में सुपारी को पूजा में भी उपयोग किया जाता है।इसके अलावा सुपारी में औषधीय गुण भी पाए जाते हैं,जो कई रोगों के इलाज में काम आती है।नीचे आप को सुपारी के कुछ फायदे के बारे में बताया जा रहा है।

(A)-उल्टी को रोकने में असरदार:-यदि आप की तवियत खराब होने के चलते आप को उल्टियां आ रही हैं तो आप को सुपारी का सेवन अवस्य करना चाहिए।इसे इस्तेमाल के लिए हल्दी व चीन के साथ सुपारी को मिलाकर पीने से उल्टी की समस्या दूर की जा सकती है।वही शरीर में चोट लगने के कारण घाव हो गया है तो सुपारी को पीसकर उस घाव में लगाने से घाव शीघ्र ही अच्छा हो जाता है।

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(B)-पेट में समस्या होने पर:-सुपारी का सेवन पेट रोग के लिए भी फायदेमंद होता है।पेट में कीड़े होने पर सुपारी का कड़ा बनाकर उसका सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।इसके लिए छाछ में 3 ग्राम सुपारी की मात्रा को मिलाकर छाछ के साथ उपयोग करने पर पेट के रोग ठीक हो जाते हैं।दस्त लगने पर हरी सुपारी को धीमी आग पर पकाकर खाने से दस्त की समस्या जल्दी ठीक हो जाती है।

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                                betel nut cultivation

(C)-आंखों की लालिमा को दूर करने के लिए:-सुपारी का उपयोग आंखों के लिए भी फायदेमंद होती है।इसके लिए नींबू के रस में सुपारी को पीसकर मिक्सर तैयार करें,इसके बाद इस मिश्रण को अपनी आंख में डालें।आप की आंख की लालिमा में आराम मिलेगा।

(D)-दाँतों की समस्या के लिए:-सुपारी को पीसकर उसका चूर्ण बना लें,इस चूर्ण से अपने दांतों की सफाई करें।इसके नियमित उपयोग करने से दाँत का दर्द और दांत के अन्य रोग दूर हो जाते हैं।

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        विश्व में सुपारी का उत्पादन

विश्व में सुपारी उत्पादन में भारत पहले स्थान पर आता है।सीपीसीआई के द्वारा प्राप्त आंकड़ों के आधार पर लगभग 930 हजार हेक्टेयर खेत में 130 हजार टन सुपारी का उत्पादन पूरी दुनिया में होता है।अकेले भारत में सम्पूर्ण विश्व का 49% क्षेत्र से तकरीबन 45 % सुपारी का उत्पादन होता है।जो कि 630 टन सुपारी उत्पादन के साथ शेष सभी देशों से अधिक बनता है।इसके बाद 185 टन सुपारी उत्पादन के साथ इंडोनेशिया दूसरे स्थान पर आता है। इसके बाद चीन 135 टन के साथ तीसरे स्थान पर और 122 टन उत्पादन के साथ म्यांमार का 4 स्थान है।'सुपारी की खेती करने का तरीका'

1-सुपारी की खेती के लिए उपयुक्त भूमि:-सुपारी की खेती किसी भी प्रकार की भूमि में आसानी से की जा सकती है।जैविक गुणवत्तापूर्ण दोमट चिकनी मिट्टी में सुपारी का अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।सुपारी की खेती के लिए मिट्टी का ph मान 7 से 8 के मध्य होना उत्तम माना जाता है।भूमध्य रेखा 28℃ उत्तर में और 28 ℃ खेती दक्षिण भागों में उगाना अच्छा रहता है।

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2-सुपारी की उन्नत किस्में:-किसान भाइयों जैसा कि अन्य फसलों मि भांति सुपारी की अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्मों के होना आवश्यक है,यहां कुछ सुपारी की उन्नत किस्मों की जानकारी दी जा रही है

●-हिरेहल्ली बोना

●श्री मंगला

●सुमंगला

●मंगला

●मोहित

3-सुपारी के खेत को तैयार करना:-सुपारी की खेती के लिए भरभूरी मिट्टी का होना आवश्यक है।इसके लिए खेत से खरपतवार निकालकर अच्छे से साफ-सफाई करने के बाद खेत को 2 बार गहरी जुताई कर दें।जुताई के बाद खेत में पानी लगाकर 10 से 12 दिनों के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दें।पानी व मिट्टी सूखने के बाद रोटावेटर से जुताई करदें,जिससे खेत की मिट्टी भरभूरी हो जाएगी।अब इसके बाद खेत में पाटा लगाकर मिट्टी को समतल कर दें।इसके बाद सुपारी के पौधों की रोपाई के लिए 2.5 × 2.5 मीटर की दूरी पर पन्तियों में गड्ढे तैयार करे लें।इन गद्दों का व्यास 80×80×80 सेमी आकार के हों।अब इन गद्दों में सुपारी के पौधों को लगाएं।

4-सुपारी की खेती में खाद एवं उर्बरक:-जब सुपारी के पौधे जब पाँच वर्ष या उससे अधिक पुराने हो चुके हो तब 10 से 20 किलो पुरानी सड़ी गोबर की खाद प्रत्येक पौधे की जड़ों में डालें।इस खाद के अलावा उर्बरक के रूप में फास्फोरस 45 ग्राम,नाइट्रोजन 100 ग्राम, पोटाश 130 ग्राम की मात्रा प्रति पौधे के हिसाब से खेत में डालें। उपरोक्त खाद को जनवरी से फरवरी माह में देनी चाहिए। इससे पौधे की वृद्धि लगातार होती रहती हैं और इसका लाभ किसानों को अधिक समय तक प्राप्त होता रहता है।

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5-सुपारी के खेत में पौधा रोपड़:-सुपारी के पौधों की रोपाई बीज से नर्सरी तैयार करने के बाद की जाती है।इसके लिए बीजों को क्यारियों में तैयार कर लिया जाता है। इसके बाद इन पौधों को नर्सरी से निकाल कर खेत में स्थापित कर दिया जाता है।ध्यान रहे कि नर्सरी 15 से 18 माह पुरानी होनी चाहिए। पौधों को खेत में रोपाई के लिए खेत की जुताई कर जल निकासी के लिए नालियां अवस्य ही बनानी चाहिए। इस के बाद पन्तियों में गड्ढे खोद और उसमें गोबर की खाद के साथ कम्पोस्ट व मिट्टी से गड्ढे को पूरा भर दें।पौधों को खेत में जून से जुलाई माह में अवस्य ही रोपाई कर देनी चाहिए।

'सुपारी की खेती कहाँ होती है।'

6-सुपारी के खेत की सिचाई व खरपतवार:-सुपारी की फसल में खरपतवार नियंत्रण निराई,गुड़ाई कर की जाती है।इसके पौधों को वर्ष में कम से कम दो निराई अवस्य ही कर देनी चाहिए।इसके अलावा पौधों को विशेष सिचाई की आवश्यकता नहीं होती है। पौधों की सिचाई के लिए अक्टूबर से फरवरी माह के मध्य वही मार्च से मई माह के समय हफ्ता में एक बार सिचाई की जानी चाहिए।

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                                betel nut cultivation in india

7-सुपारी का बाजार:-सुपारी के पौधों से फसल उत्पादन प्राप्त होने में पाँच वर्ष का समय लग जाता है। इसके फसल की तुडाई फल को तीन चौथाई पक जाने पर करना चाहिए।सुपाई का बाजारी रेट भी काफी अच्छा रहता है,जो 450 से शुरू होकर 650 तक जाता है। जो किसान भाई सुपारी की खेती करने का मन बना रहे हैं तो आप एक अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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