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सौंफ की खेती कैसे करें?पूरी जानकारी यहाँ प्राप्त करें 

How To Cultivate Fennel? Get Full Information Here।

सौंफ की खेती कैसे करें
                                                    सौंफ की उन्नत खरती

नमस्कार दोस्तो: किसान बाबा हिंदी न्यूज़ में आप का स्वागत है। आज के इस लेख के माध्यम से सौंफ की उन्नत खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जाएगी,यदि आप सौंफ की खेती करना चाहते हैं तो आप सही आये हैं बस बने रहिये हमारे साथ और ब्लॉग को पूरा अवस्य पढ़ें।

सौंफ की खेती कैसे करें?

सौंफ की सामान्य जानकारी:-भारत में सौंफ मशाले की एक प्रमुख फसल है। सौंफ का उपयोग आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी वर्षों से किया जा रहा है।सौंफ के दाने आकार में पतले छोटे व हरे रंग के होते हैं।इस का उपयोग आचार में व सब्जी का स्वाद बढ़ाने में किया जाता है। सौंफ एक वायु नाशक औषधि है।भारत में इसे कई नामों से जाना जाता है।

सौंफ एक बहुत ही महंगी और महत्वपूर्ण फसल है।इससे प्राप्त तेल भी प्रयोग में लिया जाता है। भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा,राजस्थान, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, और गुजरात राज्यों में कई जाती है।

सौंफ की खेती कैसे करें?

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सौंफ की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु:-सौफ की अच्छी पैदावार के लिए शुष्क व शीत जलवायु उत्तम रहती है। बीज के अंकुरण के समय तापमान 15℃ से 22℃ व फसल की अच्छी ग्रोथ के लिए 20℃ तक का तापमान अच्छा रहता है,इससे अधिक तापमान पौधों के ग्रोथ को प्रभावित करता है। फसल के पकाव अवधि कर समय हवा में नमी व बेमौसम बरसात से इसकी फसल में रोग व कीट की सम्भावना बाद जाती है।

2-सौंफ की खेती के लिए भूमि का चयन:-मिट्टी में उपस्थित सभी जैविक तत्वों वाली बलुआ मिट्टी को छोड़कर सभी प्रकार की बूमी में इसकी खेती की जा सकती है। सौंफ की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली भूमि उत्तम रहती है,वही अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का ph मां 7 से 8 के बीच होना चाहिये।सौंफ की खेती कैसे करें?

3-सौंफ की खेती के लिए भूमि की तैयारी:-फसल की अच्छी पैदावार के लिए खेत की जुताई की अहम भूमिका होती है ,वही सौंफ की खेती के लिए 1 से 2 जुताई मिट्टी पलटने बाले हल से की जानी चाहिए। इस जुताई के बाद 1 जुताई रोटावेटर से करनी होती है जिससे खेत मि मिट्टी भुरभुरी हो जानी चाहिए, खेत में पाटा चलाकर खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए।खेत में खरपतवार को बाहर निकालने के बाद सुविधानुसार क्यारियां बना लेनी होती हैं इसा करने से सौंफ की पैदावार में वृद्धि देखने को मिलती है।

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4-सौंफ की उन्नत किस्में:-फसल की अच्छी पैदावार लेने के लिए जरूरी है कि बीज उन्नत किस्म का ही होना चाहिए, तभी आप को मुनाफा मिल सकता है।किस्म का चयन करते समय क्षेत्र में प्रचलित और अधिक पैदावार देने वाली होनी चाहिए। कुछ किस्मों की जानकारी दी जा रही है जो इस प्रकार से है--सौंफ की खेती कैसे करें?

पी.एफ-35, गुजरात सौंफ -1,आर एफ 105,गुजरात सौंफ-11,आरएफ101,इनआरसी इसइसएफ-1,चंद्राणी सौंफ 80, किस्में प्रमुख हैं। इन किस्मों से बोवाई कर किसान भाई अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।

सौंफ की खेती कैसे करें
                                                         सौंफ की खेती कैसे करें

5-सौंफ की बोवाई का उचित समय:-सौंफ को पकने में अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक समय लगता है.

9-सौंफ के खेत में खाद व उर्बरक:-यदि खेत में पहले से जुताई के समय गोबर की खाद डाली गई है तो अतिरिक्त खाद की आवश्यकता नहीं है। अन्यथा गोबर की सड़ी हुई6 6 से 7 टन खाद खेत में बिखेर कर मिट्टी में मिला देनी चाहिए। इसके अलावा 40 किलो नत्रजन 30 किलो फास्फोरस 20 किलो पोटाश प्रति एकड़ खेत में देना चाहिए। यूरिया को दो बार खेत में पहले 60 दिन पर दूसरी बार 90 दिन पर खड़ी फसल में देनी चाहिए।

सौंफ की खेती कैसे करें
                                                  सौंफ की खेती कैसे करें

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10-सौंफ के खेत की सिचाई व्यवस्था:-सौंफ के खेत को सिचाई की अधिक आवश्यकता नहीं होती।यदि प्रारम्भ में मिट्टी में नमी की मात्रा कम है तो बोवाई के बाद हल्की सिचाई कर देनी चाहिए सिचाई करते समय ध्यान देना चाहिए कि पानी का बहाव तीब्र नहीं होना चाहिए। अन्यथा बीज एक स्थान पर इकट्ठे हो सकते हैं। एक बार सिचाई करने के बाद दूसरी सिचाई 12 से 15 दिनों के बाद करनी चाहिए।सौंफ की खेती कैसे करें?

सौंफ को औसतन 5 से 6 सिचाई की आवश्यकता होती है।

11-खरपतवार नियंत्रण:-अन्य फसलों की भांति सौंफ की फसल की वृद्धि धीमी गति से होती है इसलिए खरपतवारों से पोषक तत्वों,पानी स्थान प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा रहती है। फसल में इन खरपतवारों से हानि से बचने के लिए कम से कम 2 से 3 बार निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए।पहली निराई 25 से 30 दिन बाद व दूसरी निराई 60 दिन बाद कर देनी चाहिए।निराई गुड़ाई के समय अति पास पौधों को निकाल देने चाहिए।

वही रासायनिक से खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडमेथालिन 1.0 किलोग्राम सक्रिय तत्व अंकुरण से पूर्व 700 लीटर पानी में घोल कर पूरे खेत में स्प्रे करना चाहिए। सौंफ की फसल में बोवाई से 1 व 2 दिन बाद 30 से 35 ग्राम प्रति एकड़ ऑक्सीडायजील का उपयोग खरपतवारों में लाभदायक रहता है इससे खेत में खरपतवार पा नियंत्रण किया जा सकता है।

12-सौंफ की फसल में रोग व उपचार:-अक्सर यह देखा गया है सभी प्रकार की फसल में रोग का प्रकोप तो देखने को मिलता है यदि इन रोगों पर नियंत्रण नहीं किया गया तो फसल नष्ट हो जाती है इसका खामियाजा किसान भाइयों को उठाना पड़ता है यहां कुछ रोगों के बारे में बताया गया है जो इस प्रकार हैं--

सौंफ की खेती कैसे करें
                                                    सौंफ की खेती कैसे करें

(A)-पाउडरी रोग:-इस प्रकार का रोग सौंफ के खेत में मौसम परिवर्तन के समय देखने को मिलता है इस रोग का प्रकोप मार्च के महीने में अधिक रहता है। इस रोग के लगने पर पौधों पर सफेद पाउडर देखने को मिलता है।

उपचार:-इस रोग के नियंत्रण के लिए 10 से 12 किलोग्राम गन्धक चूर्ण का बुर्काव प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए।यदि जरूरत पड़ने पर दुबारा 15 से 20 दिनों के बाद दोहराया जा सकता है।

(B)-कॉलर रॉट:-सौंफ के खेत में इस किस्म का रोग उन क्षेत्रों में अधिक नजर आता है जहां खेत में पानी का ठहराव अधिक रहता है। इस रिग से प्रभावित पौधे का जड़ से ऊपर का भाग में सदन सुरू हो जाती है तथा बाद में पौधे मर जाते हैं।

उपचार:-इस रोग के रोकथाम के लिए 1% बोर्डो मिश्रण 3:3:50 के छिड़काव से रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है।ध्यान रहे इस समय खेत में पानी का ठहराव नहीं होना चाहिए।

13-फसल को अधिक पाले से बचाव:-सौफ के पौधे लम्बे अवधि के पाला पड़ने से फसल को नुकसान होता है इसे पाले से बचाव करना चाहिए।फसल को पाले से बचाने ले लिए खेत की हल्की सिचाई करनी चाहिए। वही मध्य रात्र में खेत में धुंआ करने से भी फसल को पाले से बचाया जा सकता है। पौधों पर फूल आने के बाद गन्धक के अमल का 1 प्रतिशत घोल छिड़कने से पाले से बचाव होता है।

14-सौंफ के फसल की कटाई:-सौंफ समय अवधि के दौरान फसल पीली पड़ जाती है इस अवस्था में पौधों को लकड़ी के बाद को अलग कर लेना होता है इसके बाद इसे अच्छी तरह सूखा लेने के बाद हाथ की मदद से इन्हें दानों को अलग किया जा सकता है व भण्डार कर इसे शुरक्षित कर बाजार में बेचा जा सकता है।

15-एक एकड़ खेत से पैदावार:-कृषि से सम्बंधित वैज्ञानिक विधियों को अपना कर औसतन 7 से 8 कुंतल प्रति एकड़ की पैदावार प्राप्त हो जाती है।


किसान बाबा हिंदी न्यूज़


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