Header Ads Widget

 यहां जाने अरहर की उन्नत खेती करने का तरीका।

Know here how to do advanced cultivation of tur.

नमस्कार दोस्तों किसान बाबा हिंदी न्यूज़ आप का स्वागत है ,आज के इस ब्लॉग में हम अरहर की उन्नत खेती के विषय में बात करने वाले हैं जैसे खेत में कौन सी खाद कब डालें कौन सा बीज बोने चाहिए ,निराई गुड़ाई से लेकर फसल की कटाई तक का सबकुछ बताया जाएगा तो आप ब्लॉग को पूरा अवस्य पढ़ें तो चलो शुरू करें।

अरहर-की-उन्नत-खेती-करने-का-तरीका
                                                    अरहर की उन्नत खेती का तरीका

मानव शरीर के लिए प्रोटीन का एक विशेष महत्व होता है। वही यदि शरीर को पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिलने से शरीर थका थका से महसूरी होता है। शरीर का उचित विकास नहीं हो पाता। शरीर की वृद्धि रुक जाती है। अरहर की दाल प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। भारत में अरहर को तूर, नाम से भी जाना जाता है।अरहर की दाल में 22% तक प्रोटीन पाया जाता है।

अरहर की दाल का इतिहास:-भारत में अरहर की खेती 3000 वर्ष पहले से होती आ रही है।अफ्रीका के जंगलों में अरहर के पौधे पाये जाते हैं।अरहर की दाल का उदगम स्थल अफ्रीका को ही माना जाता है। ऐसा अनुमान है कि अफ्रीका से ही इसे भारत में लाया गया होगा।

यह पूर्वी उत्तरी भारत की दलहन की प्रमुख फसल है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राज्यों में प्रमुखता से की जाने वाली दलहन फसल है। अरहर की खेती उत्तर प्रदेश में 25 लाख एकड़ में बोवाई की जाती है। "अरहर की उन्नत खेती करने का तरीका"यह जानकारी यहाँ दी जा रही है।

1-अरहर की खेती के लिए उचित जलवायु:इसकी खेती शुष्क जलवायु में अच्छी की जा सकती है जहां मिट्टी में नमी की मात्रा बनी रहे। नमी वाली मिट्टी में इसके फल फूल कन्द का विकास अच्छे से होता है। जहां वर्षा औसतन 200 सेंटीमीटर होती हैं तो ऐसे स्थानों पर अरहर की खेती करने से बचना चाहिए। इसकी खेती के लिए औसतन वर्षा 80 से 120 सेंटीमीटर के मध्य वाले स्थानों में आसानी से की जा सकती है।

2-अरहर की खेती के लिए भूमि का चयन करना :-यदि आप इसकी अच्छी पैदावार लेना चहाते हैं तो उचित भूमि का चुनाव करना आप के लिए अति आवश्यक हो जाता है। इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी, चिकनी मिट्टी,चिकनी दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त रहती है। जिस भूमि में आप खेती करना चाहते हैं उस भूमि में जल भराव नहीं होना चाहिए। इसके अलावा काली मृदा वाले भू भाग में इसकी खेती की जा सकती है।

3-अरहर बोवाई के लिए खेत तैयार करना:-किसी भी फसल की बोवाई करने से पहले खेत को अच्छे से जुताई कर लेना आवश्यक होता है। सबसे पहले खेत को एक बार डिस्क हैरो से जुताई करने के बाद 2बार कल्टीवेटर से जोतना चाहिए। खेत में जुताई कर देने के बाद कुछ दिनों के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दें इससे फायदा यह होगा कि मिट्टी में छिपे हानिकारक किट धूप से नष्ट हो जाते हैं और हमारे बीज को कोई नुकसान नहीं होगा। अरहर की उन्नत खेती करने का तरीका"ऐसा करने के बाद खेत में गोबर की सडी खाद विखेत कर पानी (पलेवा) लगा दें मिट्टी सफेद होने पर अच्छी तरह से खेत की जुताई कर देनी चाहिए।

4-अरहर की खेती के लिए उन्नत किस्में:-

फसल की उम्मीद पैदावार के लिए उसके अच्छे किस्म का बीज का होना बहुत ही जरूरी होता है। यहां कुछ किस्मों की जानकारी दी जा रही है जो इस प्रकार है--

A-पूसा-992 अरहर की किस्म:-अरहर की यह जल्दी बोई जाने वाली किस्म है। इस किस्म को खेत में बोवाई का उचित समय जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक का उचित रहता है। यह किस्म 140 से 160 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यदि पैदावार की बात जी जाए तो प्रति एकड़ 10 से 11 कुन्तल की उपज प्राप्त की जा सकती है।

B-UPS-120-अरहर की यह किस्म सभी किस्म की मिट्टी में उगाई जा सकती है। इस किस्म की बोवाई का उचित समय जून के प्रथम सप्ताह में का है इस समय तक खेत में बोनी अवस्य कर देनी चाहिए। यह किस्म अतिशीघ्र तैयार होने वाली फसल है। इस कि फसल 140 से 145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। पैदावार में प्रति एकड़ 12 से 13 कुन्तल तक प्राप्त की जा सकती है।

C-पारस-अरहर की किस्म:- अरहर की यह किस्म एक अगैती किस्मों में गिनती की जाती है।यह उत्तर प्रदेश की गंगा की तराई के लिए उपयुक्त किस्म है। इस किस्म की बोवाई जून से जुलाई में अवस्य कर देना चाहिए। अरहर की यह किस्म 135 से 145 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। यह किस्म प्रति एकड़ के हिसाब से 9 से 10 कुन्तल पैदावार की जा सकती है।

5-देर से पकने वाली किस्में:-सभी फसलोंन में पिछैती किस्में भी होती हैं जिन्हें देर से बोन के बाद भी अच्छी पैदावार ले सकते हैं।  अरहर की यह किस्में का पकाव अवधि 260 से 280 दिनों का समय लगता है। जल्दी पकने वाली किस्मों की तुलना में इस किस्मों में अधिक समय लगता है। वही इन किस्मों की पैदावार भी अपेछकृत अधिक प्राप्त होती है। इन किस्मों से किसान 24 से 28 कुन्तल तक कि पैदावार आसानी से ले।सकते हैं।

6-देर से बोवाई की किस्में:-अरहर की देर से बोवाई व देर से पकने वाली किस्में है जो रोगों का भी प्रकोप कम देखने को मिलता है और पैदावार भी अच्छी प्राप्त होती है कुछ प्रमुख किस्में निम्न प्रकार से हैं 

मालवीय चमत्कार,बहार,नरेंद्र अरहर-1, आजाद,नरेंद्र बहार-2,अमर,

Aमालवीय चमत्कार:-अरहर की यह किस्म देर से पकने वाली किस्म है इस किस्म में रोगों का प्रकोप कम देखने को मिलता है। इस किस्म का पकाव अवधि 250 दिनों की होती है और पैदावार प्रति एकड़ 12 कुन्तल की मिल जाती है

B -बहार:-अरहर की यह किस्म 265 दिन की होती है। यह एक देर से पकने वाली किस्म है। और पैदावार 13 कुन्तल प्रति एकड़ की मिल जाती है। पैदावार के हिसाब से यह किस्म उत्तर प्रदेश में प्रथम स्थान पर रहती है।

7-खेत बोवाई का उचित समय:-यदि आप चाहते हो कि अरहर की फसल की अच्छी पैदावार मिले तो आप को पुरानी परम्परागत तरीकों को भुना कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाना होगा। अरहर की अगैती  व सिंचित क्षेत्रों में 20 जून तक का समय उचित रहता है।वहीं देर से पकने वाली किस्में जुलाई के अंतिम सप्ताह तक अवस्य कर लेना चाहिए।

समय से बोवाई करने के फायदे:-फसल को अगैती बोवाई करने से किसानों को कई फायदे भी मिल जाते है जो निम्न हैं-

●अरहर की जल्दी बोन बाली फसल नवम्बर में पककर तैयार हो जाती है किस्से किसानों को गेंहूँ की बोनी करने का समय मिल जाता है

●जून में बोवाई जाने वाली फसल व बाद में बोवाई की जाने वाली फसल से कहीं ज्यादा प्राप्त होती है।

8-बोन से पहले बीजों को उपचारित करना:-बीज को बोन से पहले उसे उपचारित किया जाना आवश्यक होता है ऐसा करने से खेत में बीज सुरक्षित रहता है।उपचारित करने के लिए 2 किलो बीज को 4 ग्राम थीमर व 2 ग्राम कार्बेंडाजीम के मिश्रण में उपचारित अवस्य कर लेना चाहिए। जब बीज अच्छे से उपचारित कर लें तो उन बीजों को तुरंत खेत में बोवाई कर देना चाहिए।"अरहर की उन्नत खेती करने का तरीका"

9-अरहर के खेत में बीज बोने का तरीका:-जिस खेत में आप अरहर को बोन का प्लान कर रहे हैं उस खेत की अच्छे से तैयार हो जाने व उचित मौसम का अनुमान लगाने और सहीं प्रजाति का अवस्य ध्यान रखा जाना चाहिए। खेत में बीज को ढलने से पहले बीज से बीज के बीच उचित दूरी का भी ध्यान रखना चाहिए। खेत में बीज बोन मि मात्रा 12 से 14 किलो और लेट बोन वाली किस्मों के लिए 15 से 18 किलो प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। बोवाई करते समय बीज से बीज के बीच की डायरी 15 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन के बीच की दूरी 50 सेंटीमीटर की रखनी चाहिए इस तरह बोन से फसल में खरपतवारों को निकालने व पैदावार भी उम्दा देखने को मिलेगी।

10-अरहर के खेत में खाद और उर्बरक कि उचित मात्रा:-प्रत्येक किसान का सपना होता है कि हमारी फसल अच्छी हो पैदावार में बढ़ोतरी हो तो इसके लिए आप 10 से 12 कुन्तल नत्रजन,50 किलो फास्फोरस,15 किलो सल्फर खेत में अंतिम जुताई पर डालना आवश्यक है।

वही सिंगल सुपरफास्फेट 100 किलो प्रति एकड़ या 50 किलो डाई अमोनियाँ फास्फेट तथा 18 किलो  बोवाई के समय लाइनों में बुर्काव करना चाहिए।

11-अरहर के खेत मि सिचाई:-अरहर की फसल को असिंचित होने की अवस्था में बोवाई की जाती है हो वर्षा ना होने की स्थिति में सिचाई की जानी चाहिए। जैसे पुष्प बनने से पहले,फली आने के समय,और अकाव के समय उचित सिचाई करते रहना चाहिए।

12-खरपतवारों पर नियंत्रण करना:-खेत में अरहर बोवाई के 50 दिनों के बाद खेत में खरपतवार निकलने और उपचार न करने से फसल प्रभावित होती है। इसलिये फसल को खरपतवारों के प्रकोप से बचाने के लिए 25 से 30 दिन होने पर खेत में खुरपी से निराई गुड़ाई अवस्य करनी चाहिए। वही जब फसल 50 दिन की होने पर दूसरी निराई गुड़ाई कर देनी चाहिए ऐसा करते रहने से खेत में खरपतवारों पर नियंत्रण किया जा सकता है।

               अरहर की उन्नत खेती का तरीका

"अरहर की उन्नत खेती करने का तरीका"

13-अरहर मि फसल की कटाई का उचित समय:-जब फसल पककर तैयार हो जाती है तब उसकी फलियां हल्के सफेद रंग मि देखने लगतीं हैं और पौधे के पत्ते सूख कर नीचे गिरने लगने  दाने में नमी की मात्रा 90 प्रतिशत सूख जाने की अवस्था में इसकी कटाई आरम्भ कर देनी चाहिए। कटे हुए पौधों को खेत में ही 5 से 6 दिन के लिए छोड़ दें जिससे पौधों की नमी न रहे अब इन्हें गठ्ठार में बांध कर एक स्थान पर इकट्ठा करदे इन्हें हाथों की सहायता से दानों मो फलियों से अलग कर पैकेट में भर कर भंडारण कर लिया जाता है।"अरहर की उन्नत खेती करने का तरीका"

14-एक एक्स खेत से अरहर की पैदावार:-यदि किसान भाई वैज्ञानिक तरीके व अच्छी देखरेख में खेती करते हैं तो एक एकड़ खेत में अरहर की पैदावार 8 से 10 कुन्तल डाल, 25 से 30कुन्तल सूखी लकड़ी 7 से 8 कुन्तल सूखा भूसा प्राप्त होता है। बाजार में अरहर का भाव 60 से 70 रु किलो का रहता है वही इसकी तैयार डाल की कीमत 80 से 90 रु प्रति किलो तक मिल जाता है। किसान भाई बाजार में इसे बेच का अच्छा मुनाफा कमा सकते है और भूसे को भी बेचकर अतिरिक्त मुनाफा अर्जित किया जा सकता है जिससे इसकी लागत निकल जाती है।

किसान बाबा हिंदी न्यूज़

प्रिय किसान भाइयों यह जानकारी केवल सूचनार्थ है,इसके लाभ-हानि का उत्तरदायित्व स्वयं आप का होगा।

प्रिय पाठकों मुझे उम्मीद है कि आप को यह ब्लॉग पसन्द आया होगा तो इसे शेयर अवस्य करें ताकि जरूरतमंदों तक पहुँच सके और कमेंट बॉक्स में कमेंट करना ना भूलें ऐसी ही खेती से सम्बंधित जानकारी के लिए हमसे जुड़ें, हमारा पता है--

Babahindikisan.blogspot.com/ एक बार विजिट अवस्य करें




Post a Comment