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नमस्कार दोस्तों :किसान बाबा हिंदी न्यूज़ में एक बार
फिर आप का स्वागत है। आज के इस लेख के
 माध्यम से हम आप को चंदन की खेती के विषय में जानकारी देने वाले हैं जिसमें चंदन की खेती कैसे की जाए,चंदन के पौधे कहाँ मिलेगें,लागत क्या रहेगी इस सब प्रश्नों के जबाव आप को यहां मिलने वाले हैं तो बने रहिये हमारे साथ और ब्लॉग को पूरा अवस्य पढ़ें 
ऐसे-करे-चंदन-की-खेती-यहां-किलेगी-पूरी-जानकारी
                                       चंदन की खेती की जानकारी
1-ऐसे करें चंदन की खेती और कमाये मोटा मुनाफा:-भारत में चंदन सदियों के स्तेमाल की जाने वाली सामिग्री में से एक है। यह एक सदाबहार वृक्ष है जो उपयोगी होने के साथ-साथ मूल्यवान भी है। इस पेड़ की लंबाई चौड़ाई 100 से 150 सेंटीमीटर और ऊँचाई 10 से 15 मीटर के मध्य देखने को मिलती है।इसका सांस्कृतिक महत्व व व्यावसायिक तथा औषधीय महत्व भी है। भारत में इसे श्रीगंध के नाम से भी जाना जाता है।भारत में चंदन की खेती पर प्रतिबंध था जी इसके बढ़ते मांग के करण इसकी कालाबाजारी को देखते हुए प्रतिबंध  लिए गए। चन्दन की खेती करने के लिए अपने राज्य में कृषि विभाग से सम्पर्क कर अधिक जानकारी प्राप्त करें। भारतीय पौराणिक कथाओं में चंदन का बहुत महत्व है। जहां इसका उपयोग जन्म से लेकर दाहसंस्कार तक में किया जाता है। वही चन्दन के तेल का व्यावसायिक दृष्टि से भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है,इससे सौंदर्य प्रसाधनों से लेकर मेडिसन में भी होता है। इसके तेल से इत्र, साबुन, में भी प्रयोग किया जा रहा है।

वही चन्दन की खेती में मुनाफा बहुत अधिक है। वैसे चंदन के वृक्ष को प्राकृतिक रूप से उगाये गए पौधे को पूर्ण रूप से तैयार होने में लगभग 25 वर्षों का समय लगता है। यदि किसान जैविक तरीके से खेती करते है तो यह समय जीतकर 10 वर्ष का हो जाता है।भारत मे उगाये जाने वाले चंदन के रंगों में मिलता है लाल व सफेद।
चन्दन की खेती में हार्डवुड, छाल, तेल आवश्यक मुख्य भाग है इससे पत्तों को पशुओं के चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है।भारत में अधिकांश चंदन की खेती गुजरात,तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेस, विहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र राज्यों में सफलता पूर्वक की जा रही है।
2-भारत में चंदन के अन्य नाम:-संताल्लुम एल्बम,सफेद चंदन,चंदन, शिरिगंधा,अरिष्ट फलम,सर्पवास,चंद्रकांता,चंद्रहास,अनिंदिता प्रमुख उप नाम है जो भारत में प्रचिलित हैं।
3-चंदन की अच्छी किस्में:-जैसा कि भारत में चन्दन की कई प्रजातियां मौजूद हैं जिनमें ज्यादातर भारतीय चंदन,ऑस्टेलियाई चंदन प्रमुख रूप से उगायी जाने वाली किस्में  जबकि विश्व भर में इसकी 15 से ज्यादा किस्में उपलब्ध हैं।

4:-चन्दन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु:-चंदन एक सदाबाहर पौधा हैं इसकी अच्छी उपज के लिए गर्म और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है। वही इसको बढ़ने के लिए उत्तम तापमान 15% से 35% के बीच होना चाहिए।

5-चंदन की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी:-चंदन की पौधों को उस मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है जहां कार्बनिक पदार्थ की उपयोगिता अच्छी अवस्था में मौजूद हो। इसकी अच्छी उपज के लिए लाल दोमट रेतीली मिट्टी इसके उत्तम विकास के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। यदि किसान भाई इसकी व्यावसायिक खेती करना चाहते हैं यह ध्यान रखें की मिट्टी को परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में परीक्षण अवस्य कराएं। परीक्षण परिणामों के आधार पर ही पोषक तत्व की आवश्यकता की पूर्ति की । चंदन की खेती के लिए ph मां 6.5 से 7  के मध्य होना चाहिए।

6-चन्दन के पौधे लगाने की विधि:-चन्दन के पौधे वर्षा ऋतु में लगाये जाते हैं।आमतौर पर 20 से 25 वर्ष पुराने वृक्ष के बीजों को ही बोवाई के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए ये सबसे उत्तम रहते हैं। बाजों को बोवाई से पहले अच्छी तरह सूख लेना चाहिए। सुख जाने के बाद बीजों को उपचारित अवस्य करें। नर्सरी को करने के लिए बैड की व्यवस्था की जानी चाहिए। नर्सरी बैड पर उगाये जाने बवाल सहायक पौधों को 6 से 7 महीने के 35 से 40 सेंटीमीटर के होने पर रोपाई के लिए उपयुक्त होते हैं।
पौधों को लगाने के लिए 40×40 के गड्ढे खोद लेना होता है। ये गड्ढे भूमि की तैयारी के समय खेद लेना चाहिए। पौधे से पौधे की दूरी 8 फिट की होनी चाहिए। रोपाई करने से पूर्व खोदे गए गढ़ों में जल का भराव नहीं होना चाहिए। गड्ढे गो सूखने के लिए खुला छोड़ दें जिससे जीवित किटाणु मार कर नष्ट हो सकें। चन्दन रोपने ने 3 वर्ष बाद फूल आने शुरू हो जाते हैं इस समय खेत को खरपतवार व सूखे रोग ग्रस्त टहनियों को हटाते रहें।चन्दन की अच्छी खेती के लिए उर्बरक का भी उपयोग करते रहना चाहिए।
                चन्दन की खेती की जानकारी

7-चन्दन के खेत में सिचाई व्यवस्था:-सिचाई की व्यवस्था होने की दशा में चंदन को साल भर उगाया जा सकता है। चन्दन के खेत में 2 सप्ताह में सिचाई करते रहना चाहिए। बरसात के मौसम में चन्दन के पौधों को किसी प्रकार से सिचाई की आवश्यकता नहीं होती है। अतिरिक्त जल भराव की अवस्था में जल को उचित निकास का प्रबंध किया जाना चाहिए।

8:-चन्दन के खेत में उर्बरक व खाद:-हर प्रकार की फसल के लिए खाद व उर्बरक की आवश्यकता होती है। रासायनिक फसल को विना किसी खाद उर्बरक के उगाने पर उसकी गुणवत्ता अच्छी बनी रहती है। अच्छी तरह सड़े हुए गोबर की खाद, बर्मिग कम्पोस्ट,हरि पत्तियों से बनी खाद का उपयोग किया जाना चाहिए। चन्दन के वृक्ष पर रोग नियंत्रण के लिए नीम की  निमोली,गिरी,पत्ते धतूरा गाय का मूत्र से जैविक कीटनाशक का उपयोग किया जाना चाहिए।

9-खरपतवार नियंत्रण:-चन्दन की खेती में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए रासायनिक का उपयोग नहीं करना चाहिए।खरपतवार पर नियंत्रण के लिए नियमित निराई गुड़ाई करते रहने से मिट्टी भी भुरभुरी बनी रहती है और खरपतवारों पर भी नियंत्रित हो जाना है पौडहिं को भी बढ़ने के लिए पोषक तत्व की पूर्ति हो जाती है।

10-चन्दन के वृक्ष का हार्वेस्टिंग सिस्टम:-चन्दन के फसल को तैयार होने में लम्बा समय लगता है यदि वृक्षों को अच्छी तरह से देखरेख की जाए तो 15 से 20 साल में तैयार हो जाते हैं। चन्दन के वृक्ष की कटाई के समय कठोर लकड़ी को अलग कर लिया जाता है तथा मुलायम टहनियों को छंट कर इकठ्ठा कर देते हैं लकड़ी को मशीन की सहायता से इसका पावडर तैयार किया जाता है 2 दिन पानी में पाउडर को भिगोकर आसवन विधि से तेल निकाला जाता है।

11-चन्दन के खेती से आर्थिक स्थिति:-जैसा हमें मालूम है कि फसल कोई भी क्यों ना हो उसका रेत चढ़ता उतरता रहता है कीमत स्थिर नहीं रहती उसी प्रकार चन्दन के व्यापार में देखने को मिलता है। चन्दन से प्राप्त तेल व औषधीयों की कीमत घटती बढ़ती रहती है,और बाजार पर भी निर्भर करती है।भारत में चन्दन लकड़ी की कीमत 600 से 700 रु प्रति किलो के भाव में बिक जाती है।
                 चन्दन की खेती की जानकारी

12-भारत में चंदन की खेती के लिए सरकारी सहायता:-भारत में चंदन की खेती करने के लिए किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। यह चन्दन की पैदावार को बढ़ाने के लिए किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है।किसानों को इसकी खेती करने के लिए ऋण के साथ साथ सब्सिटी भी प्रदान की जा रही है।

13-चन्दन की खेती में कुल लागत व लाभ:-जैसा कि कृषि/फसल में लागत और लाभ किसान पर निर्भर करता है कि आप किस परिस्थितियों में खेती कर रहे हैं चन्दन की खेती लॉगटर्म और मुनाफादायक फसल होने के साथ ही लागत भी अधिक रहती है।
यहाँ आंकड़े एक एकड़ भूमि के दिये जा रहे । एक एकड़ खेत में पौधों का घनत्व 500 पौधों तक होता है।एक एकड़ खेत में श्रम,खाद,सिचाई कीटनाशक, खरपतवार नाशक ,हरवेटिन सहित कुल लागत 3 से 4 लाख रु तक आ सकती है।
कुल मोटा मोटा हिसाब लगाया जाए तो 5000 किलो लकड़ी प्राप्त होती है तो 70 से 80 लाख रु.का शुद्द लाभ कमाया जा सकता है।

प्रिय किसान भाइयों यह जानकारी केवल सूचनार्थ है,इसके लाभ-हानि का उत्तरदायित्व स्वयं आप का होगा।

प्रिय पाठकों मुझे उम्मीद है कि आप को यह ब्लॉग पसन्द आया होगा तो इसे शेयर अवस्य करें ताकि जरूरतमंदों तक पहुँच सके और कमेंट बॉक्स में कमेंट करना ना भूलें ऐसी ही खेती से सम्बंधित जानकारी के लिए हमसे जुड़ें, हमारा पता है--

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