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मशरूम की खेती कब और कैसे करें।When and How to Cultivate Mushrooms

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                         When and How to Cultivate Mushrooms

प्रिय किसान भाइयों KISAN BABA HINDI NEWS में आप का स्वागत है,दोस्तों इस लेख में हम बताने वाले हैं कि 'मशरूम की खेती कब और कैसे करें' मशरूम की खेती कितने दिन में तैयार होती है, मशरूम की खेती का खर्चा,इस जानकारी के लिए लेख को पूरा अवस्य पढ़ें,शेयर व कमेंट भी करें।

1- मशरूम की सामान्य जानकारी:- हमारे देश में भी अब मशरूम की खेती से किसान खुशहाल हो रहे हैं, भारत के कई राज्यों में इसे कुकुरमुत्ते के नाम से भी जाना व पहचाना जाता है। यह एक कवकीय क्यूव होता है,किसे सब्जी,आचा, व अन्य व्यंजनों को बनाने में  उपयोग किया जाता है। मशरूम में कई तरह के पोषक तत्व पाये जाते हैं। जो हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होते है। विश्व में इसकी खेती को कई सौ वर्षों से किया जा रहा है। भारत में इसकी शुरुआत तीन दशक पहले ही मानी जाती है।

पिछले कुछ वर्षों में किसानों का रुझान मशरूम की खेती की तरफ तेजी से बड़ा है। किसानों के लिए मशरूम की खेती बेहतर आमदनी का जरिया बनकर सामने आई है। बस कुछ बातों का ध्यान रखना होता है। भारतीय बाजार में इसका अच्छा दाम मिल जाता है।

हमारे देश में मशरूम की खेती को हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड, तेलंगाना, पंजाब, कर्नाटक व जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में इसकी खेती व्यापारिक रूप से की जा रही है।

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भारत में सन 2020-21 में मशरूम का उत्पादन 1.5 लाख टन के लगभग रहा था। मशरूम को खाने के अलावा औषधि के रूप में भी उपयोग में लाया जा रहा है।

2- मशरूम में औषधीय गुण:- मशरूम में औषधीय गुणों की बात की जाए तो इसमें हमारे शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्व की भरमार देखने को मिलती है,जैसे- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण जैसे उच्च स्तरीय गुण होने के कारण विश्व में इसका विशेष महत्व है। मशरूम से खाने के लिए अनेक व्यंजन बनाये जाते हैं,जैसे- बिस्किट, चिप्स, नूडल्स, जैम, खीर, कुकीज, सेव, सूप, पापड़, सोंस आदि को बनाया जाता हैं। मशरूम की अलग-अलग किस्मों को पूरे वर्ष भर उगाया जा सकता है। मशरूम प्रोटीन का एक अच्छ स्रोत है।

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                    When and How to Cultivate Mushrooms

3- मशरूम की खेती को बढ़ावा देने हेतु सरकारी ट्रेनिंग की व्यवस्था:- मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किसानों को विश्वविद्यालय व अन्य प्रशक्षण संस्थानों में मशरूम की खेती करने का तरीका मास्टर ट्रेनर, उत्पादन, प्रशिक्षण, मशरूम बीज उत्पादन तकनीक आदि विषयों में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।

इसके अलावा अलग- अलग राज्य सरकारों के द्वारा मशरूम की खेती करने के लिए किसानों को लागत का  50% अनुदान भी उपलब्ध कराया जा रहा है। मशरूम को खेती करने के ये कम जगह मि आवश्यकता होती है। किसान भाई अल्प समय में मशरूम की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं।

4- मशरूम की उन्नत किस्में:-विश्व में मशरूम की कई किस्में मौजूद हैं। भारत में मशरूम की 3 किस्में ही मिलती हैं। जिन्हें खाने में प्रयोग किया जाता है। 

(A)- दूधिया मशरूम:- दूधिया किस्म की प्रजाति को मैदानी इलाकों में उगाया जा रहा है। मशरूम की इस किस्म को उगाने के लिये बीजों के अंकुरण के समय 22 से 28℃ तक का तापमान उचित माना जाता है। वही मशरूम के फलन के उपरांत 30 से 35℃ तापमान की आवश्यकता होती है। दूधिया किस्म को तैयार होने के लिए 70 से 75% वायु में आद्रता का होना आवश्यक है।

(B)- ऑयस्टर मशरूम:- इस किस्म को वर्ष भर उगाई जा सकने वाली किस्म है। इसके लिए अनुकूल तापमान 20 से 25℃ तापमान वायु में आद्रता 70 से 75% तक होनी चाहिए। ऑयस्टर मशरूम को उगाने के लिए गेंहूँ के भूसे व धान की पराली और दानों का उपयोग किया जाता है। आमतौर पर मशरूम70 स 90 दिनों में तैयार हो जाती है। इसका उत्पादन पूरे भारत में हो रहा है। इस किस्म के अलग-अलग प्रजातियों को अलग-अलग तापमान की आवश्यकता होती है। 5 कुन्तल मशरूम उगाने के लिए कुल खर्चा 20 से 25 हजार रुपये आता है। इसके लिए 100 से 120 वर्गफुट एक रूम में रैक लगानी होती है। इस समय ऑयस्टर मशरूप 120 से 150 रुपये प्रति किलो के भाव में बिक जाता है

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C- शिटाके मशरूम:- शिटाके मशरूम एक महत्वपूर्ण औषधीय गुणों वाली मशरूम होती है। इसे व्यावसायिक व घरेलू उपयोग के लिए उगाया जाता है। यह विश्व में मशरूम के कुल उत्पादन के माम 

7- कम्पोस्ट खाद की समय सूची:- सबसे पहले भूसे को पक्के फर्श पर 1 फ़ीट मोटी परत को फलाकर 2 से 3 दिन तक पानी से भिगोते रहना होता है। भूसे पर पानी डालने के साथ साथ तांगड़ी से पलटते रहना चाहिए। यहां कुछ समय के अनुसार बताया गया है।

A- पहला दिन:- इस दिन एक फुट गीले भूसे को रासायनिक उर्बरक जैसे 2 किलो यूरिया, 3 किलो सुपर फास्फेट, 2 किलो पोटाश, 10 किलो गेंहूँ का चोकर इन सभी को विखेरकर अच्छे से मिला लेना होता है। इसके बाद भूसे को 4, से 5 फुट ऊँचा 5 फुट चौड़ा व अपने सुविधा अनुसार लम्बाई में ढेर बना लें। इस ढेर के मध्य भाग का तापमान 65 से 70℃ तापमान व बाहरी भाग का तापमान 50℃ होना चाहिए।

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(B)-6 वे दिन पर पहली पलटाई:- भूसे के ढेर के बाहरी भाग खुले में रहने के कारण शुष्क हो जाता है,जिस कारण से खाद अच्छे से सड़ नहीं पाती है। इस सामिग्री को सही तापमान पर पहुंचाने के लिए ढेर की पलटाई करते रहना होता है। भूसे को इस तरह से पलटे की भूसे का भीतरी भाग बाहर आसके व बाहर का हिस्सा अन्दर हो जाना चाहिए। सूखे भाग को पानी से भिगोते रहें। इस पलटाई के समय 3 किलो यूरिया, 10 किलो चोकर मिलाने के बाद ढेर को पहले जैसा बना दें।

C-10 वे दिन दूसरी पलटाई:- देर के बाहरी सूखे भाग को अलग कर इस पर पानी का छिड़काव करके पलटाई करते समय देर के बीचोबीच दवा दें। इस पलटाई के समय खाद में 4 को शीरा 8 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करदें इसके बाद फिर से ढेर बनादें।

D- तीसरी पलटाई (13 वे दिन):- खाद की ऊपर की तरह ही तीसरी पलटाई करें। खाद के सूखे भाग को गीला अवस्य करें। इस पलटाई पर 25 किलो जिप्सम को मिला दें,खाद के ढेर को उसी तरह से तोड़े ऊपर तोड़ा था बाहर का भाग भीतर और भीतर का बाहर। अब पहले जैसा ढेर बनादें।

इसी तरह 16 वे दिन, 19 वे दिन, 22 वे दिन, 26 वे दिन ऊपर बताये निमानुसार ही पलटाई करें।


8- a-अच्छी खाद की पहचान करना:- खाद में नमी की मात्रा 50 से 55% तक की होनी चाहिए

b- खाट पूर्णतः अमोनिया गैस की बदबू नहीं आनी चाहिए।

c- तैयार की गई खाद का रंग सफेद दिखाई देता है।

d- खाद में नाइट्रोजन की मात्रा 130 से 200%तक ही होनी चाहिए।

e- खाद कीट व रोगाणु रहित होना अति आवश्यक है।

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9- मशरूम के बीज कहाँ मिलता है:- मशरूम का बीज हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिंसार, डॉ यशवंत सिंह परमार वनकी विश्वविद्यालय हिमाचल, खुम्ब अनुसन्धान निदेशालय हिमाचल प्रदेश, मशरूम प्रयोगशाला कोहिमा, उदरपुर राजस्थान, जवाहरलाल कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर मध्यप्रदेश, आदी स्थानों से प्राप्त किया जा सकता है।

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10- मशरूम की बीजाई करना:- मशरूम हेतु तैयार की गई सेड में बनी स्लेबो पॉलीथिन शीट रखने के बाद 6 से 7 इंच मोटी कम्पोस्ट खाद की परत को विछा दें। इसके बाद कम्पोस्ट खाद के ऊपर मशरूम के बीजों को मिला दें। 100 किलो कम्पोस्ट खाद की बीजाई के लिए 500 से 700 ग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त रहती है। बीजाई करने के बाद सेड को पॉलीथिन से ढक दिया जाना चाहिए।

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11- बीजाई करते समय वरतें सावधानी:- मशरूम का बीज 40℃ तापमान पर 40 घण्टे में मर जाता है तथा बीज में सड़न की बदबू आने लगती है। बीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान को ले जाते समय किसी शीतल बॉक्स का स्तेमाल किया जाना चाहिए, जिसमे बर्फ के टुकड़े डले हों। बीजो को लाने लेजाने के लिए ac युक्त वाहन का उपयोग किया जाना चाहिए।

12- बीज का भण्डारण करना:- मशरूम का बीज कम्पोस्ट में अति शीघ्र फैलता है,और मशरूम निकले शुरू हो जाने के कारण पैदावार में वृद्धि होती है। यदि किसी परिस्थिति के कारण बीज का भंडारण करना होता है तो मशरूम के बीज को 15 दिनों के लिए फ्रीज में भण्डारण करके खराब होने से बचाया जा सकता है।

13- मशरूम मि तोड़ाई करना:-फ़ैसिग की परत चढ़ाने के 15 दिन बाद कम्पोस्ट खाद के ऊपर मशरूम की मोटी कलिकाएं दिखाई देने लगती हैं। जो 5 से 6 दिन में विकसित होकर छोटी बटन मशरूम में बदल जाती हैं। जब इनका आकार 5 से 6 सेमी का हो जाये तो इन्हें परिपक्व समझते हुए घुमाकर तोड़ लेना चाहिए। तुड़ाई के पश्चात सफेद बटन को जल्द से जल्द उपयोग कर लेना चाहिए। प्रयोग किये गए 10.00 किलो सूखे भूसे से बनी कम्पोस्ट खाद से लगभग 5 किलो सफेद बटन प्राप्त की जा सकती है।

14- मशरूम की खेती से पैदावार व लाभ:- मशरूम के बीज रोपाई के 40 से 50 दिन बड़ उत्पादन प्राप्त होने लगता है। इसकी तुड़ाई के लिए इसके डंठल को हल्के से घुमाते हुए तोड़ना चाहिए। इस क्रिया के बाद इन्हें बाजार में  बेचने के ये भेज दिया जाता है। मशरूम की कुछ किस्मों को सुखाकर पावडर बनाकर बेचा जाता है इस तरह से मशरूम की तुडाई विधि को अपनाया जाता है।

मशरूम का एक फूल तकरीबन 8 सेंटीमीटर की ऊँचाई का ही जाता है, मशरूम का बाजार भाव 250 से 300₹ प्रति किलो का मिल जाता है। इस तरह किसान भाई कम समय में अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते है । आने वाले समय में इसकी माँग और भी बढ़ने बाली है। इसकी खेती से किसान भाई अनुमानित 3 से 4 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा समते हैं यह मशरूम करने के तरीके व क्षत्रफल पर निर्भर करता है।

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