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 तेजेन्द्र कुमार सिंह:

जाने काला गेंहूँ की खेती का तरीका।

Know the method of cultivation of black wheat.

नमस्कार दोस्तों: किसान बाबा हिंदी न्यूज़ के एक और ब्लॉग में आप का स्वागत है!यहाँ हम"काले गेंहूँ की खेती कैसे करें"के बारे में बताने बाले हैं तो आप ब्लॉग को पूरा अवश्य पढ़ें,व शेयर करें।

जाने काला गेंहूँ की खेती कैसे करें
                             काले गेंहूँ की खेती

भारत की 70 % आवादी खेती पर निर्भर है। लेकिन वर्तमान समय में किसान का रुझान कम होता जा रहा है। भारत में खेती करना घाटे का सौदा बनती जा रही है। वही किसान अब सामान्य गेंहूँ की बाजाय काले गेंहूँ की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

इसके पीछे का कारण यह है कि काले गेंहूँ की बाजार में मांग अधिक बढ़ती जा रही है। देखा गया है कि उत्तर प्रदेश के किसान काले गेंहूँ की खेती से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। वही स्वस्थ विभाग का मानना है की काला गेंहूँ सुगर के मरीजों के लिए अधिक फायदेमंद है। भारत में काले गेंहूं की पैदावार बढ़ती जा रही है।'कले गेंहूँ की खेती कैसे करें' नीचे बताया गया है।

1-काले गेंहूँ में पाये जाने वाले औषधीय गुणों का विवरण:-सामान्य गेंहूँ से काले गेंहूँ में काफी अंतर है।इस किस्म में एंथ्रोसाइनिन तत्व मौजूद हैं जो एंटी ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक है जो कैंसर,मानसिक तनाव, सुगर,हार्टअटैक,एनिमिया जैसे रोगों में काफी लाभदायक सिद्ध होता है। इसका स्वाद सामान्य गेंहूँ से अलग होता है,खाने में अति स्वादिष्ट होता है। इसकी रोटियां कुछ अलग रंग की दिखाई पड़तीं हैं।

2-काले गेंहूँ की बोवाई का उचित समय:-इस लेख में"काला गेंहूँ की खेती कैसे करें"  की जानकारी दी जा रही है। काले गेंहूँ की बोवाई का उचित समय 1 अक्टूबर से 30 नवम्बर के मध्य की जानी चाहिए। वही इसकी खेती के लिए खेत में नमी का होना जरूरी है। इसी कारणवश इसकी बोवाई देर से की जा रही है तो पैदावार पर प्रभाव पड़ना निश्चित है। काले गेंहूँ की बोवाई में देरी होती जाती है इसके पैदावार में हानि देखने को मिलती है।

3-काले गेंहूँ के बीज की मात्रा और बिजाई करने का तरीका:-काले गेंहूँ की बोवाई छिड़काव विधि से ना कर सीडड्रिल से करें तो इसके बीज की बचत की जा सकती है।"काले गेंहूँ की खेती कैसे करें"में आगे बीज की खरीद, इसके लिए किसान भाई इसका बीज बाजार में बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाता है।यदि काला गेंहूँ सीडड्रिल से की जाती है तो इसका बीज सामान्य दशा में 50 किलो प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। और मोटा दाना होने पर 65 किलो बीज की जरूरत होती है। यदि बोवाई विधि की बात की जाए तो 130 किलो व मोटा दाना 145 किलो प्रति एकड़ ब8ज की आवश्यकता होती है। खेत में बोवाई करने से पूर्व जमाकर अवश्य देख देना चाहिए। ध्यान रहे बीज प्रमाणित कम्पनी द्वारा बेचा गया हो। यदि बीज प्रमाणित न होने की दशा में बीज का शोधन अवश्य कर लेना चाहिए। बीज शोधन के लिए कारबाक्सिंन व पी.इस.बी. से उपचारित कर लेना चाहिए। एसा करने से गेंहूँ का जमाव प्रतिशत में वृद्धि देखने को मितली है।

                  काले गेंहूँ की खेती

4-काले गेंहूँ की खेती के लिए खाद एवं उर्बरक का प्रयोग करना:-काले गेंहूँ की खेती के लिए खेत तैयार करते समय जिंक व यूरिया अवश्य डालें। एक एकड़ में 50 किलो डीएपी व 30 यूरिया 20 किलो पोटाश 10 किलो 8 किलो जिंक प्रति एकड़ प्रयोग करें। पहली सिचाई के 25 दिनों बाद 50 किलो यूरिया का छिड़काव करें।

5-काले गेंहूँ की सिचाई व्यवस्था:-काले गेंहूँ की प्रथम सिचाई बोवाई से 20 दिन बाद अवश्य कर देनी चाहिए और दुतीय सिचाई बोवाई से 40 दिन के बाद यानी कल्ले फुटाव के समय तीसरी सिचाई 65 से 65 दिनों में और बाल निकलते समय सिचाई कर देनी चाहिए।"काले गेंहूँ की खेती कैसे करें "

6-काले गेंहूँ के खेत में खरपतवार नियंत्रण अक्सर देखा गया है कि फसल चाहे जो हो खरपतवारों का प्रकोप सभी में देखने को मिलता है,यदि इनका उपचार नहीं किया जाए तो फसल की पैदावार में हानि देखने को मिलती है। जैसे चटरी,मटरी,बथुआ चौड़ी पत्ते वाली घास प्रमुख हैं। इन खरपतवारों के नियंत्रण के लिए इथाइल ईस्टर 36%,तू फोर डी 80%  800 लीटर पानी में एक हेक्टेयर खेत में बोवाई से 25 दिन के बाद स्प्रे अवश्य करें।

7-काले गेंहूँ की पैदावार:-जब गेंहूँ 140 से 145 दिनों के होने पर (गेंहूँ दाना कठोर होने पर) पौधे का रंग हल्का सुनहरा होने की दशा  गेंहूँ पक कर तैयार हो जाता है। इस अवस्था में गेंहूँ की नमी 20 % तक आ जाए तो गेंहूँ की कटाई प्रारंभ कर देनी चाहिए। इस किस्म के गेंहूँ की उपज 6 से 7 कुन्तल की प्राप्त की जा सकती है।

           काले गेंहूँ की खेती

8-काले गेंहूँ की खेती से मुनाफा:-किसान काले गेंहूँ की खेती से सामान्य गेंहूँ की अपेक्षा अधिक मुनाफा अर्जित कर सकते हैं।इसकी पैदावार सामान्य गेंहूँ से कहीं अधिक देखने को मिलती है। फसल चाहे कोई भी हो उसकी पैदावार खेत की उर्बरकता पर निर्भर करती है। साथ ही आप के खेती करने के तरीके पर भी फसल प्रभावित होती है।

सामान्य खेत की बात की जाय तो 6 से 7 कुन्तल काले गेंहूँ की पैदावार आसानी के ले सकते हैं । इस हिसाब से एक हेक्टेयर खेत में 72 से 75 कुन्तल की पैदावार हो जाती है।

सरकारी रेत से जोड़ा जाए तो 2050 रु.प्रति कुन्तल से जोड़ने पर 150000 रु की होती है। और इसका भूसा 40000 रु का बनता है लागत के 30000 रु निकाल दिया जाए तो 160000 रु का शुध्द लाभ कमाया जा सकता है।


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