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तेजेन्द्र कुमार सिंह:-

एलोवेरा की खेती कब और कैसे करें,समझे पूरा तरीका

एलोवेरा की खेती
                            एलोवेरा की खेती कब और कैसे करें

नमस्कार दोस्तों आज हम एलोवेरा के विषय में बात करेंगे एलोवेरा एक औषधीय गुणों वाला पौधा है। एलोवेरा की मांग दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है। इसका उपयोग हर्बल व सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है। एलोवेरा का उपयोग हर्बल व दवाओं में भी उपयोग हो रहा है। यह देखा गया है कि बाजार में एलोवेरा से बने उत्तपाद की काफी मांग बनी रहती है।एलोवेरा के बने उत्तपाद जैसे फेसक्रीम, फेसवॉश, शैम्पू जैसे प्रोडक्ट बनाये जाते हैं। हर्बल व कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने वाली कम्पनियं इसे उच्च कीमत में खरीदतीं हैं। वही भारत में कम्पनिया लीज पर खेती करा रहीं हैं। इन सभी को देखते हुए किसानों को इसका सीधा लाभ हो रहा है।आगे हम जानेंगे कि किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कैसे ले सकते है

एलोवेरा की सामान्य जानकारी:-भारत में एलोवेरा को कई अन्य नामों से जाना जाता है जैसे घृतकुमारी,क्वारगन्द ,ग्वारपाठा आदि नामों से भी जाना जाता है।एलोवेरा एक औषधीय गुणों के रूप में जाना जाता है। एलोवेरा का पौधा तना रहित पौधा है इसके पत्ते 1 से 1.5 इंच मोठे गहरे हरे रंग के होते हैं। व इनकी लंबाई 65 से 75 सेमी की होती है। एलोवेरा के पौधे का फैलाव पौधे की जड़ से निकलने वाले कल्लों से होता है। इसकी पत्तियां मोती व चपटी होतीं हैं किनारों पर नुकीले धारी लिए हुए होते हैं। एलोवेरा की फसल  में ग्रीष्म ऋतु में सफेद फूल खिलते हैं।

एलोवेरा औषधीय गुण व उपयोगिता:-अक्सर देखा गया है  एलोवेरा के जैल का उपयोग सौंदर्य प्रोडक्ट के रूप में अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है।।इससे त्वचीय क्रीम, साबुन फेशबॉस अत्यधिक उपयोग किया जाता है। एलोवेरा सुगर रोगियों के लिए अधिक उपयोगी है साथ ही मानव रक्त में  लिपिट का स्तर घटा देता है। यह विशेषता एलोवेरा में मौजूद मन्नास एंथ्रक्यूइनोनेज और लैक्टिन जैसे यौगिकों के कारण हो पाता है।

एलोवेरा की किस्में :-वर्षों के वैज्ञानिकों शोध से पता चला है कि एलोवेरा कु 300 प्रजातियाँ संसार में मौजूद है।जिनमे से  280 किस्मों के एलोवेरा में 0 से 10 %  ही औषधीय गुणों वाले होते हैं। ओर 11 प्रकार के पौधे जहरीले किस्म के होते हैं।और शेष 5 किस्में ही उपयोगी होती हैं। जिसका नाम  एलो बार्बाडेन्सीस  मिलर है  जिसमें 100 % औषधीय गुण मौजूद हैं। इसके अलावा इसकी एक और प्रजाति  गुसब्बर नाम से जानी जाती है। इसका उपयोग त्वचा रोगों के उपचार में किया जाता है। भारत में प्रमुख उगाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियाँ ऐसी 111271,ऐसी 111269 और एएल बन हाइब्रिड एलोवेरा की प्रमुख किस्में है।

एलोवेरा की खेती कब और कैसे करें में जलवायु व भूमि:-एलोवेरा की खेती के लिए उष्ण जलवायु उत्तम रहती है। इसकी खेती के लिए न्यूनतम वर्ष  उपयुक्त रहती है। शीत ऋतु में इसकी खेती उपयुक्त नहीं मानी जाती। इसकी खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी में लाल मिट्टी दोमट मिट्टी ब्लूई मिट्टी विभिन्न प्रकार की मिट्टी में  की जा सकती है। वही वलूई मिट्टी इसकी खेती के लिए उत्तम रहती है। भूमि का चयन करते समय ध्यान देना चाहिये कि खेत में पानी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए पानी का जमाव न हो 

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एलोवेरा की खेती कब और कैसे करें

एलोवेरा की खेती की बोवाई का उचित समय:-अच्छी पैदावार के लिए एलोवेरा की बोवाई का उचित समय जुलाई अगस्त का समय उत्तम रहता है वैसे एलोवेरा की खेती शीत ऋतु मैं एलोवेरा की रोपाई कदापि न करें।

एलोवेरा खेत के लिए खाद प्रबंधन:-

एलोवेरा की खेती कब और कैसे करे के इस भाग में बात उर्बरक के विषय में है,एलोवेरा के खेत में मिट्टी की उर्बरकता बढाने हेतु गोवर की सड़ी खाद डालना चाहिए। एलोवेरा खेत की अन्तिम जुताई पर दाई 45 केजी खेत में डालनी चाहिए।

 एकड़ खेत में पौधों की मात्रा:-एलोवेरा के खेत की बोवाई के लिए  8' से 10' के पौधों से की जानी चाहिए। पौधे 2 से 3 महीने के पुराने होने चाहिए  एक एकड़ खेत मे 5000 से 8000 के बीच होनी चाहिए। पौधों की संख्या। खेत की उर्बरा शक्ति एवमं लाइनों से लाइनों के बीच की दूरी पर निर्भर करती है। अच्छी पैदावार के लिए 10 से 12 इंच की दूरी पर लगाने चाहिए। 

एलोवेरा पौधों को रोपने की विधि:-एलोवेरा के खेत को रोपने के लिए पहले खेत की अच्छी तरह जुताई कर लेनी चाहिए ततपश्चात एक मीटर क्षेत्र फल में दो 6 इंच  ऊँची मेड़ बना लेनी चाहिये। फिर एक मीटर जगह छोड़ कर दो मेड बना लेनी चाहिए।पौधौं के पास मिट्टी को अच्छी तरह दवा देनी चाहिए।एलोवेरा के खेत में वर्षा ऋतु में जड़ों से नए पौधे निकलते हैं इन्हें खेत में लगाने के लिए रख लेने चाहिए।

एलोवेरा खेत की सिंचाई :-यहाँ हम एलोवेरा की खेती कब और कैसे करें के लेख में जानेंगे कि एलोवेरा की सिचाई बिजाई के बाद अवश्य करनी चाहिए । इसके बाद समय-समय पर सिचाई करते रहना चाहिए। जिससे एलोवेरा के पौधे को आवश्यक पोषण मिलता रहें और उस मे जैल मि मात्रा प्रभावित ना हो।

एक एकड़ में एलोवेरा रोपड़ का खर्चा:-भारत में प्राप्त सरकारी संस्थाओं के आंकड़ों के आधार पर एक एकड़ खेत में पौधे प्लांटेशन करने के लिए कुल खर्चा  12 से 15 हजार रुपये आता है। यह खर्चा मजदूर खेत की तैयारी खाद सभी को जोड़ते हुए खर्चा है।

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एलोवेरा की उपज/मंडी भाव:-एलोवेरा की एक एकड़ खेत से लगभग 20 से 22 टन मोटी जैली दार पत्तियां प्राप्त होती हैं। इन्हें आयुर्वेदिक बनाने वाली कंपनियों एवं सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली कंपनियों को बेचा जा सकता है। एलोवेरा के पत्तों से प्राप्त जेल को निकालकर भी मार्केट में बेचा जा सकता है। भारत की विभिन्न मंडियों में एलोवेरा की कीमत 20 से ₹25000 प्रति क्विंटल के हिसाब से आराम से भेजा जा सकता है।

एलोवेरा के खेत की देखभाल एवं रखरखाव:- वैसे किसानों को सभी फसलों के लिए देखभाल की आवश्यकता होती है लेकिन एलोवेरा के खेत में सिंचाई की कम आवश्यकता होती है। इसलिए एलोवेरा की खेती करना आसान होता है और इसमें कम पानी की आवश्यकता होती है। एलोवेरा के सिंचाई करने से पहले विशेष ध्यान देना चाहिए कि एलोवेरा पौधे के नीचे जड़ में लगभग 2 इंच तक पानी या नबी ना हो तभी खेत में पानी लगाना चाहिए। एलोवेरा के खेत में ग्रीष्म ऋतु में सिंचाई 1 सप्ताह में करें वही शीत ऋतु में सिंचाई कम करनी चाहिए

एलोवेरा की खेती की विशेष फायदे:- वैसे एलोवेरा को किसी भी बूम में आसानी से खेती की जा सकती है लेकिन अन्य फसलों की भांति इस की फसल के लिए अधिक खाद कीटनाशक एवं अन्य प्रकार के उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होती है। अन्य फसलों की बांध एलोवेरा की फसल को कोई भी जंगली जानवर नहीं खाते और इनमें कीट पतंगों का प्रकोप भी कम ही देखने को मिलता है। इस हिसाब से इस की रखवाली की विशेष आवश्यकता नहीं होती है। एलोवेरा की खेती कब और कैसे करें संपूर्ण विवरण ऊपर दिया जा चुका है।

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