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 तेजेन्द्र कुमार सिंह-

धान की उन्नत खेती कैसे करें।खरपतवार, रोग नियंत्रण की जानकारी यहाँ मिलेगी

How to do improved cultivation of paddy. Information about weeds, disease control will be found here

धान की उन्नत खेती कैसे करें
                                धान की उन्नत खेती कैसे करें?

नमस्कार दोस्तों:-किसान बाबा हिंदी न्यूज़ में आप का स्वागत है। आप के इस लेख के मध्यम से हम धान की उन्नत खेती के बारे में बात करेंगे,तो बने रहिये हमारे साथ और लेख को पूरा अवश्य पढ़ें।

धान की सामान्य जानकारी:- भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है यहां की आधी आबादी चावल पर निर्भर है इस कारण भारत में गेहूं के बाद धान का रकबा सर्बधिक है। धान भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया की मानवीय आबादी के बड़े क्षेत्र के लिए विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशिया में प्रमुख रूप से उगाई जाने वाली फसल है।संपूर्ण दुनिया में मक्का व गन्ना के बाद तीसरी फसल है।धान का उदय 4000 वर्ष पूर्व चीन में विशाल रूप में खेती का उदय हुआ है।

वहीं धान की फसल भारत में 2500 ईसा पूर्व में उदय माना जाता है इसकी खोज का श्रेय वैज्ञानिक को न देकर किसानों को दिया गया भारत में 2000 ऐसा पूर्व लोग चावल को उगाने लगे।धान का उल्लेख भारतीय ग्रंथों में भी देखने को मिलता है।धान की खेती कैसे करें के अगले भाग में विवरण पड़ेंगे।

1- धान की फसल के लिए उपयुक्त जलवायु:- धान उपोष्ण जलवायु की फसल है।धान की खेती उन क्षेत्रों में उगाई जा सकती है जहां 3 से 5 महीने तक तापमान 18 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य रहता है।इसकी अच्छी पैदावार के लिए 22 से 28 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पकने के लिए उत्तम माना जाता है रात का तापमान कम रहने पर पैदावार में वृद्धि देखने को मिलती है।

2- धान की खेती के लिए भूमि का चयन:-धान की उन्नत खेती कैसे करें,में भूमि का चयन करते समय विशेष ध्यान देना चाहिए,जिसमें जल अवशोषण क्षमता वाली मिट्टी चिकनी मिट्टी एवं दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है जिस भूमि में धान की खेती करने वाले हैं उस मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7 के बीच होना लाभदायक माना जाता है।

3- धान की उन्नत किस्में:- धान की उन्नत खेती कैसे करें,में धान की किस्मों पर विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है तान के कुछ उन्नत किस्में नीचे बदल गई है

(A) जल्दी पकने वाली किसको(110-120दिन) अगर दीपक ने वाली किसने पीएनआर 381.पी ए आर-162,नरेंद्र 86 नरेंद्र 97,पूसा-21 ,पूसा834 नरेंद्र 1509 साकेत-4, नरेंद्र 1718 प्रमुख हैं।

निकी नर्सरी का उपयुक्त समय 10 मई से 10 जून तक का समय उत्तम किस्म की पैदावार 5 से 6.5 टन प्रति हेक्टेयर के बीच रहती है।

(B)- मध्यम अवधि में पकने वाली किस्में (120 से 130 दिन)- धान की मध्यम पकने वाली किस्मों में सूरज 52 ,पंत10 पूछा 169 व 205 पन्त 12, आई आर-64 प्रमुख किस्में हैं। इन कृष्णा की पौध तैयार करने का समय 15 मई से 20 जून का समय उचित करता है वही इन किस्मों की पैदावार लगभग 6:00 से 6.5 टन प्रति हेक्टेयर रहने का अनुमान है।

(C)-देर से पकने वाली किस्में-(130से140दिन)- धान की इन किस्मों महसूरी,मालवीय 36,पूसा-44 पीटने-10 प्रमुख किस्में हैं। इन किस्मों की नर्सरी का समय 25 मई से 20 जून तक का उपयुक्त समय माना जाता है इस किस्म की औसत पैदावार 6 से 7 टन प्रति हेक्टेयर के आस पास रहती है इन किस्मों के अलावा आईआर 36,विजेता,साम्भा,महसूरी,डीटी-43 प्रमुख हैं।

                       धान  उन्नत खेती कैसे करें

(D)बाँसमती किस्में-धान की उन्नत खेती कैसे करें में बाँसमती कई किस्में सुगन्ध, पी-10 पूसा बाँसमती,बाँसमती 370, प्रमुख हैं इस किस्मों की नर्सरी का उचित समय 20 मई से 20 जून के समय उपयुक्त रहता है।

4-धान के खेत की तैयारी करना:-भारत में धान की खेती परम्परागत तरीके से होती आ रही है। धान की खेती मुख्य रूप से तराई इलाकों की जाती है।उत्तर भारत में धान सघनता पध्दति एरोविक पध्दति व रोपाई विधि अधिक प्रचलित है।

5-धान की रोपाई विधि-बीज की मात्रा:- भारत में रोपाई विधि अधिक प्रचलित है।इस विधि में सर्वप्रथम अच्छे बीजों की छटाई कर लेनी चाहिए। इसके लिए नमक के घोल में डालना चाहिए। इसके लिए 20 लीटर पानी में डाल कर करें,स्वास्थ्य बीज पानी के नीचे चले जाते ऊपर तैरने वाले बीजों को अलग कर दिया जाता अब स्वास्थ्य बीज तैयार है।

5-बीजोपचार:- बीज उपचार के लिए 10 ग्राम बोविस्तीन और2.5ग्राम पोसामाइसिनी या एग्रीमाइसिन 12 लीटर पानी में घोल लें अब इसके बाद 25 किलो धान के बीज 24 घण्टे के लिए घोल में डाल कर रख दें।इस उपचार से जड़ गलन,झोंका और पत्ती झुलसा रोगों से निजात मिलती है।

6-धान की नर्सरी को तैयार करना:- 

A-धान की नर्सरी इसी भूमि में तैयार करनी चाहिए, जो भूमि उपजाऊ हो,व जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। वही जल स्रोत श्यान केंद्रीत रखना चाहिए। एक हेक्टेयर खेत के लिए 800 से 900 वर्गमीटर स्थान पर्याप्त रहता है।

B-धान की नर्सरी बोवाई का उचित समय धान की किस्मों पर निर्भर करती है।वैसे 15 मई से 20 जून के मध्य का समय उचित रहता है।

C-1000 वर्गमीटर में लगभग 700 कोलो सड़ी गोबर की खाद 10 किलो यूरिया 15 किलो सिंगल सुपर फोस्फेट 5 किलो पोटाश 2 किलो जिंक अच्छी तरह मिट्टी में मिलाएं।

D-पौधा 12 दिन के होने पर खरपतवार नियंत्रण हेतु नॉमिनी गोल्ड 20 ग्राम 50 लीटर पानी में घोल कर स्प्रे कर देना चाहिए।

E-धान की पौध 20 से 25 दिन की होने पर 4 से 5 पत्तियाँ हो जाये तो खेत में लगाने के लिए उपयुक्त हैं।नर्सरी उखाड़ने से पहले खेत में आवस्यकता अनुसार पानी भर देना उचित रहता है जिससे मिट्टी मुलायम हो जाये।

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7-धान की रोपाई विधि:-A-ध्यान दे कि पौधे उखाड़ते वक्त पौधे की जड़ें ना टूटने पाये पौधे को नीचे पकड़ कर ऊपर खीचना होता है जिसे जड़ पूरी निकल जानी चाहिए।

B-धान लगाते समय पंक्ति से पंक्ति के बीच की दूरी 15 से 18 सेंटीमीटर की होनी चाहिए और पौधे से पौधे के बीच की दूरी 8 सेंटीमीटर की रखनी चाहिए जिससे पौधे के बढ़ने के लिए पर्याप्त पोषण तत्व मिल सकें।8-धान के खेत के लिए उर्बरक व खाद:-अधिक उपज प्राप्त करने के लिए उर्बरकता का मजबूत होना अति आवश्यक है।इसके लिए 120 किलो नाइट्रोजन,65 किलो फास्फोरस,40 किलो पोटाश,20 किलो जिंक प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में अवश्य डालनी चाहिए। जब धान 30 से 35 दिन का होने पर पुनः दूसरी बार 80 किलो यूरिया का छिड़काव करें।

9-सिचाई व्यवस्था:-धान की खेती के लिए पानी की अधिक आवश्यकता होती है। इस कारण सिचाई की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ।"धान की उन्नत खेती कैसे करें"में धान के खेत में 5 से 6 सेंटीमीटर पानी भरा रहना चाहिए। वही धान पकाव अवस्था से 15 दिन पूर्व सिचाई बन्द कर देना चाहिए। अवशेष पानी को खेत से बाहर निकल दें।

10-धान के खेत में खरपतवार नियंत्रण:-धान के रोपाई के 15 दिनों के बाद घास होने की दशा में नॉमिनी गोल्ड 100 300 लीटर पानी मे घोल बनाकर स्प्रे कर खेत में पानी भर देने से घास सड़ कर नष्ट हो जाती है व अन्य खरपतवार नासी रसायनों का भी प्रयोग किया जा सकता है।अच्छी पैदावार के लिए "धान की उन्नत खेती कैसे करें"के लिए यह आवश्यक है।

11-धान की कटाई:-धान खेत में रोपाई से 130 से 150 दिनों के बाद देखना चाहिए कि दाने कठोर हुए या नहीं समस्त कटाई होने पर एक स्थान पर इकट्ठा कर ट्रैक्टर की सहायता से धान बीज व अवशेष अलग कर 50 किलो के थैले में भर बाजार में बेच कर मुनाफा अर्जित किया जा सकता है।

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