Header Ads Widget

 पिपरमेंट की खेती कैसे करें?पूरा तरीका यहाँ समझे।

How To Cultivate Peppermint? Understand The Complete Method Here.

पिपरमेंट की खेती कैसे करें
                                  पिपरमेंट की खेती

नमस्कार दोस्तों: किसान बाबा हिंदी न्यूज़ में एक बार फिर आप का स्वागत है। आज के इस लेख में हम पिपरमेंट की खेती कैसे करें कि जानकारी दी जाएगी तो आप बने रहिये हमारे साथ और इसे शेयर अवस्य करें। तो चलिए शुरू करें।

पिपरमेंट एक सुगन्धित पौधा है,भारतीय समाज में इसका अपना ही महत्व है। सुगन्धित होने के चलते इससे कई सारे प्रोडक्ट बनाये जाते हैं। जिनकी बाजार में खासी माँग रहती हैं। पिपरमेंट से कई प्रकार की औषधियों में भी प्रयोग किया जाता है। पिपरमेंट का पौधा 2 से 3 फिट की लंबाई तक ही बड़ा होता है। इसके फूल बैंगनी रंग के होने के साथ ही इसके पत्ते की किनारी आरी नुमा होती है। पिपरमेंट एशिया,यूरोपीय क्षेत्र एवम उत्तरी अमेरिका में इसकी खेती की जा रही है।

पिपरमेंट अत्रहवी शताब्दी में सर्वप्रथम इंग्लैंड में खेती की गई। मध्यकाल में मिश्र में इसे अपच के उपचार के लिए उपयोग में लाया गया।

1-पिपरमेंट में पाये जाने वाले गुण:-पिपरमेंट की तासीर ठंडी जड़ी बूटी के रूप में विख्यात है। जो सूजाक वाले ऊतकों को कम करने में सहायक है। ऐठन को शांत करने, वैक्टीरिया, जीवाणुओं को नष्ट करने में उपयोगी है। प्रायः पिपरमेंट का सम्पूर्ण पौधा ही अपने आप मे एक औषधीय गुणों का पिटारा है। इसमें वाष्पशील , क्लेवोनॉइड्स, ट्रेइटरपेन, फेनोलिक एसिड होते है पिपरमेंट की मुख्य खेती इससे प्राप्त तेल के लिए ही कि जाति है।

2-पिपरमेंट की उपयोगिता:-वैसे तो पिपरमेंट का उपयोग सभी खाद्य पदार्थों में किया जाता है। यहां कुछ वस्तुओं की जानकारी दी जा रही है।

A-स्वादिष्ट भोजन के लिए पिपरमेंट का उपयोग:-पान , साबुन ,पान मशाला, टॉफियां,टूथपेस्ट,सेंट आदि वस्तुओं में पिपरमेंट का उपयोग किया जाता है जो खुशबू ही नहीं स्वाद में भी चार चंद लग जाते हैं।

B-सौंदर्य प्रोडक्ट में पिपरमेंट का उपयोग:-सौंदर्य वस्तुओं में भी पिपरमेंट का स्तेमाल किया जा रहा हैं जैसे फेस वॉश, फेस वॉश, फेस क्रीम, बॉडी स्प्रे,आदि प्रोडक्ट में खूब यूज किया जा रहा है।

C-चिकित्सा से क्षेत्र में:-त्वचा संक्रामण, खुजली,इसका तेल शरीर को ठंडक प्रदान करने में यूज किया जा सकता है वही जलने में भी पिपरमेंट से उपचार लाभदायक सिद्ध हुआ है।

D-चहरे को खूबसूरत दिखने में:-अक्सर देखा गया है कि हार्मोन डिसबैलेंस के कारण 16 से 24 आयु वर्ग में कील मुहांसे की समस्य रहती है। इस के उपचार के लिए पिपरमेंट के तेल से लेप तैयार कर उपचार किया जा सकता है।

E-एंटी बैक्टीरियल को रोकने में:-पिपरमेंट में कीटाणुओं की नष्ट करने के रसायन गुण मौजूद हैं । यदि आप हैंड बॉस के लिए मेंहगे साबुन न खरीदने की अवस्था में आप पिपरमेंट की स्तेमाल कर सकते हैं इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होने से इस एकदम सुरक्षित है।

"पिपरमेंट की खेती कैसे करें" में इसके उत्पादन भारत विश्व का सबसे बड़ा पिपरमेंट का निर्यात करता हैं। भारत में आंकड़ों के मुताबिक इसका उतपादन 25000 टन उत्पादन करता है जो अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है।

3-भारत में पिपरमेंट:-भारत में पिपरमेंट का उत्पादन उत्तर प्रदेश,मध्यप्रदेश,राज्य में सर्वाधिक खेती की जाती है। उत्तर प्रदेश में  मैंनपुरी, कन्नौज,इटावा,फैजाबाद, अम्बेडकर, बाराबंकी,रामपुर कासगंज,एटा में मुख्य रूप से पिपरमेंट की खेती की जा रही है।

4-पीपरमेंट की उन्नत किस्में:-भारत में पिपरमेंट की कई किस्में मौजूद है यहां पर कुछ किस्मों की जानकारी दी जा रही है जो निम्न प्रकार से है-

A-शिवालिक प्रजाति:-यह किस्म एक विदेशी किस्म है यह चायना की वैरायटी है जो देर से तैयार होने वाली किस्म है। इसकी शाक 350 कुन्तल प्रति हेक्टेयर उपज तैयार की जा सकती है। जिससे 190 किलो आयल प्राप्त किया जा सकता है। पिपरमेंट के इस किस्म से 70 %मेंथोल की मात्रा मौजूद है।

B-एम ए एस 1- पिपरमेंट की यह किस्म जल्दी तैयार होने वाली किस्म में से एक है। "पिपरमेंट की खेती कैसे करें"इस किस्म में मेंथोल की उपलब्धता अधिक होती है। इसकी पैदावार 200 कुन्तल शुध्द शाक की प्राप्ति की जा सकती है व 120 किलो शुध्द तेल प्राप्त किया जा सकता है जो लगभग 81%के करीब बनता है।

C-हिमायत किस्म:-यह सभी किस्मों में से सबसे नवीनतम किस्म है। इसके तने लम्बे पत्तियां मोती होतीं हैं। इसकी फसल से हम दो कटान प्राप्त कर सकते हैं। इसकी फसल से 300 कुन्तल प्रति हेक्टेयर शाक आसानी से मिल जाता है और इसमें करीब 220 से 225 किलो तेल की मात्रा प्राप्त हो जाती है अन्य किस्मो के सापेक्ष इससे 20 प्रतिशत अधिक तेल की प्राप्ति होती है।

5-पिपरमेंट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु का होना:-पिपरमेंट की खेती के लिए ऊष्ण जलवायु उत्तम है जहां गर्मी के समय हल्की वर्षा का होना अतिआवश्यक होती है वहां पर इसकी खेती की जा सकती है। पिपरमेंट की खेती अधिक ठंड पड़ने पर इसकी खेती पर दुष्प्रभाव देखने को मिलते है। क्यों कि गर्मी की स्थित में इसमे तेल का बनना तीव्र गति से होता है। पिपरमेंट की खेती के लिए 25 से 35 ℃ का तापमान उपयुक्त रहता है। और वर्षा 100 से 120 सेंटीमीटर के मध्यम वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है।

6-पिपरमेंट की खेती के लिए भूमि का चयन करना:-पिपरमेंट की खेती के लिए उचित जल निकासी कार्बनिक पदार्थ वाली बलुई चिकनी मिट्टी उपयुक्त रहती है।और मिट्टी का पीएच मां 7 से 8 से बीच होना उचित रहता है।

7-पिपरमेंट की खेती के बोवाई का उचित समय:-पिपरमेंट की खेती जनवरी व फरवरी के महीने का समय उचित समय होता है। गेंहूँ की फसल की कटाई के बाद भी पिपरमिंट की बोवाई की जा सकती है।

- जल्दी बोवाई कर देने से इसमे कल्ले की गुवक्ता उचित नहीं रहती। वही लेट में बोवाई करने से इसमें वृद्धि में रुकावट हिती है।

-यदि देरी से बोवाई मार्च व अप्रैल में करने के लिए तैयार पौध का ही उपयोग किया जाना चाहिए।

8-बीज खरीद प्रक्रिया:-पिपरमिंट का बीज अच्छी किस्म का ही खरीदना चाहते इसकी बाजार कीमत 1500 रु प्रति कुन्तल आसानी से मिल जाता है । एक एकड़ में 100 किलो बीज की आवश्यकता होती है।

                                पिपरमेंट की खेती

9-बीज की तैयारी रोपाई विधि:-

=पिपरमेंट में प्रबर्धन भूस्तारी होती हैं।सही किस्म के चुनाव करने के बाद गुणवत्ता युक्त पौध का ही प्रयोग किया जाना चाहिए।

=पिपरमेंट के स्वास्थ्य पौधों का ही उपयोग करना चाहिए जो गेरूई रोग से मुक्त हो स्वास्थ्य भूस्तारी सफेद रंग के होते हैं। भूस्तारी के छोटे छोटे 10 सेमी के टुकड़े कर लेना चाहिए।प्रत्येक में कम से कम एक आंख का होना जरूरी है।

=बोवाई करने से पूर्व पिपरमेंट भूस्तारी को 0.1% कवकनाशी घोल में 10 मिनट के लिए डुबो कर रखना चाहिए जिससे फफूदी रोग से सुरक्षा हो सके। वही पिपरमिंट को रोपड सीधे पौध के द्वारा किया जाना है।

10-पिपरमेंट रोपड विधि:-

1-पिपरमेंट की खेती रवी फसल के बाद पौध के द्वारा किया जाना चाहिए। इसके लिए खेत में नर्सरी तैयार की जाती है।

2-एक हेक्टेयर खेत के लिए 1000 वर्गफुट जगह की आवश्कता होती है।इसके लिए 225 किलो पिपरमेंट सकर्स छोटे छोटे टुकड़ों में काट कर पानी में बिखेर दिया जाता है। इससे नर्सरी सूखने नहीं पाती और खेत में आसानी से रोपाई की जा सकती है।

3-पीपरमेंट8की पौध 25 से 30 दिनों में तैयार हो जाती है। इस पौध से मार्च अप्रैल में भी रोपाई की जा सकती है।

11-कीटनाशक दवाओं का उपयोग करना:-

1 रेंगने वाले कीटों के लिए:-पिपरमेंट में इस कीट के रोकथाम के लिए डिक्लोरोवास 500 मिली व फेनवालरेट 700 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 800 पानी में हल कर स्प्रे किया जाना चाहिए।

2 जड़ गलन:-पिपरमिंट में लगने वाले इस रोग से पौधे मि जड़े सड़ने लगतीं है इसकी रोकथाम के लिए रोपाई से पहले भूस्तारी को कार्बेंडाजिम .1% के घोल से शोधन करना चाहिए।

12-पिपरमिंट की कटाई का सही समय का उपयोग करना:-पिपरमेंट की उचित समय से कटाई करने से इसकी पैदावार गुणवत्ता अच्छी प्राप्त की जा सकती है 

वही समय मे विलम्ब होने पर पैदावार व गुणवत्ता में कमी देखने को मिलती है।

:-जल्दी  कटाई आरम्भ कर देनी से मेंथोल की मात्रा घट जाती हैं पैदावार में हानि होती है।

:-पौधे में फूल आने की दशा में इसकी पैदावार घटती है इससे पूर्व इसकी कटाई कर देनी चाहिए।

:-कटाई देर से आरम्भ होने की दशा में इसकी पत्तियां सूखने लगती हैं और तेल की मात्रा पर  प्रभाव पड़ता है।

13-,पिपरमेंट से तेल निकालने की विधि:-पिपरमेंट से तेल निकालने के लिए पौधों को एक ट्रोली में भरकर प्लांट पर पहुचा दिया जाता है फो एक होदी में भरकर आवस्यकता अनुसार पानी डाल कर दक्कन को ठीक से बंद करदें अब आग जलाने पर इसमें से भाप बन कर एक पाइप की सहायता से कैन में ले।लें । अब ये तेल पिपरमेंट का शुध्द तेल हैं।

4 घण्टे के भीतर एक ट्राली पिपरमेंट के पौधों से 20 लीटर शुद्द तेल प्राप्त किया जा सकता है।

14-पिपरमेंट से मुनाफा:-इससे प्राप्त तेल को अगर आप तुरंत बेचना चहाते हो तो आप सीधे बाजार में बेच सकते हो इसकी कीमत 3000 रु से 3500 रु लीटर की दर से आसानी से बेच सकते हैं।

प्रिय किसान भाइयों मुझे हैं कि पिपरमेंट की जानकारी आप को पसन्द आयी होगी तो इसे शेयर करें और इसे ही जानकारी के लिए हमसे जुड़ें हमारा पता है--


Babahindikisan.blogspot.com

      धन्यवाद आप का दिन शुभ हो







1 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें