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नमस्कार दोस्तों:एक बार फिर किसान बाबा हिंदी न्यूज़ में आप का स्वागत है आज आप के लिए एक और लेख के साथ उपस्थित हुआ हूँ। आज के इस लेख में हम बात करने वाले हैं,"लेमनग्रास की खेती कैसे करें" के विषय में तो बने रहिये हमारे साथ।

लेमनग्रास-की-खेती-कैसे-करें

                             लेमनग्रास की खेती कैसे करें

सामान्य जानकारी - भारत की  आधी आवादी किसी ना किसी रूप से खेती किसानी पर निर्भर है। भारत के किसान वर्षों से परम्परागत खेती करते आ रहे हैं। वही अधिकतर किसान पुराने तौर तरीकों से ही खेती करते आ रहे हैं। इस तकनीक से किसानों को लाभ के बजाय नुकसान ही उठाना पड़ता है। और कई वर्षों तक एक ही तकनीक से खेती करने पर उसकी उर्बरकता शक्ति का भी हास हो रहा है,मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व का स्थर निम्न होता जा रहा है। 

भारत में भी अब कुछ किसान जागरुक हो रहे हैं,और परंपरागत खेती का त्याग कर पिपरमेंट, लेमनग्रास,मशरूम जैसी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। लेमनग्रास की खास विशेषता यह है कि इसे किसे भी भूमि में उगाया जा सकता है।इसकी खेती सूखाग्रस्त इलाकों में भी आसानी से की जा सकती है। लेमनग्रास की खेती पर अधिक खर्चा भी नहीं आता वही राज्यों के हिसाब से भारत सरकार किसानों को एरोमा के तहत इस कि खेती को प्रसार भी कर रही है।

1:लेमनग्रास से बनने वाले प्रोडक्ट:-लेमन ग्रास बहुत ही खास गुणों वाला पौधा है इससे कई प्रकार के प्रोडक्ट्स बनाये जाते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा परफ्यूम, साबुन,डिटर्जेंट केक,हेयर आयल,कॉस्मेटिक,मच्छरों के तेल और औषधियों में भी उपयोग किया जा रहा है। लेमनग्रास के आयल में खुशबू की कारण इस प्रोडेट्स को भी सुगन्धित बना देते हैं। हालांकि लोग  लेमनग्रास टी के रूप में जानते हैं। किस्सनों के लिए इसकी खेती मुनाफे की खेती बनती जा रही है। लेमनग्रास की खेती का विस्तार होने से भारत में 600 टन लेमनग्रास के तेल का उत्पादन कर रहा है। भारत में लेमन ग्रास की गुणवत्ता के कारण विदेशों में हमारे आयल की माँग अधिक है।अधिक डिमांड होने से किसानों की इसका सीधा फायदा होगा।

भारत में लेमनग्रास की खेती केरल, तमिलनाडु,महाराष्ट्र,राजस्थान,पश्चिम बंगाल,कर्नाटक राज्यों में कई जा रही है।

2- लेमनग्रास के औषधीय गुण:-लेमनग्रास अपने आप में एक औषधीय पौधा है। इसमें कई प्रकार के पोषण तत्व मौजूद हैं। इसमें पोटेशियम,फास्फोरस,प्रोटीन, विटामिन,थायमिन,आयरन,सोडियम,मैग्नीशियम,कैल्शियम, कॉपर, जैसे तत्व अच्छी मात्रा में मौजूद हैं।

3-लेमनग्रास को उपयोग कैसे करें

लेमनग्रास का सूप बनाकर उपयोग किया जाता हैं।

●लेमनग्रास का उपयोग नॉन वेज बनाने में किया जा सकता है।

लेमनग्रास की चाय बनाकर भी स्तेमाल कर इसका आनन्द ले सकते हैं।

"लेमनग्रास की खेती कैसे करें"

● लेमनग्रास को नीबू के स्थान पर भी प्रयोग किया जा सकता है क्यों कि इसका स्वाद खट्टापन लिए हुए होता है इस कारण इसे लेमन नाम दिया गया है

4-लेमनग्रास के स्वास्थ्य लाभ:-

A-लेमनग्रास अपने आप में ही एक औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है।जिसमें  फंगल, कैंसर रोधक गुण पाये जाते हैं। लेमनग्रास कैंसर की कोशिकाओं को ग्रोथ को रोकता है। लेमनग्रास का उपयोग इसकी पत्तियों को चाय में ले सकते हैं।

B-लेमनग्रास का सेवन पेट से सम्बंधित रोगों में किया जा सकता  जिससे अनेक प्रकार की समस्याओं से निजात मिल सकती है। लेमनग्रास शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बूस्ट करता है। लेमनग्रास के सेवन से पाचनशक्ति बढ़ाने में सहायक है।

C-लेमनग्रास के तेल में औषधीय गुण पाये जाते हैं। जो नीद ना आने की समस्या को दूर किया जा सकता है।

D-लेमनग्रास एक बहुत उपयोगी पौधा है इसके सेवन से आप अपनी इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए उपयोग कर सकते हैं।

D-यदि आप मोटापे को लेकर परेशान हैं तो आप लेमनग्रास का सेवन कर सकते हैं इसके सेवन से शरीर से विषाक्त पदार्थों को मूत्र के रास्ते बाहर निकालने में बहुत ही सहायक है।

5-लेमनग्रास के सेवन से नुकसान:-

A-लेमनग्रास के अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता हैं इसके अधिक सेवन से शरीर में कमजोरी महसूस हो सकती है।

B-लेमनग्रास के अधिक सेवन से जी मिचलाने जैसी समस्या देखने को मिलती है चक्कर आने जैसे लक्षण देखने को मिलती है।

C-लेमनग्रास के लिमिट से अधिक सेवन कर लेते हैं तो आप को मूँह सूखने,प्यास अधिक लगने जैसी समस्या हो सकती है।

6-लेमनग्रास की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु एवं मिट्टी।(Suitable climate and soil for cultivation of lemongrass)

लेमनग्रास की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में कई जा सकती है। ध्यान रखना होगा कि जिस खेत में इसकी खेती करना चाहते हैं उस भूमि में जलभराव नहीं होना चाहिए।

इसकी खेती के लिए ऊष्ण जलवायु अति उत्तम रहती है। लेमनग्रास के पौधे को अधिक सूर्य प्रकाश की आवश्यकता होती है। सर्दियों के समय आसमान साफ होने से इसकी इसकी पैदावार में बढ़ोतरी देखने को मिलती है। वही सर्दियों में इसकी फसलको पाले से छति पहुँचती है। वर्षा के मौसम में लेमनग्रास के पौधे के लिए 200 से 225 सेंटीमीटर से वर्षा उपयुक्त रहती है।

लेमनग्रास के पौधे के लिए अधिकतम तापमान 25℃ से 35 @ तक इसके विकास के लिए उपयुक्त रहता है।

लेमनग्रास की खेती कैसे करें,लेमनग्रास का भाव

लेमनग्रास की खेती करने का तरीका

7-लेमनग्रास की अच्छी पैदावार के लिए उत्तम किस्में:-अच्छी पैदावार के लिए अच्छी किस्म का होना अति आवश्यक होता है वही लेमनग्रास के लिए अच्छी किसमे इस प्रकार हैं।

A-सिम्बोपोगान पेन्डूल्स:-लेमनग्रास की इस किस्म की पत्तियों का रंग हरा होता ,जिसके अंदर का रंग बादामी होता है। इस प्रजाति में प्रमाण व चिरहरित किस्में प्रमुख किस्में है। जो अच्छी पैदावार के लिए विख्यात हैं।

B-सिम्बोपोगान फ्लेक्यूओसस:-लेमनग्रास की इस प्रजाति पत्तियाँ सीधी होतीं हैं। इसके ट्यूब का मुख्य सिरा बादामी रंग का होता है। लेमनग्रास की इस प्रजाति में नीमा, कृष्णा, प्रगति प्रमुख किस्में हैं। जो अधिक उत्पादन के लिए जाना जाता है। यह किस्म राजिस्थान में उगाई जाती है।

C-लेमनग्रास की क्रॉस प्रजाति:-यह लेमनग्रास की एक शंकर किस्म की प्रजाति है। इस किस्म की पत्तियां पतली होती हैं तथा कम चौड़ी भी होती हैं।

8-लेमनग्रास की खेती के लिए खेत की तैयारी करना।(Preparing the field for the cultivation of lemongrass.)

लेमनग्रास की खेती के किये खेत की 2 से 3 जुताई अवस्य करनी चाहिए। खेती की मिट्टी को भुरभुरी करना आवश्यक है। खेत में गोबर की सडी खाद अवस्य डालें। खाद को पूरे खेत में अच्छी तरह से बिखेर कर पलेवा कर देना चाहिए। खेत में पाता लगाकर समतल कर लें। अब क्यारियों को तैयार करें। खेत में 80 किलो  N.P.K.खाद का डालें। इसके अलावा फसल की कटाई के बाद 30 किलो यूरिया खाद प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में लगाये। इससे पौधों में नई शाखाओ अतिशीघ्र निकलती हैं। जिससे पैदावार में वृद्धि होती है।

9-लेमनग्रास के पौधे लगाने का उचित समय।(Best time to plant lemongrass.)

लेमनग्रास की खेती के लिए उचित समय जुलाई से सितंबर के मध्य का समय उचित रहता है । इस समय पौधों की सिचाई की आवश्यकता नहीं होती और पौधों का विकास भी अच्छे से होता है।

10-लेमनग्रास के पौधों को रोपाई का तरीका।(Method of transplanting lemongrass plants.)

लेमनग्रास की खेत में बोवाई बीज और पौधों दोनों से की जा सकती है। किसान भाई यदि बीज के द्वारा करना चाहते हैं तो इसके लिए 3 से 3.5 किलो प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होगी। यदि आप लेमनग्रास की पौध से रोपाई करना चाहते हो तो इसके लिए खेत में क्यारियां तैयार करनी होगी जिससे बेड से बेड के बीच की दूरी 2 फुट के मध्य होनी चाहिए। पौधों को 1 फुट की दूरी पर लगाया जाता है।

11-लेमनग्रास के खेत की सिचाई व्यवस्था।(Irrigation system of lemongrass field.) लेमनग्रास की बोवाई वर्षा ऋतु में की जाती है, इस कारण इसके पौधे को सिचाई की आवश्यकता नहीं होती। फिर भी अच्छी पैदावार लेने के लिए समय-समय पर।सिचाई करते रहना चाहिए। लेमनग्रास के खेत की पहली सिचाई पौधों के रोपड के तुरंत बाद कि जानी चाहिए। जिससे पौधे के अंकुरण तक खेत में पर्याप्त नमी बनी रहे। लेमनग्रास के पौधे को ग्रीष्म ऋतु में अधिक सिचाई की आवश्यकता होती है। ग्रीष्म ऋतु 10 दिनों के बाद एक बार सिचाई अवस्य कर देनी होती है, वही शीत ऋतु में 25 दिनों के बाद सिचाई कर देनी चाहिए। लेमनग्रास की कटाई के बाद तुरन्त सिचाई के देनी चाहिए।

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                  लेमनग्रास की खेती करने का तरीका

12-खरपतवार नियंत्रण (weed control)

लेमनग्रास के पौधों को खेत में लगाने के 45 से 60 दिनों के भीतर खरपतवारों पर नियंत्रण किया जाना अति आवश्यक होता है। इस बीच खेत में निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए। लेमनग्रास के खेत की पहली निराई रोपाई से 15 दिनों के भीतर करदें। वही फसल कटाई के तुरन्त बाद निराई अवस्य करनी चाहिए।

वही रासायनिक तरीके से खरपतवारों पर नियंत्रण करना चाहते हो तो इसके लिए  डायूरान आक्सिफ्लोरफेन का खेत में स्प्रे कर देना चाहिए जिससे खरपतवार पर नियंत्रण किया जा सके।

13-लेमनग्रास के खेत की कटाई करना (Harvesting a field of lemongrass)

लेमनग्रास की फसल मो तैयार होने में तकरीबन70 से 100 दिनों का समय लगता है। इसके एक बार पौधे तैयार होने के बाद लगातार5 5 से 6 वर्षों तक कटाई कर मुनाफ कमा सकते हैं। लेमनग्रास के खेत की पहली कटाई 90 दिनों के बाद कि जा सकती है। लेमनग्रास की हर एक कटाई के बाद पैदावार में बड़ेत्तरी होती है,क्योंकि कटाई से नए कल्लों की संख्या अधिक हो जाती है। पौधे तैयार होने पर कटाई करते वक्त ध्यान देना होता है कि पौधों को 10 सेंटीमीटर ऊपर से कटान किया जाना चाहिए।

14-लेमनग्रास की पैदावार व लाभ (Lemongrass yield and benefits)

लेमनग्रास की पैदावार एक एकड़ खेत में 40 से 45 टन हरी घास तैयार हो जाती है। जिसे सुखाकर  विधि से 250 लीटर तेल प्राप्त किया जा सकता है। इसका तल 1000रुपये भाव से 250000 रु की कमाई की जा सकती है

प्रिय किसान भाइयों यह जानकारी केवल सूचनार्थ है इसके लाभ हानि का उत्तरदायित्व आप का होगा 

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