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सफेद मूसली की खेती कैसे करें

नमस्कार दोस्तों: किसान बाबा हिंदी न्यूज़ के एक और ब्लॉग में आप का स्वागत है। आज हम आप को सफेद मूसली की खेती की फुल जानकारी देने वाले हैं, तो आप बने रहिये हमारे साथ ब्लॉग को पूरा अवस्य पढ़ें आधी अधूरी जानकारी से आप को नुकसान हो सकता है और अपने जानकरों को शेयर करें।

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                                              सफेद मूसली की खेती की जानकारी

सफेद मूसली की सामान्य जानकारी:-

दोस्तों यदि आप भारतीय हैं तो आप ने सफेद मूसली के बारे में सुना ही होगा आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में सफेद मूसली को एक औषधीय गुणों वाला पौधा माना जाता है।इसमें कई गुण पाए जाते हैं। सफेद मूसली कई रोगों के उपचार में काम आती है। सफेद मूसली पेशाब संबंधी रोग बवासीर पीलिया जैसे गंभीर रोगों में उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली औषधि है। इसके अलावा सफेद मूसली शुगर के मरीजों को भी लाभकारी होती है। बाजार में अच्छी श्रेणी की सफेद मुसली ₹2000 तक के भाव में बिक जाती है।

प्राकृतिक तरीके से सफेद मूसली जंगलों में वर्षा के ऋतु में उगती है। इसकी फसल 8 से 10 माह में तैयार हो जाती है। इन पौधों की ऊँचाई 50 सेंटीमीटर तक होती है,तथा जमीन के अंदर 10 सेंटीमीटर तक होतीं हैं। सफेद मूसली की खेती अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। जो किसान भाई सफेद मूसली की खेती से किस्मत बदलना चाहते  तो यहाँ आप को पूरी मूसली की जानकारी दी जयेगी जैसे-  सफेद मूसली की खेती कैसे करें, how to cultivate safed musli, सफेद मूसली का भाव,price of safed musli,के बारे में बताया जा रहा है।

सफेद मूसली की खेती कैसे करें ?

1-सफेद मूसली की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी:Soil suitable for the cultivation of Safed Musli

सफेद मूसली की खेती के लिए रेतीली दोमट  मिट्टी अच्छी पैदावार के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसकी खेती काली मिट्टी, व लाल मिट्टी में भी आसानी से की जा सकती है। इसकी खेती के ये ph 7 से अधिक नहीं होना चाहिए। इससे अधिक पी एच मान वाली मिट्टी में कर रहे हैं तो इसकी पैदावार व गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो सकती हैं।

इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली भूमि का होना अति आवश्यक है। जल भराव की स्थिति में सफेद मूसली में रोग लगने की संभावना बनी रहती है। इसलिए सफेद मूसली की फसल को उपजाऊ भूमि में करना उचित रहता है। वही पथरीली भूमि में मूसली की जड़ें अधिक ग्रोथ नहीं कर पाती जिस कारण फसल प्रभावित होती है।

2-सफेद मूसली की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु-Suitable climate for the cultivation of Safed Musli.

सफेद मूसली की खेती के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। भारत में इसकी खेती गुजरात मध्य प्रदेश राजस्थान महाराष्ट्र प्रदेश आदि राज्यों में सफलतापूर्वक की जा रही है। इसकी खेती बारिश के मौसम में की जाती है, इस समय मौसम का तापमान सामान्य रहता है, इसी कारण सफेद मूसली की फसल के लिए विशेष तापमान की आवश्यकता नहीं होती,और मूसली की खेती में अच्छी पैदावार देखने को मिलती है।

3-सफेद मूसली की उन्नत किस्में। (Improved Varieties of Safed Musli)

भारत में सफेद मूसली की कई किस्में मौजूद हैं। यहाँ क्लोरोफाइटम ट्यूवरोजम और क्लोरोफाइटम वोरिविलीएनम की कई किस्मों की खेती की जा रही है। जैसे-एमडीबी-13, एमसीबी405,एमसीबी-413,एमसीटी-405 प्रमुख किस्में हैं। जो भारत में उगाईं जा रही हैं।

A-एमसीबी-405,412 प्रजाति की किस्म:- सफेद मूसली की इस किस्म की जड़ों की मोटाई बाकी अन्य किस्मों की जड़ों की मोटाई से अधिक होती है। इसकी जड़ों के छिलको को आसानी से उतारा जा सकता है। इस किस्म की पैदावार 1 एकड़ में 8 कुंटल तक आसानी से प्राप्त की जा सकती है।

B-सफेद मूसली की एमडीबी-13 व 13 किस्म:- सफेद मूसली की यह किस्म पैदावार में अच्छी मानी जाती है। इस किस्म की जड़ों का छिलका आसानी से उतर जाता है वहीं इनकी जड़ों की मोटाई एक समान रहती है। अन्य किस्मों की अपेक्षा इस किस्म की मूसली अच्छी कीमत में बाजार में बिकती है। इस किस्म के एक गुच्छे में 40 ट्यूबर्स तक होते हैं।इसलिए इसकी पैदावार भी अच्छी होती है। इसकी फसल एक एकड़ खेत में 6 कुन्तल तक प्राप्त की जा सकती है।

4-सफेद मूसली की खेती के लिए खेत की जुताई करना।plowing the field for safed musli cultivation.

सफेद मुसली की खेती के लिए विशेष जुताई की आवश्यकता नहीं होती। इसकी खेती को 2-3 से तीन बार जताई अवश्य कर देनी चाहिए। खेत की जुताई कर देने के बाद गोबर की सड़ी हुई खाद खेत में अवश्य डालें। इसके बाद खेत में पलेवा कर दें 10-15 दोनों के।बाद खेत को जोतकर अच्छी तरह मिला दें।

5-सफेद मूसली की खेती का बोवाई का उचित समय (Suitable time for sowing of Safed Musli)

मूसली की खेती के लिए बोवाई का उचित समय जुलाई से अगस्त के मध्य का समय उचित रहता है। यह मौसम वारिस का होने से मूसली के पौधों को बढ़ने के लिए उपयुक्त रहता है। इसकी बोवाई के लिए एक एकड़ खेत में 3 से 4 कुन्तल बोझ की आवश्यकता होती है। बीजों को खेत में रोपाई से पहले गोमूत्र में उपचारित किया जाना चाहिए।घोल बनाने के लिए 10 लीटर पानी में एक लीटर गोमूत्र से तैयार कर 3 घंटे के लिए बीजों को डुबो कर रखें। अब बीज खेत में लगने।के।लिए तैयार है।

6-सफेद मूसली खेत में रोपाई करने का तरीका।(transplant in Safed Musli field)

सफेद मूसली के बीजों को लाइनों में ही लगाना चाहिए। वही 2 लाइनों के बीच तकरीबन 25 सेंटीमीटर का अंतर होना चाहिए। बीज से बीज की दूरी 10 से 12 सेंटीमीटर की होनी चाहिए। खत में लगाई जाने वाली जड़ों में 2 आंख से कम न हो इस का ध्यान अवस्य रखा जाना चाहिए।

6-सफेद मूसली की खेती के लिए खाद उर्बरक प्रबंधन।(Manure Fertilizer Management for Safed Musli Cultivation)

प्रिय किसान भाइयों आप "सफेद मूसली की खेती कैसे करें"के बारे में जानकारी दी जा रही है। इस पैराग्राफ में खाद के विषय में जानकारी दी जा रही है। इसकी खेती के लिए अधिक खाद की आवश्यकता नहीं होती। यदि आप उर्बरक का प्रयोग कर रहे।हो तो मूसली की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इससे कम्पनियों आप।की फसल को नहीं पकड़तीं हैं और आप को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसकी फसल को खाद के रूप में बर्मिकम्पोस्ट का अधिक से अधिक उपयोग किया जाना चाहिए।

7-सफेद मूसली की खेती में सिचाई व्यवस्था।(Irrigation System in Safed Musli Cultivation)

मूसली।को खेत में लगाने के बाद सिचाई कर देनी चाहिए। इसकी फसल को वर्षा के ऋतु में सिचाई की आवश्यकता नहीं होती। ग्रीष्म ऋतु में सिचाई 15 दिनों के अंतराल पर अवस्य की जानी चाहिए।

8-सफेद मूसली की फसल में लगने वाले रोग व उपचार।(Diseases and treatment of white musli crop)

'सफेद मूसली।की खेती कैसे करें' के इस भाग में लगने वाले रोग व उपचार की जानकारी के विषय में बात करेगें जैसा कि मूसली की फसल में रोग ना के बराबर देखने को मिलते हैं यदि आप ने बीज को खेत में लगाने से पहले उपचारित किया हो।यदि ऐसा नहीं किया तो फफूँद व कवक जैसे रोगों का भय बना रहता है। यह कीटों के द्वारा लगने वाले रोग हैं।अगर फिर भी फसल में किसी रोग का प्रकोप दिखाई दे तो इस अवस्था   बायोधन दवा का स्प्रे अवस्य कर देना चाहिए। ट्राइकोडर्मा 4 किलो की मात्रा गोबर में मिश्रित कर बुरकाव अवस्य करे।

9-मूसली की फसल में खरपतवार नियंत्रण।(Weed control in Musli crop)

सफेद के खेत में खरपतवार उगने की सम्भावना अधिक रहती है। इसके लिए इसकी देखरेख की अधिक आवश्यकता होती है। मूसली को खेत में गलाने के 15 दिन के बाद निराई गुड़ाई अवस्य  जिससे खरपतवारों पर नियंत्रण किया जा सके इसके खरपतवार बाद पुनः खरपतवार आने पर निराई गुड़ाई करते रहें।

10-मूसली के खेत की खुदाई करना।(Digging the Muesli field)

सफेद मूसली की फसल फरवरी,मार्च में तैयार हो जाती है। कटाई आरम्भ करने से पहले फसल की जाँच कर निश्चय कर लेना चाहिए कि फसल अच्छे से पूर्ण रूप से तैयार हो चुकी है। इसकी पहचान फसल को देख कर किया जाना चाहिए पौधे के पत्ते सूख कर जमीन पर गिर जाते हैं। वही इस अवस्था में जड़ों के छिलके भी कठोर हो जाते हैं और जड़ों का रंग भी सफेद पड़ने लगता है।

                              सफेद मूसली की खेती

अब समझना चाहिए कि फसल पककर तैयार है इस अवस्था में खेत में हल्की सिचाई कर देने के बाद 4 से 5 दिनों के बाद खुदाई आरम्भ कर  ऐसा करने से जड़ें पूरी बाहर निकल जातीं हैं।

11-मूसली की जड़ों की सफाई करना।(cleaning muesli roots)

'सफेद मूसली की खेती कैसे करें' मूसली को खेत से निकालने के बाद इसकी साफ सफाई की जानी चाहिए इसके  चाकू की सहायता से जड़ों को पानी में डाल कर मिट्टी को हटा देना होता है। मूसली की जड़ों को छीलकर इसके बक्कल को अलग किया जाता है इससे इसका वास्तविक सफेद रंग निखर जाता है पैकिट में भर कर बाजार में सीधे बेचा जा सकता है। अधिक मुनाफा के लिए इसका पावडर बना कर डिब्बे में पैकजिंक कर अधिक मुनाफा लिया जा सकता है।

12-सफेद मूसली की पैदावार। (safed musli production)

"सफेद मूसली की खेती कैसे करें" इस भाग में इसकी पैदावार के विषय में बात करेंगे इसकी पैदावार एक एकड़ खेत में 5 कुन्तल तक कि उपज प्राप्त की जा सकती है। यदि इसकी बाजार कीमत 400रु/किलो भी मिल जाता है तो 40000×5=200000/ की होती है यदि इसकी लागत निकल कर 180000 रु शुद्द मुनाफा कमाया जा सकता है।


प्रिय किसान भाइयों यह जानकारी केवल सूचनार्थ है,इसके लाभ-हानि का उत्तरदायित्व स्वयं आप का होगा।

प्रिय पाठकों मुझे उम्मीद है कि आप को यह ब्लॉग पसन्द आया होगा तो इसे शेयर अवस्य करें ताकि जरूरतमंदों तक पहुँच सके और कमेंट बॉक्स में कमें करना ना भूलें ऐसी ही खेती से सम्बंधित जानकारी के लिए हमसे जुड़ें, हमारा पता है--

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                         धन्यवाद






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