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 Tejendra kumar singh

लौंग की खेती कैसे करें।How to Cultivate Cloves.लौंग का बाजार भाव।

प्रिय किसान भाइयों नमस्कार:किसान बाबा हिन्दी न्यूज़ में आप का स्वागत है,भाइयों इस लेख में हम लौंग की खेती के बारे में बताने वाले हैं।जैसे लौंग की खेती कहाँ की जा सकती है,कैसे की जाती है आदि तो आप इस लेख को पूरा अवस्य ही पढ़ें अच्छा लगे तो इसे लेख को शेयर भी कर दें।

How-to-Cultivate-Cloves
                               How to Cultivate Cloves

लौंग की सामान्य जानकारी:-लौंग को भारतीय मशाले के रूप में प्रयोग किया जाता है,और इसकी खेती को मशाला खेती के रूप में जानी जाती है।लौंग को खासकर खाने के रूप में उपतोग में लाया जाता है।लौंग को भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी काफी महत्व है।इसकी तासीर अधिक गर्म होती है,इस कारण सर्दियों के मौसम में सर्दी-जुखाम होने पर इसका कड़ा पीने से काफी आराम मिल जाता है।

लौंग को उपरोक्त के अलावा हिन्दू धर्म में हवन पूजन में भी इस्तेमाल किया जाता है।लौंग एक सदाबहार पौधा होता है।इसका पूर्ण विकसित पौधा कई वर्षों तक पैदावार देता रहता है,और 140 से 150 वर्षों तक जीवित बना रहता है।इसी लिए किसान इसकी खेती कर लम्बे समय तक लाभ ले सकते हैं।हम आप को इस लेख में "लौंग की खेती कैसे करें" (How to Cultivate Cloves) से सम्बंधित पूरी जानकारी प्रदान करने वाले हैं।

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लौंग के तत्व:-लौंग में मौजूद तत्वों का विश्लेषण किया जाए तो इसमें कार्बोहाइड्रेट,प्रोटीन, वसा, खनिज पदार्थ, हाइड्रोक्लोरिक एसिड, कैल्शियम, फास्फोरस,पोटेशियम,सोडियम,आयरन, थायमिन राइबोफ्लेविन,नियासिन,विटामिन'सी'और 'ए' जैसे 

लौंग की खेती का तरीका(Clove cultivation method)                ---------------------------------------------

1-लौंग की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु, मिट्टी व तापमान:-लौंग की अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी तथा सम कटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है।इसकी खेती को अच्छी जल निकासी वाली भूमि की आवश्यकता होती है यानी खेत में जल का ठैराव नहीं होना चाहिए।जल भराव की स्थिति में पौधों के खराब होने की शंका बनी रहती है।लौंग की खेती को सामान्य वर्षा की आवश्यकता होती है,वही अधिक तेज धूप और सर्दियों में गिरने वाला पाला इसके पौधों के लिए हानिकारक होता है।पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए छायादार स्थान और 30 से 32 ℃ तापमान की आवश्यकता होती है।लौंग की खेती के लिए भूमि का ph मान सामान्य होना चाहिए।

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                                 How to Cultivate Cloves

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2-लौंग की खेती के लिए खेत तैयार करना:-लौंग का पौधा विकसित हो जाने पर लगभग 140 वर्षों तक पैदावार देता रहता है,परन्तु लौंग की अच्छी पैदावार 25 वर्ष तक ही रहती है।इस कारण लौंग की फसल करने से पहले इसके खेत को अच्छी तरह से तैयार अवस्य कर लेना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले तिरछी गहरी जुताई की जानी चाहिए।इससे पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो सकें।इसके बाद खेत में रोटावेटर से 2 से 3 जुताई कर दें,ऐसा करने से खेत की मिट्टी भरभूरी हो जाएगी,इसके बाद एक बार फिर जुताई कर पाटा लगादें।पाटा लगाने से खेत पूरी तरह समतल हो जाएगा,और पानी का ठैराव कदापि नहीं हो सकेगा।

इसके बाद खेत में 15 से 18 फ़ीट की दूरी रखते हुए 1 मीटर चौड़े व्यास और 1.5 मीटर गहरे गड्ढे को तैयार कर लेना होता है।इन गड्ढे को तैयार करते वक्त प्राकृतिक और रासायनिक उर्बरक की उचित मात्रा को मिट्टी में मिलाकर गड्ढे में भर दें।मिट्टी को गड्ढे में भरने के पश्चात उसकी सिचाई कर देनी चाहिए,जिससे पानी अच्छी तरह से अन्दर तक पहुंच सके।अब आप के गड्ढे पौधे लगाने के लिए तैयार हैं।

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                                   Clove Plant

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3-लौंग के पौधों को रोपाई का उचित समय व तरीका:-लैंग के पौधों को रोपाई से पहले उसके बीजों से पहले पौधों को तैयार किया जाता है।बीजों को पौधे तैयार करने से पहले बीजों को उपचारित अवस्य कर लेना चाहिए।क्योंकि लौंग के बीजो से पौधों को तैयार करने में 2 वर्ष का समय लग जाता है।यदि आप चाहे तो इसके पौधों को किसी सरकारी नर्सरी केंद्र से भी खरीद सकते हैं,ऐसा करने से आप का समय भी बचेगा और पैदावार भी अच्छी मिलेगी।लौंग के तैयार पौधों को बरसात के मौसम में लगाना उपयुक्त माना जाता है।

इस दौरान सिचाई की भी कम आवस्यकता होती है,तथा मौसम में आद्रता बनी रहती है,जो पौधे के अंकुरण के लिए अधिक फायदेमंद रहता है।लौंग के पौधों को खेत में तैयार गड्ढों में लगाया जाता है,इससे पहले इन गड्ढों में एक छोटा सा गड्ढा बना लिया जाता है,फिर इन छोटे गड्ढों में पौधों को लगाकर मिट्टी से अच्छी तरह से भर दिया जाता है।लौंग की खेती मिश्रित खेती की तरह ही की जाती है।इस कारण इसके पौधों को अखरोट या नारियल के बगीचे में भी उगाया जा सकता है।इससे पौधों को छायादार वातावरण प्राप्त हो जाता है जो लौंग के पौधों के विकास के लिए आवश्यक होता है।

4-लौंग के खेत की सिचाई:-लौंग की फसल को अधिक सिचाई की आवश्यकता होती है।प्रथम सिचाई को पौधों की रोपाई के बाद अवस्य की जानी चाहिए।यदि पौधों मो बरसात के मौसम में स्थापित किया गया है तो सिचाई आवश्यक होने पर ही की जानी चाहिए।इसके बाद जिस फसल को गर्मियों में लगाया गया है उन्हें सप्ताह में कम से कम एक बार सिचाई अवस्य की जानी चाहिए,और सर्दियों में इसके पौधों को 15 से 18 दिन के अंतराल में सिचाई करते रहना चाहिए।

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5-लौंग के पौधों के लिए उचित खाद व उर्बरक:-लौंग की फसल से अच्छे उत्पादन के लिए इसके।पौधों को उचित मात्रा में खाद व उर्बरक देना आवश्यक होता है।खेत में गड्डों को तैयार करते समय 10 से 15 किलो सड़ी गोबर की खाद व 100 ग्राम एन पी के की मात्रा को मिट्टी में अच्छे से मिलाकर गड्डों को भरते समय डालना चाहिए।इन गड्डों को पौधा लगाने से 1 महीने पहले तैयार कर लेना चाहिए।इसके पौधों में उर्बरक कई मात्रा पौधे के विकास के साथ बढ़ाते रहना चाहिए,तथा पौधों को खाद देने के पश्चात हर बार सिचाई अवस्य की जानी चाहिए।

6-लौंग के खेत में खरपतवार नियंत्रण:-लौंग के खेत में भी खरपतवारों पर नियंत्रण किया जाना आवश्यक होता है।इसके लिए पौधों की रोपाई से 10 से 25 दिन बाद खेत में खरपतवार दिखने पर उनको प्राकृतिक तरीकों से निराई-गुड़ाई कर हटाते रहना चाहिए।इसके बाद जब भी आप को खरपतवार दिखाई दे उस समय गुड़ाई कर खरपतवारों को निकाल दें।

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7-लौंग की फसल से अतिरिक्त मुनाफा:-लौंग के पौधों मो खेत में लगाने के बाद पूर्ण रूप से विकसित होने में 4 से 5 वर्ष का समय लग जाता है। इसी समय यदि आप चाहे तो पौधे से पौधे के बीच में खाली जमीन पर कन्दवर्गीय औषधियां,मशाले,व अन्य फसलों को आसानी से कर अतिरिक्त कमाई भी की जा सकती है।यदि आप ऐसा करते हैं तो आप को आर्थिक तंगी का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।लौंग से मुनाफा प्राप्त होने तक आप इन फसलों से कमाई कर खर्चा निकाल सकते हैं।

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8-लौंग के पौधों में लगने वाले रोग व रोकथाम:-लौंग की फसल में बहुत ही कम रोगों का प्रकोप देखने को मिलता है। कुछ कीट रोग ऐसे होते हैं,जो पौधों की पत्तियों को खाकर उन्हें नष्ट कर देते हैं।लौंग में लगने वाले प्रमुख रोग निम्न प्रकार से है-सफेद मक्खी,रेंगने वाली सुडी, इसके अतिरिक्त खेत में लानी का ठैराव होने पर भी पौधों में जड़ सडन रोग देखने को मिलते हैं।इन रोगों के बचाओ के लिए खेत में पानी का ठैराव कदापि ना होने दें।

9-लौंग के फसल की तुडाई:-लौंग के पौधे खेत में रोपाई से लगभग 4 से 5 वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद पैदावार देना प्रारम्भ कर देते हैं।लौंग की फसल पौधे में गुच्छे की भांति लगते हैं,जो दिखने में गुलाबी रंग के होते हैं।इनके फूलों को खिलने से पहले तोड़ लेना होता है।इसका फल अधिकतम 2 सेमी का होता है जो सूखने के बाद लौंग का रूप ग्रहण कर लेता है।

10-लौंग की फसल से पैदावार:-लौंग की पैदावार शुरुआती समय में काफी कम प्राप्त होती है।लेकिन एक बार लौंग का पौधा पूर्ण विकसित हो जाने पर इसके एक पौधे से तकरीबन 2 से 2.5 किलो लौंग प्राप्त की जा सकती है।लौंग का बाजार भाव 1000 से 1200 ₹के मध्य रहता है तथा एक एकड़ खेत से लगभग 100 से 120 पौधे तैयार हो जाते हैं।इस लिहाज से किसान भाईलौंग की खेती से 3 से 1.25 लाख ₹ तक का मुनाफा आसानी से अर्जित कर सकते हैं।

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लौंग की खेती खान होती है:-देश के सभी हिस्सों में लौंग की खेती की जा सकती है,लेकिन इसकी खेती तटीय रेतीले इलाकों में नहीं कि जा सकती।लौंग की खेती केरल की लाल मिट्टी और पश्चिम घाट के पर्वत वाले वाले इलाकों में कई जा सकती है।

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अस्वीकरण:-

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लौंग की खेती कैसे करें

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