Tejendra kumar singh
जाने काली मिर्च की खेती का तरीका और कमाएं लाखों का मुनाफा।How to Cultivate Black Pepper
प्रिय किसान भाइयों नमस्कार: किसान बाबा हिन्दी न्यूज़ में आप का स्वागत है,जैसा आप सभी जानते हैं कि खेती एक घाटे का सौदा बनती जा रही है लोग खेती करने से हट रहे हैं इसी बीच हम आप के लिए एक सुझाव लेकर आये हैं बो है "काली मिर्च की खेती" यदि आप भी इसकी खेती करना चाहते हैं तो यह लेख आप के लिए है,बस आप को इसे पढ़कर समझना है और इस की खेती से आप साल में लाखों का मुनाफा कमा सकते हो।
How to Cultivate Black Pepperकाली मिर्च की खेती की सामान्य जानकारी:-काली मिर्च की विश्व बाजार में बढ़ती माँग के कारण इसकी खेती से लाखों रुपये कमाने का मौका आप के पास है।किसान भाई इसकी खेती से अच्छी इनकम कर सकते हैं।भारत में प्रतिवर्ष 25 करोड़ रुपये की काली मिर्च का निर्यात किया जा रहा है।इन्हीं आंकड़ों के आधार पर इसकी खेती करने से किसी प्रकार का जोखिम नहीं है।भारत में अधिकतर इसकी खेती दक्षिणी भाग में की जा रही है।छत्तीसगढ़ के किसान भी इसकी खेती से अच्छा मुनाफा ले रहे हैं।यदि इसकी खेती को जैविक तरीके से की जाए तो काफी ज्यादा पैदावार की जा सकती है।तो चलिए समझते हैं काली मिर्च की खेती के बारे में।
काली मिर्च की जानकारी:-वनस्पति विज्ञान में ब्लैक पिप्पली कुल के मारिचपिप्पली नामक लता जैसे दिखाई देने वाले सदाबहार पौधे के अधपके और सूखे फलों का नाम ही काली मिर्च है।पके हुए सूखे फलों को छिलकों से प्राप्त कर गोल आकार दिया जाता है जिसका व्यास लगभग 5 से 6 मिमी होता है।यह मिर्च मशाले के रूप में जानी जाती है।
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काली मिर्च का पौधा:-इसके पौधे की पत्तियाँ दिखने में आयताकार नजर आतीं हैं।इन पत्तियों की लंबाई 12 से 16 सेमी की होती हैं और 5 से 8 सेमी की चौड़ाई धारण किये हुए रहती हैं।इनकी जड़ें उभरी हुई होतीं हैं।काली मिर्च के पौधे की जड़ें 2 मीटर मि गहराई तक जाती हैं।काली मिर्च का पौधा एक झाड़ के रूप में दिखता है।
भारत में काली मिर्च की खेती:-भारत में काली मिर्च का मुख्य उत्पादन क्षेत्र दक्षिण भारत में माना जाता है,इसके अलावा मालावार, कोचीन,महाराष्ट्र मैसूर व असम के सिलहट,व खासी के पहाड़ी इलाकों में की जाती है।इस समय इसकी खेती छत्तीसगढ़ में भी की जाने लगी है।भारत के बाहर काली मिर्च की खेती इंडोनेशिया,इंडोचीन,लंका आदि इसकी खेती की जाने लगी है।
काली मिर्च के तत्व व उपयोग:-भारतीय आयुर्वेद के मुताबिक काली मिर्च की तासीर गर्म होती है।इसके दानों में 6 से 9 % तक पिपेरिन,पिपरिडीन और चेविसिन नामक एल्केलाइडो के अतिरिक्त एक विशेष प्रकार का सुगन्धित तेल 1-1.5 % तक व 125 %तक स्टार्च पाया जाता है।काली मिर्च सुगन्धित, उत्तेजक और स्फूर्तिदायक वस्तु है। भारतीय आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सा पद्धति में इसका उपयोग कफ,वात,श्वास अग्निमांद्य उन्नीद्र रोगों में बताया गया है।भूख जो बढ़ाने और ज्वार को शान्त करने के लिए दक्षिण में इसका काढा बनाकर पिलाया गया है।भारतीय भोजन में मशालों के रूप में इसका उपयोग किया जाता है।पश्चिमी देशों में इसका विशेष प्रयोग मांस की डिब्बाबंदी में खाद्य पदार्थों में परिरक्षण के लिए और मशालों के रूप में भी बहुतायत किया जाता है।
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सफेद व काली मिर्च में अन्तर:-सफेद और काली मिर्च दोनों ही एक ही किस्म के दो अलग-अलग फल है।जिसकी कटाई फसल के पकने से पहले हो जाती है वह सफेद मिर्च बन जाती है।अपने रंग की बजह से इन मिर्चों का उपयोग भिन्न हो जाता है।
सफेद व काली मिर्च का उपयोग:-सफेद मिर्च का उपयोग आमतौर पर हल्के भजन में किया जाता है।जैसे सूप,सलाद,परहेजी भोजन के लिए वही काली मिर्च का उपयोग तीखे पकवान बनाने में जैसे मांस,मछली,व जंगफूड में किया जाता है।
काली मिर्च की खेती कैसे करें-
काली मिर्च की खेती को करना बहुत ही आसान है,इसके लिए कोई विशेष ट्रेनिंग व प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है।कोई भी किसान इसकी खेती कर सकता है।काली मिर्च की खेती जैविक खेती के रूप में की जाए तो काफी ज्यादा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
1-काली मिर्च की खेती के लिए भूमि,जलवायु व तापमान:-काली मिर्च की खेती के लिए लाल लेटराइट मिट्टी और लाल मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है।जी खेत में काली मिर्च की खेती की जाती है,उस खेत की मिट्टी में जल धारण करने की क्षमता होनी चाहिए।भूमि का ph मान 5 से 6 के मध्य होना अच्छा रहता है।काली मिर्च की खेती के लिए मौसम का सम होना उत्तम माना जाता है।अच्छी पैदावार के लिए तापमान 10 से 12 ℃ होना आवश्यक है।इससे निम्न के तापमान में इसके पौधे विकास नहीं कर पाते हैं।
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2-काली मिर्च रोपाई का उचित समय:-काली मिर्च का कलम द्वारा रोपड़ अगस्त से सितंबर माह के मध्य में किया जाता है। रोपड़ करने के बाद हल्की सिचाई अवस्य की जानी चाहिए।
रोपड़ का तरीका:-काली मिर्च के पौधों को रोपड़ करने के लिए कलम का उपयोग किया जाता है।इसकी एक या दो कलमों को काटकर खेत में रोपित कर दिया जाता है।खेत में काली मिर्च के कलमों को एक कतार में लगाना चाहिए।कलमों को कतार में लगाते समय इनके बीच की दूरी का विशेष ध्यान रखना चाहिए,ताकि इनके पौधों को विकास करने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके।लगभग एक हेक्टेयर भूमि में 1600 पौधे लगाए जाने चाहिए।काली मिर्च की बेल को चढ़ाया जाता है सहारा मिलने पर 30 से 40 फिट की ऊँचाई तक जा सकती है।इसके फलों को आसानी से प्राप्त करने के लिए इसकी बेल को केवल 8 से 9 फ़ीट तक ही चढ़ाना चाहिए।काली मिर्च का एक पौधा कम से कम 25 से 30 वर्षों तक फलता फूलता रहता है।इसकी फसल को छाया की आवश्यकता नहीं होती।
4-काली मिर्च की खेती के लिए खाद व उर्बरक का उपयोग:-
●-खाद की मात्रा 5 किलो मिलाना चाहिए।काली मिर्च के खेत का ph मान के मुताबिक अमोनिया सल्फेट और नाइट्रोजन को मिलाकर खेत में डालना चाहिए।काली मिर्च की फसल में 100 ग्राम पोटेशियम,750 ग्राम मैग्नीशियम सल्फेट,की मात्रा को भूमि में मिला देना चाहिए।जिस भूमि में एम एसिड होता है उस भूमि में 500 ग्राम डोलोमिटिक चूना को 2 साल में एक बार अवस्य देना चाहिए।
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●-काली मिर्च की जैविक खेती में परम्परागत प्रजातियों के इस्तेमाल किया जाता है।जो फसल को कीटों,सूत्रकृमियों तथा रोगों से बचाव करने में समर्थ होतीं हैं।क्योंकि जैविक खेती में किसी भी प्रकार का कृत्रिम रासायनिक, उर्बरक,कीटनाशक दवाओं या कवकनाशी का उपयोग नहीं किया जाता है।इसलिए उर्बरकों कि कमी को पूरा करने के लिए फार्म के सभी फसलों के अवशेष हरी घास,हरी पत्तियां,गोबर व मुर्गी खाद का उपयोग किया जाता है।
●-इन पौधों की आयु के अनुसार इसमें एफ.वाई.एम.5-10 किलोग्राम प्रति पौधा केचुआ खाद या पत्तीयों के अवशेष 5 से 10 किलो प्रति पौधा दिया जाता है।मृदापरिक्षण के आधार पर फास्फोरस और पोटेशियम न्यूनतम पूर्ति करने के लिए पर्याप्त मात्रा में चूना,रॉक फॉस्फेट और बुझी राख का उपयोग किया जाता है।
●-इसके अतिरिक्त उर्वरकता व उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए ऑयल केक जैसे नीम केक 1किलो प्रति पौधा, कम्पोस्ट कोयर पीथ 2 किलो प्रति पौधा,दिया जाता हैं।पोषक तत्वों के अभाव में फसल की पैदावार प्रभावित हो सकती हैं।मानकता सीमा या संगठनों के प्रमाण के आधार पर पोषण तत्वों के स्त्रोत खनिज /रसायनों को मृदा या पत्तियों का किया जा सकता है।
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5-रोपाई का समय:-काली मिर्च की खेती वर्षा पर आधारित है। वर्षा ना होने की अवस्था में इसकी हल्की सिचाई करनी चाहिए,उसके बाद आवश्यकता अनुसार सिचाई करते रहना चाहिए।पौधा रोपड़ के तुरन्त बाद हल्की सिचाई अवस्य की जानी चाहिए।
6-काली मिर्च की फसल में रोग एंव किट:-जैविक खेती में रोगों,सूत्रकृमियों,का प्रबंधन और जैव कीटनाशक,जैव नियंत्रण कारक,आकर्षण और फाइटोसैनिटरी उपायों का उपयोग करके किया जाता है।21 दिनों के अंतराल में नीम गोल्ड (.6 %) को छिड़काव किया जाता है।इससे पोल्लू कीट को भी नियंत्रित किया जा सकता है।शल्क कीटो को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक बंधित शाखाओं को उखाड़कर नष्ट कर देना तथा नीम गोल्ड (.6%) या मछली के तेल की गन्धराल 3% का छिड़काव करना चाहिए।
●-कवक द्वारा उतपन्न रोगों का नियंत्रण ट्राइकोडर्मा या प्यायूडोमोन्स जैव नियंत्रण कारकों को मिट्टी में उचित वाहक मीडिया जैसे कोयरपीथ कम्पोस्ट,सूखा हुआ गोबर या नीम केक के साथ उपचारित करके किया जा सकता है।इसके अलावा अन्य रोगों पर नियंत्रण के लिए 1त्न बोर्डियोन मिश्रण तथा प्रति वर्ष 8 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से कॉपर का छिड़काव किया जा सकता है।
7-काली मिर्च की फसल पकने के समय व उत्पादन:- काली मिर्च के पौधे पर जुलाई के मध्य सफेद और हल्के पीले रंग के फूल निकलते हैं।जनवरी से मार्च माह के अवधि में फल पककर तैयार हो जाते हैं।ये फल गोल आकार में 3 से 5 मिमी व्यास के होते हैं।फल सूखने पर हर पौधे में से 4 से 5 किलो सूखी काली मिर्च प्राप्त हो जाती है।इसके पौधों के हर एक गुच्छे से 50 से 60 दाने लगे रहते हैं।पूर्ण रूप से पकने के बाद इन गच्छों को उतार कर जमीन पर विछाकर रख दिया जाता है।इसके बाद हथेलियों की मदद से रगड़ा जाता है,जिससे इनके दानों को अलग किया जा सके।गुच्छे से दानों को अलग करने के बाद इन्हें 5 या 6 दिनों तक धूप में सुखा लिया जाता है।जब काली मिर्च के दाने पूरी तरह सूख जाने के बाद इन पर सिकुड़न आ जाती है और इनपर झुर्रियां की उभार दिखने लगती है,साथ ही इन दानों का रंग गहरा काला हो जाता है।इस अवस्था में यह काली मिर्च बाजार में बेचने के लिए भेज दिया जाता है।
8-काली मिर्च से सफेद मिर्च तैयार करना:-सफेद मिर्च तैयार करने के लिए पकी हुई काली मिर्च को पानी में 7 से 8 दिनों के लिए भिगोकर रख दिया जाता है।इसके बाद जब मिर्च अच्छी तरह फूल जाती हैं तो उसका बाहरी कवर को हटा दिया जाता हैं,और अंदर से सफेद रंग की दिखने लगती है। इसके बाद उसे सुखा लिया जाता है।काली मिर्च और सफेद मिर्च की अलग-अलग पैकिंग की जाती है।मिर्च की पैकिंग के लिए प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।काली मिर्च खराब ना हो इसके लिए पूर्णतः सुखाकर ही पैकिंग की जानी चाहिए।
9-काली मिर्च के उत्पादन में सावधानी:-काली मिर्च के फल को तोड़ने के बाद विभिन्न प्रकार की क्रियाएँ जैसे-थ्रेशिंग,मिर्च को उबालना, उसे सुखाना,सफाई करना,ग्रेडिंग व पैकिंग की जारी है।यह क्रियाएँ बहुत ही ध्यानपूर्वक की जानी चाहिए।फसल मि गुणवत्ता बनी रहे इसके लिए हर जगह सावधानी बरतनी चाहिए।उपरोक्त सभी क्रियाएँ शुचारू रूप से और समय से सम्पन्न होगी तो ही मिर्च की गुणवत्ता रहेगी।
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10-काली मिर्च को सुखाना:-
●जब काली मिर्च को तोड़ा जाता है तो उसमें 60 से 65 % तक मॉश्चराइज होता है। इसे सुखाने के बाद इसमें मौजूद जमी 10 % तक ही शेष रहती है।मिर्च को सुखाते समय फनोलेश एन्जाइम का उपयोग करने से वातावरणीय ऑक्सीजन द्वारा एन्जाइम और फिनोलिक यौगिकों का ऑक्सीकरण के कारण हरी काली मिर्च का काला रंग हो जाता है।पहले इसे सूर्य की धूप में ही सुखाना चाहिए।
●अगर इसमें 10 %से अधिक मॉश्चर रहता है तो इसके खराब होने की समस्या बनी रहती है।जो मि मनुष्य के शारिरिक के लिए हानिकारक हो सकती है।काली मिर्च की लगभग 33 से 36 % सूखी उपज प्राप्त होती है।मिर्च को सुखाने के लिए इलैक्ट्रिक ड्रायर भी उपलब्ध हैं जीका इस्तेमाल से आप दानों को अच्छे से सूखा सकते हैं।
11-ग्रेडिंग:-इसके बाद ग्रेडिंग की प्रक्रिया सम्पन्न होती है।जिसमें काली मिर्च को डालकर साफ किया जाता है।इस प्रक्रिया से सारी गंदगी हवा ।के। उड़कर बाहर चली जाती है,शेष बची साफ काली मिर्च प्राप्त हो जाती है।
12-पैकिंग करना:-उपरोक्त प्रक्रिया के बाद काली मिर्च की पैकिंग की जाती है,जिसमें यह ध्यान रखना होता है कि जिसमें पैकिंग की जा रही काली मिर्च वायु अवरोधी होना चाहिए,ताकि मिर्च की गुणवत्ता कायम रहा सकें।
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13-काली मिर्च की पैदावार और मुनाफा:-काली मिर्च के एक झाड़ से लगभग 8000₹ की आमदनी की जा सकती है।इसकी खेती में किसानों को ज्यादा शारिरिक मेहनत करने की भी आवश्यकता नहीं होती।गत वर्ष घरेलू बाजार में काली मिर्च के भाव 400 से 450₹ प्रति किलो रहता है। इसी मिर्च का भाव 400 भी ले लिया जाए और आप अपने खेत में 400 झाड़ लगाते हैं तो भी 10सौ लाख रुपये मुनाफा कमा सकते हैं।
"How to Cultivate Black Pepper"
अन्य टैग:-
(काली मिर्च का पौधा कितने दिन में फल देने लगता है)
(काली मिर्च की खेती कहाँ होती है)
(काली मिर्च 1 Kg price)
(भारत में काली मिर्च की खेती)
(छत्तीसगढ़ में काली मिर्च की खेती)
(काली मिर्च की खेती कब की जाती है)
अस्वीकरण:-
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