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 Tajender Kumar Singh

अदरक की खेती कैसे करें,जाने कम लागत में लाखों कमाने का तरीका।

How to Cultivate Ginger, Know the way to earn lakhs in low cost.

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                                  how to cultivate ginger

प्रिय दोस्तों किसान बाबा हिंदी न्यूज़ के एक और लेख में आप का स्वागत है। इस लेख के माध्यम से अदरक की खेती कौसे करें के विषय में पूरी जानकारी देने बाले हैं ,तो आप इस लेख को पूरा अवश्य पढ़ें,इस लेख को जरूरतमंद दोस्तों को शेयर अवश्य करें।

अदरक की सामान्य जानकारी:- अदरक की खेती प्रमुख रूप से उष्ण कटिबंधीय पेटी में अधिक की जाती है। इसके पौधों को एक कन्द के रूप में खती की जाती है। अदरक का प्रयोग प्रमुख रूप के खाने के मशाले के रूप में किया जाता है। अदरक का उपयोग चाय में,और अनेक प्रकार के व्यंजनों में भी किया जाता है। इसके उपयोग से भोजन स्वादिष्ट व खुशबूदर बनाने में भी किया जाता हैं। इसे सुखाकर सोंठ व औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। अदरक का उपयोग आयुर्वेद में जुखाम, खाँसी, पीलिया, पेटदर्द में भी किया जाता है।अदरक की खेती कैसे करें,जाने कम लागत में लाखों कमाने का तरीका

1-भारत में अदरक की खेती :-भारत में अदरक की खेती का क्षत्रफल एक 1.30 लाख हेक्टेयर है।भारत में विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख स्रोत है।भारत में विश्व के उत्पादित आधे भाग की पूर्ति करता है। भातर में। हल्की अदरक की खेती मुख्य रूप से कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश, असम पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, हिमाचल, मध्यप्रदेश, व उत्तराखंड में प्रमुख व्यावसायिक फसल के रूप में उगाई जाने बाली फसल है।

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2- उत्तर प्रदेश में अदरक की खेती:-उत्तर प्रदेश में मीसण भाई अदरक की खेती से अच्छा मुनाफा अर्जित कर अपना जीवन सवार रहे हैं।इसकी खेती सहारनपुर, मुरादाबाद, शामली, मेरठ,बरेली आदि जिलों में कई जा रही है।

3- अदरक की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु:-अदरक की खेती प्रमुख रूप से गर्म व अर्द्ध जलवायु बाले स्थानों लर आसानी से मई जाती है।मध्यम वर्षा अदरक की खेती के लिए उपयुक्त रहती है। जोकि अदरक की गांठों(अंकुरण) के लिए आवश्यक है। इसके बाद पौधे की वृद्धि के लिए थोड़ी अधिक वर्षा की और खुदाई से पहले शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है। वही अगेती फसल अदरक की खेती के लिए  उचित रहता है।इसकी अच्छी खेती के ये औसत तापमान 25℃ वही ग्रीष्मकालीन 35℃ तापमान की आवश्यकता होती है। इसकी खेती अन्तरवर्तीय खेती के रूप में कई जाती है।अदरक की खेती कैसे करें,जाने कम लागत में लाखों कमाने का तरीका

4- अदरक की खेती के लिए भूमि का चयन:- अदरक की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी निसमें जिसमें जीवाश्म व कार्बनिक पदार्थों की मात्रा हो,ऐसी भूम अदरक की खेती के लिए उत्तम मानी जाती है। अदरक की फसल की मृदा का Ph मान5 से 6 के मध्य होनी चाहिए। ध्यान रखें मि अदरक की खेती बाली भूमि में जल भराव कदापि नहीं होना चाहिए। एक ही भूमि में एक ही फसल होने से भूमि जनित रोग व कीटों में वृद्धि देखने को मिलती हैं।इस कारण हमेशा फसल चक्र को अपनाना चाहिए। उचित जलनिकास ना होने से कन्दों का विकास ठीक से नहीं हो पाता है।

5- अदरक की उन्नत किस्में:-उत्पादन व गुणवत्ता के लिहाज जे  अदरक की किस्मों को दो भागों में विभाजित किया गया है। जिसमें स्थान और उत्पादन के लिए शंकर किस्म व देशी किस्मों को उगाया जाता है। जिनका विवरण निम्न प्रकार है।

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शंकर प्रजाति की किस्में:-यह किस्म शंकरण माध्यम से मई जाने वाली किस्म है। जो अधिक पैदावार के लिए की जाती है।

(A)- सुप्रभा:-अदरक की सुप्रभा किस्म के पौधों में ओलि ओरोसिल 7 % मात्रा पाई जाती है। अदरक की यह किस्म 220 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसमें निकलने बाले रेशों की मात्रा अधिक पाई जाती है जो हेक्टेयर के हिसाब से 15 से 16 टन की पैदावार आसानी से प्राप्त हो जाती है।अदरक की खेती कैसे करें,जाने कम लागत में लाखों कमाने का तरीका

(B)आई आई एस आर महिमा- अदरक की इस किस्म पैदावार के हिसाब से आशिक उगाई जाने वाली किस्म की श्रेणी में सुमार मिया जाता है। इस किस्म में रेशों की मात्रा अधिक पाई जाती है। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 15 टन की मिल जाती है।

अदरक की साधारण किस्म:-अदरक की शंकर किस्मों से इस किस्म की पैदावार कम रहतीं हैं और इस प्रकार की किस्मों में ओरिसिन की मात्रा भी अधिक  पाई जाती हैं कुछ किस्में इस प्रकार हैं।

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(A)- हिमगिरि:-अदरक की यह किस्म पैदावार में प्रति हेक्टेयर 13 से 14 तन के आसपास की मिल जाती है। वही इस किस्म को पकने में 230 दिनों का समय लगता है।

(B)- हिमाचल:-अदरक के इस किस्म को तैयार होने में 210 दिनों का समय लगता है। अदरक की इस किस्म में ओलि ओरोसिल की मात्रा 10 % तक कि होती है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर में 7 से 8 तन का उत्पादन मिल जाता है।

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6- अदरक की फसल के लिए खेत की तैयारी व उर्बरक:-खेत में कन्दों की रोपाई से पहले खेत को अच्छे से तैयारी कर लिनी होती है।इसके लिए पहले खेत की एक बार गहरी जुताई करबा लें। जुते हुए खेत को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें।जिससे मिट्टी जनित कीट नष्ट हो जाएं। उपरोक्त प्रक्रिया के बाद खेत में पलेवा कर दें। पलेवा करने के 8 से 10 दिन के बाद खेत की मिट्टी ऊपर से सफेद नजर आने लगे तो समझे कि अब अंतिम जुताई का उचित समय आ गया गया या समय खेत की रोटावेटर से 1 से 2 जुताई कर देनी चाहिए। ऐसा करने से खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी।

अदरक की बोवाई कन्दों से की जाती है,इसलिए खेत में उचित मात्रा में उर्बरक कई आवश्यकता होती है। मिट्टी को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व देने के लिए मिट्टी का प्रयोगशाला में जाँच अवश्य करवा लेनी चाहिए। जिससे मिट्टी के अनुसार उर्बरक की मात्रा दी जा सके। खेत मि ने5के समय 10 से 12 ट्राली सड़ी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देनी चाहिए।इस खाद को मिट्टी में अच्छे से मिला दें। खेत की अंतिम जुताई के समय  D.A.P. की 50 किलो की मात्रा खेत में अवश्य डालें। खेत में जिंक की पूर्ति के लिए 20 किलो प्रति हेक्टेयर खेत में दें। खेत में बीज रोपाई के 40 दिन बाद सिचाई के समय 25 किलो नाइट्रोजन की मात्रा दी जानी चाहिए।

7- अदरक की खेती कब की जाती है, और लगाने का तरीका:- अदरक की बोबाई कन्दों के रूप में कई जाती है। खेत में कन्दों की रोपाई से पहले खेत में मेड बना लेनी चाहिए। खेत में मेंड़ों को तैयार करते समय दो मेंड़ों के बीच की दूरी 1 से 1.25 फिट की रखनी चाहिए, तथा बीज से बीज की दूरी 15 सेंटीमीटर व गहराई 5 सेंटीमीटर की रखनी चाहिए। अदरक के पौधे को धूप की अधिक आवश्यकता होती है, इस कारण इसकी खेती को छाया वाले स्थान पर कदापि नहीं मि जानी चाहिए।

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भारत के उत्तरी भाग में अदरक के बाजों को रोपाई के लिए अप्रैल माह को उचित समय माना जाता है। वही पहाड़ी क्षत्रों में अदरक की रोपाई मई महीने में बोई जानी चाहिए। उपरोक्त समय के अलावा इसे जून में भी लगाया जा सकता है।

8 - बोबाई के लिए कन्दों की मात्रा:-अदरक की बोबाई के ये बीज के रूप में प्रति हेक्टेयर 150000 कन्दों की आवश्यकता होती है। जो कि बजन में 25 कुंतल की आवश्यकता होती है। जो कि इसकी कीमत का अंदाज़ा लगाया जाए तो इसकी कीमत काफी ज्यादा होती है। कंदीन की कीमत अधिक होने से इसे खरीदते समय ध्यान दें कि कन्द अच्छे किस्म के होने चाहिए। कन्दों को खेत में रोपने से पहले इन्हें माइसिन या स्ट्रेप्टोसाइकिं के घोल में उपचारित किया जाना आवश्यक होता है। ऐसा करने से पौधौं में जिवाणु जनित रोगों से बचाओ हो जाता है।अदरक की खेती कैसे करें,जाने कम लागत में लाखों कमाने का तरीका

9- अदरक के खेत में सिचाई व्यवस्था:-अदरक के फसल को अधिक सिचाई की आवश्यकता नहीं होती,लेकिन इसकी शुरुआत में बीज को खेत में रोपाई के 25 दिनों के भीतर अवश्य कर देनी चाहिए। पहली सिचाई के बाद 15 से 20 दिन के अंतराल पर पौधों को पानी देते रहना चाहिए। वहीं बरसात के मौसम में सिचाई की अधिक आवश्यकता नहीं होती।

10- खरपतवार नियंत्रण:-अदरक के पौधे भूमि की सतह पर ही भोजन गृहण करते हैं। इसलिए अदरक के पौधों को खरपतवारों ने मुक्त रखना त्ती आवश्यक हो जाता है।

प्राकृतिक विधि से खरपतवार नियंत्रण:-प्राकृतिक विधि में खरपतवार नियंत्रण निराई गुड़ाई के माध्यम से किया जाता है। अदरक के खेत मि पहली निराई रोपाई से 30 दिन बाद की जानी चाहिए। अदरक के खेत को तीन से चार निराई गुड़ाई की आवश्यकता होती है। पहली गुड़ाई के बाद 20 दिन के अंतराल पर नियमित रूप करते रहना चाहिए।

11- अदरक के खेत में लगने बाले रोग व उपचार:-अन्य फसलों की भांति अदरक के खेत में भी रोगों का प्रकोप रहता है,यदि इनका समय से उपचार न मिया जाए तो फसल मि नष्ट कर देते है ,इसलिए रोगों पर नियंत्रण किया जाना अति आवश्यक हो जाता है। यहां प्रमुख रोगों के बारे में बताया जा रहा है जो इस प्रकार हैं।

(A)- पर्ण चित्ती रोग:-पर्ण चित्ती रोग का लक्षण पौधे की पत्तियों पर नजर आता है। यह रोग पौधे की पत्तियों पर आक्रमण करता है,और पत्तियों पर धब्बे नजर आने लगते हैंऔर रोग पूरे पौधे मि पत्तियों पर फैल जाता है। इस कारण के पौधा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सम्पन्न नहीं हो पाती और पौधा नष्ट होने लगता है। इस रोग की रोकथाम के लिए 2 ग्राम गन्धक की मात्रा को एक लीटर पानी में मिला कर पौधे पर स्प्रे किया जाना चाहिए।

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(B)- पीट रोग:-इस रोग की प्रारंभिक अवस्था में अदरक की निचली पत्तियों के कोर किनारे पीले रंग के दिखाई पड़ने लगते हैं,और धीरे-धीरे पूरी पट्टी पीली पड़ जाती है,लेकिन पत्तिया झाड़कर जमीन पर नहीं गिरतीं इस अवस्था में पौधा मुरझाकर सूख जाता है। इस रोग की रोकथाम के ये उचित रसायन का स्तेमाल किया जाना चाहिए।

(C)- ताना भेदक कीट:-इस किस्म का रोग पौधे पर कीट के रूप में देखने को मिलता है,जिसका लार्वा पौधे के तने को खाकर उसे पूरी तरह खतम कर देता है। इस रोग के प्रकोप से बचाने के लिए मैलाथियान की उचित मात्रा का खेत में स्प्रे किया जाना चाहिए।

12- अदरक की खुदाई करना:-अदरक की फसल को पूर्ण रूप से तैयार हकने में 7 से 8 महीने का लम्बा समय लग जाता है। जब पौधे की पत्तियां पीले रंग की दिखने लगें तब अदरक की खुदाई अवश्य कर लिनी चाहिए। कन्दों को खोदने के बाद अच्छे से पानी से धो लेना चाहिए।अदरक को खेद लेने के बाद हल्की धूप में। सुखा लिया जाता है।इसके बाद अदरक को भंडारण कर जबाजार में बेचने के लिए भेज दिया जाता है।अदरक की खेती कैसे करें,जाने कम लागत में लाखों कमाने का तरीका

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