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 तेजेन्द्र कुमार सिंह:-

सरसों की खेती कैसे करें

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सरसों की खेती कैसे करें
               सरसों की खेती कैसे करें

नमस्कार दोस्तों किसान बाबा हिंदी न्यूज़ में आप का स्वागत है इस लेख में हम सरसों की खेती कैसे करें के सम्बंध में बात करेंगे कि किसान कम लागत से अधिक पैदावार कैसे कर सकते है तो बने रहिये हमारे साथ और ब्लॉग को पूरा अवश्य पढ़ें शेयर व कमेंट अवश्य करें।

सरसों की सामान्य जानकारी 

जैसा कि भारत में सरसों की खेती हर राज्य में की जाती है सरसों की खेती तिलहन की प्रमुख फसल में गिनी जाती है उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में जहां गोरखपुर बलिया मध्य में मैनपुरी इटावा आगरा पश्चिम में अलीगढ़ हाथरस मथुरा जिले में अधिक की जाती है यदि भारत की बात की जाए तो सर्वाधिक सरसों की खेती राजस्थान में मध्य प्रदेश राज्य में की जाने वाली प्रमुख फसलों में से एक है इसकी प्रमुख विशेषता यह है कि कम लागत से अधिक मुनाफा अर्जित किया जा सकता है हार्वेस्टिंग के पश्चात इसके भूसे को भी बाजार में बेचकर कुछ कमाई की जा सकती है पशुओं को खिलाया जा सकता। इससे प्राप्त खली को भी बेच कर कुछ बचत की जा सकती है इसकी खली में 4 से 8% नत्रजन 3 प्रतिशत फास्फोरस 2% पोटाश होता है जिस कारण इसका प्रयोग धान के खेत में खाद के रूप में किया जा सकता है जिससे मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है साथ ही बचे अवशेष को रसोई ईंधन के रूप में प्रयोग कर लिया जाता है हमारे यहां सरसों के बीज में तेल की मात्रा 33% से 42% के बीच आसानी से मिल जाती है इससे प्राप्त तेल का उपयोग भोजन पकाने साबुन बनाने में आयुर्वेदिक दवा में भी प्रयोग किया जाता है।

सरसों की फसल के लिए मृदा एवं जलवायु:-

सरसों की अच्छी पैदावार के लिए इसकी फसल को शीत ऋतु में की जानी चाहिए इसकी फसल काल में तापमान 15 से 22 डिग्री के बीच होना अच्छा होता है सरसों की फसल में फूल के समय अधिक वर्षा कौहरा अधिक आद्रता नुकसानदेह साबित होता है मौसम अधिक दिनों तक खराब होने से इसकी फसल में चौका माहूँ जैसे रोगों का प्रकोप बना रहता है। सरसों की खेती कैसे करें में यह टिप्स काफी लाभदायक होगें।

मिट्टी:- सरसों की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की भी अधिक भूमिका रहती है सरसों की खेती बलुई दोमट मिट्टी अधिक मूल्यवान रहती है वही इस फसल के लिए मृदा अम्लीय नहीं होनी चाहिए।

सरसों की बुवाई के लिए उन्नत किस्में:-

(A)-वरूण (टी-59)- सरसों की यह किस्म मध्यम कद वाली होती है सरसों की इस किस्म का जीवन चक्र 120 से 130 दिनों का होता है इसकी फलियां चौड़ी व दाने मोटे होते हैं इसकी उपज सिंचित क्षेत्र में 15 से 19 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के मध्य होती है इस किस्म में तेल की मात्रा 35 से 36% तक प्राप्त की जा सकती है।

(B)-पूसा जयसवाल 902- इस किस्म के पौधे की ऊंचाई 155 से 170 सेंटीमीटर के मध्य होती है सरसों के इस किस्म में रोगों का प्रकोप कम देखने को मिलता है इसकी विशेषता यह है कि इसके पकने पर दाने नहीं झड़ते यह सुरक्षित रहती है इस किस्म की उपज 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के बीच रहती है। किसकी पकाव अवधि 135 से 142 दिन के बीच रहती है इसके तेल में बसीय अम्ल की मात्रा अन्य के मुकाबले कम होती है।इस सरसों का तेल खाने के लिए अन्य के मुकाबले अधिक लाभकारी रहता है।सारसों की खेती कैसे करें में हमने मृदाओं,जलवायु,किस्मों के बारे में जान लिया है।

सरसों की खेती कैसे करे

 (C)-अर एच 30:- सरसों की यह किस्म किसी भी प्रकार की भूमि जैसे सिंचित अथवा असिंचित दोनों प्रकार में की जा सकती है इस किस्म के पौधों की लंबाई औसतन 190 से.मी. व 4-5 शाखाओं वाली होती है। इस किस्म को लेट होने पर भी पैदावार पर प्रभाव नहीं पड़ता किस किस्म का फसल जीवन चक्र 125 -135 दिनों का होता है वही इस के दाने मोटे होते हैं इसकी पैदावार 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की प्राप्त की जा सकती है।

(D)-पूसा गोल्ड- इस किस्म के पौधे औसतन ऊंचाई तक बढ़ते हैं इसकी कलियां लंबी व दाने मोटे होते हैं यह फसल 132 से 142 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है इस किस्म की पैदावार 22 से 26 कुंतल प्रति हेक्टेयर की उपज प्राप्त की जा सकती है इसके तेल की मात्रा 35 से 37% तक की होती है।

(E)-बी.एस. एल.5(जगन्नाथ)सरसों की इस किस्म को सिंचित क्षेत्र में समय से बोवाई की जाए तो पैदावार अच्छी प्राप्त की जा सकती है।यह मध्यम ऊँचाई वाली किस्म है। इस किस्म की पकाव अवधि 127 से 135 दिनों की होती है। इसका दाना स्लेटी रंग का मोटा होता है। इस किस्म में तेल की मात्रा 40% तक कि होती है। इस किस्म की औसत पैदावार 22 से 25 कुन्तल प्रति हेक्टेयर प्राप्त की जा सकती है।

(F)-आशीर्वाद (आर के 01)- यह सरसों की किस्म देर से बुआई के लिए उपयुक्त मानी जाती है इस सरसों का पौधा 120 से 125 से.मी. तक बढ़ जाता है तेल की मात्रा अच्छी होती है जो 40% तक प्राप्त होती है फसल की अवधि 125 से 132 दिनों की होती है।

सरसों के खेत की तैयारी- सरसों का दाना काफी छोटा होने के कारण इसे बोने से पूर्व खेत की मिट्टी को रेतीला कर लेना चाहिए जिसके लिए धान की कटाई के बाद अच्छी तरह जुताई कर लेनी चाहिए इसके बाद रोटावेटर से दो से तीन जुतई अवश्य करनी चाहिए।यदि खेत में कीटों व दीमक का प्रकोप अधिक हो तो खेत के अंतिम जुदाई से पूर्व क्यूंनालफॉस 1.5% का चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर डर से मिट्टी में डालना उचित होता है। साथ ही पौधे बड़े होने पर 3 किलो एजोटोवेकटा एवं पीएबी कल्चर कि 50 किलो साड़ी को वर्कर अंतिम जुताई से पूर्व खेत में डालें।

सरसों की फसल में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग:-सरसों के खेत में 6 से 8 टन गोबर की जड़ी खाद का प्रति हेक्टेयर की दर से 2 सप्ताह पूर्व खेत में डाल देनी चाहिए एक या दो बार वर्षा के बाद या सिंचाई के बाद पूरे खेत में बिखेर कर जुताई कर छोड़ देना चाहिए।सिंचित क्षेत्र में 80 किलो नत्रजन 30 से 35 किलो फास्फोरस 380 किलो जिप्सम एवं 50 किलो गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में अवश्य डालनी चाहिए।

सिचाई प्रबंधन व्यवस्था:- सरसों की फसल को सिंचाई की कम आवश्यकता होती है सिंचाई समय पर होने से पैदावार में बढ़ोतरी देखने को मिलती है। यदि वर्षा अधिक होती है तो सरसों की फसल को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती,सिंचाई करने की दिशा में बुवाई से 40 दिनों के बाद प्रथम सिंचाई कर देनी चाहिए। दूसरी सिचाई फलियां आने पर करनी चाहिए कटाई के 15 दिन पूर्व सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।सरसों की खेती कैसे करें में अबतक बोवाई से सिचाई तक जान लिया है।

सरसों के खेत में खरपतवार नियंत्रण:- सरसों की बुवाई के बाद कल्ले निकलने पर देखें पौधे की संख्या अधिक है तो उन्हें निकाल कर 6 से 8 इंच की दूरी पर कर दें। सिंचाई करने के 10 दिन के बाद निराई अवश्य करें जिससे खरपतवार का प्रकोप ना के बराबर देखने को मिलता है यदि यदि फिर भी घास हो तो फ्लूगलोरेलिन 1 लीटर प्रति हेक्टेयर खेत में स्प्रे कर देने से खरपतवार पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।

सरसों की कटाई:- सरसों की बुवाई से 125 से 150 दिनों के भीतर देखना चाहिए कि पौधे के पत्ते नीचे गिर गए हैं व फलियों का रंग गहरा पूरा हो गया है तो इसे आस्ते आस्ते काट लेना चाहिए देरी होने पर पांच से 6% की फसल हानि उठानी पड़ सकती है ।इसे एक ही स्थान पर इकट्ठा कर देना चाहिए 5 से 6 दिन के बाद थ्रेशर की मदद से दाने अवशेष को अलग कर भंडारण किया जा सकता है।


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