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बाजरा की उन्नत खेती कैसे करें पूरी जानकारी यहाँ मिलेगी।How to do advanced cultivation of millet, complete information will be found here.

नमस्कार दोस्तों: किसान बाबा हिंदी न्यूज़ में आप का स्वागत है,दोस्तों आज के इस लेख के माध्यम से बाजरा की उन्नत खेती कैसे करें के सम्बंध में पूरी जानकारी देने वाले हैं तो बने रहिये हमारे साथ और ब्लॉग को पूरा अवस्य पढ़ें।

बाजरा_की_उन्नत_खेती_कैसे_करें?
                                  बाजार की उन्नत खेती का तरीका

बाजरा की सामान्य जानकारी:-बाजरा एक बीज अनाज की फसल है,जो भारत में प्रमुख खाद्य फसल के रूप में उपयोग की जाती है। इससे विभिन्न व्यंजन भी तैयार किये जाते हैं। बाजरा का जीव वैज्ञानिक नाम पेनिसिटम टाइफॉइडिस है। बाजरा में प्रोटीन गेंहूँ,चावल की तुलना में ज्यादा होता है।बाजरा का उपयोग चार के रूप में भी किया जाता है। इसका उपयोग मादक पेय में भी किया जाता है। 'बाजरा की उन्नत खेती कैसे करें पूरी जानकारी'

बाजरा की फसल खरीब के मौसम में उगाई जाने वाली फसल है। भारत में इसकी खेती उत्तर प्रदेश,राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात राज्यों में अधिक की जाती है।इन राज्यों के बाबजूद कई अन्य राज्यों में भी इसकी खेती की जा रही है। 
बाजरे की खेती कम महनत और कम लागत में कई जा सकती है। जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल जाता है।बाजरे की खेती कम वर्षा वाले क्षेत्रों में कई जाने वाली फसल है। इसकी खेती के लिए ज्यादा सिचाई की आवश्यकता नहीं हिती।

1-बाजरा की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी:-वैसे तो बाजरा की खेती किसी भी मिट्टी में कई जा सकती है लेकिन अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी रेतीली सबसे उत्तम रहती है। इसकी खेती के लिए जल भराव बाली भूमि उपयुक्त नहीं रहती ,वही अच्छी जल निकासी वाली भूमि का चयन करना चाहिए,खेत में पानी भर जाने से फसल में रोग लगने की सम्भावना बनी रहती है।'बाजरा की उन्नत खेती कैसे करें पूरी जानकारी'

2-बाजरा के खेती के लिए उपयुक्त जलवायु व तापमान:-बाजरा की खेती शुष्क क्षेत्रों में ज्यादा की जाती है। बाजरे को जुलाई के प्रथम सप्ताह में बोवाई शुरू हो जाती है और शीत ऋतु के आगमन से पहले इसको काट लिया जाता है।बाजरा की खेती के लिए अधिक वर्षा की आवश्यकता नहीं होती। जब पौधों 
3-बाजरा की अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्में:-फसल की अच्छी पैदावार के लिए उसके बीज के उन्नत होना अधिक मायने रखता है,यदि बीज अच्छी किस्म का होगा तो पैदावार में वृद्धि होती है और बीज प्रमाणित कम्पनियों से ही खरीदा जाना चाहिए,यहाँ कुछ किस्मों की जानकारी दी जा रही है जो निम्न प्रकार से है--

(A)-हाईब्रिड पूसा 415:-बाजरे की इस किस्म के भुट्टो की लंबाई 25 सेंटीमीटर के आसपास की होती है। बाजरे की इस किस्म की पैदावार प्रति एकड़ 12 से 15 कुन्तल की प्राप्त हो जाती है। इस किस्म को तैयार होने में 70 से 75 दिन का समय लगता है। भारत में यह किस्म उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश राज्यों में अधिक उगाई जाती है।'बाजरा की उन्नत खेती कैसे करें पूरी जानकारी'

(B)-एच एच बी 299:-बाजरा की यह किस्म एक शंकर किस्म की श्रेडी की किस्म है। बाजरे की इस किस्म को जानवरों के चारे के उद्देश्य के लिए उगाया जाता है। बाजरे की इस किस से एक एकड़ खेत से 15 कुन्तल की पैदावार आसानी से प्राप्त हो हाती है,वही जानवरों के लिए 30 कुन्तल चारा प्राप्त होता है। इस किस्म को तैयार होने में तकरीबन 80 दिन का समय लगता है।

(C)-एएचबी 1200:-बाजरा की एएचबी 1200 भी एक शंकर किस्म है, यह किस्म 75 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है। बाजरा की इस किस्म से अनाज की प्रति एकड़ पैदावार 15 से 17 कुन्तल तक कि हो जाती ह,जबकि जानवरों के लिए चार की पैदावार37 कुन्तल तक हो जाती है।

(D)-एमएच 143-बाजरा की यह किस्म पैदावार के लिहाज से अन्य किस्मों से ज्यादा देने वाली किस्म है ,इससे एक एकड़ खेत में 25 कुंतल तक कि पैदावार आसानी से मिल जाती है और जानवरों के चारे के लिए 80 कुंतल तक चारा प्राप्त होता है।इस किस्म को पकने में 75 दिनों का समय लगता है।

(E)-रेवती 2123-बाजरा की इस किस्म की अच्छी पैदावार के लिए उगाया जाता है।इस किस्म की पूर्ण रूप से पककर तैयार होने में 90 दिनों का समय लगता है,ओर इस किस्म में अन्य किस्मों से ज्यादा फुटाव देखने को मिलता है,अगर बात पैदावार की की जाए तो एक एकड़ में 15 से 16 कुन्तल तक कि उपज आसानी से मिल जाती है,और पशुओं के लिए चारा 45 कुन्तल तक प्राप्त हो जाता है।

(F)-जीएचबी 719:-बाजरा की इस किस्म अन्य किस्मों की तुलना में कुछ कम उपज प्राप्त होती है,यह किस्म चारे के लिए उत्तम किस्म मानी जाती है, किस्म का पकाव अवधि 70 दिनों की होती है और इसकी कुल उपज 10 कुन्तल प्रति एकड़ की होती है और चारा 16 कुन्तल का मिल जाता है।'बाजरा की उन्नत खेती कैसे करें पूरी जानकारी'

4-बाजरा के खेत की जुताई करना:-अन्य फसलों की भाँति बाजरा के खेत में अधिक जुताई की आवश्यकता नहीं होती,बाजरा की खेती के लिए प्रारंभ में 2 से 3 करने के बाद गोबर की सड़ी खाद खेत में डालेने के बाद एक जुताई रोटावेटर से करदें अब खेत की बोवाई करदें।

5-बाजरे की बोवाई का उचित तरीके व समय:-बाजरा की फसल वर्षा ऋतु की फसल होने के साथ इसे बोन के लिए एक वर्षा होने पर ही कि जाए तो अति उत्तम रहता है,यदि वर्षा नहीं हो रही है तो फसल को लेट नहीं करना चाहिए, इसके लिए सिचाई की सहायता से बीज खेत में बो देना चाहिए, जिससे फसल समय से की जा सके। बाजरा की फसल को बोवाई का उचित तरीके जून से जुलाई तक का समय सही रहता है।
बाजरे की बोवाई के लिए दो विधियों का ज्यादा उपयोग किया जाता है। प्रथम विधि खेत में बीज छिड़काव कर खेत में हल की सहायता से बीज को मिट्टी में दवा दिया जाता है,इसी दौरान ध्यान देना होता है कि बीज 4 सेंटीमीटर से अधिक गहराई में ना पहुंच पाए।
दुतीय विधि में बोवाई मशीन के द्वारा की जाती है,और बोवाई एक कतारों में होने से अन्य लाभ भी होते हैं,इसमें से कतार के बीच की दूरी 6 से 8 इंच की होनी चाहिए जबकि दाने से दाने के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। बाजरा 


6-बाजरा के खेत की सिचाई व्यवस्था:-बाजरा की फसल को अधिक सिचाई की आवश्यकता नहीं होती बाजरा एक वर्षाती मौसम की फसल होने से कम सिचाई करनी पड़ती है। फसल की बोवाई होने के लम्बे समय तक वर्षा न होने और फसल सूखने लगे तो सिचाई अवस्य कर देनी चाहिए,यदि फिर भी वर्षा न होने की स्थिति में समय - समय पर सिचाई करते रहना होता है।

7-बाजरा के खेत के लिए उर्बरक का उपयोग:-अन्य फसलों की तरह बाजरे की फसल को उर्बरक की अधिक जरूरत नहीं होती यदि खेत कमजोर हो तो खेत में 8 ट्राली सड़ी गोबर की खाद खेत में डालनी चाहिए इसके बाद बोवाई से पहले खेत में NPK की उचित मात्रा खेत में डालें। बाजरा के बोन के 20 दिन बाद एक एकड़ खेत में 40 किलो यूरिया का छिड़काव करें। यदि बाजरे को चारे के लिया किया गया हो तो हर कटाई के बार 20 से 25 किलो यूरिया खेत में देना चाहिए ऐसा करने से पौधे अच्छी तरह से बढ़ते रहते हैं।

8-बाजरे के खेत की निराई गुड़ाई करना:-बाजरा के खेत में अधिक निराई गुड़ाई की आवश्यकता नहीं होती फिर भी एक से दो बार निराई अवस्य करनी चाहिए, निराई करने से पौधे अच्छी तरह से वृद्धि करते हैं,इसके साथ ही पैदावार में भी वृद्धि देखने को मिलती है।जैसा कि फसल के उगने के समय खरपतवार भी निकल आते हैं इन्हें नियंत्रण करने के लिए रसायनों का स्तेमाल किया जाना चाहिए।

9-बाजरा की फसल में लगने वाले रोग:-अन्य फसलों की भांति बाजरे की फसल में कम ही रोग देखने को मिलते हैं,फिर भी कुछ रोग कीटों की बजह से पौधों में रोग लगने का खतरा बना रहता है,यहाँ कुछ प्रमुख रोगों की जानकारी दी जा रही है बो इस प्रकार से है--'बाजरा की उन्नत खेती कैसे करें पूरी जानकारी'

                        प्रमुख रोग
(A)-अर्गत रोग:बाजरे के खेत में जो रोग अधिक देखने को मिलता है वो अर्गत रोग है लेकिन नवीन किस्में आने से इसमें रोगों का प्रकोप कम देखने को मिलता है। इसको प्रकोप होने पर सिट्टे में चिपचिपा पदार्थ दिखाई देता है। यह चिपचिपा पदार्थ पशुओं व मनुष्यों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। बाजरे के इस रोग की रोकथाम के लिए खेत की अगैती बोवाई करनी चाहिएव हर बार नया व प्रमाणित बीज हिज खरीदना चाहिए ऐसा करने से इस रोग की रोकथाम सम्भव है और फसल की उपज में भी वृद्धि होती है।

(B)-बाजरे के खेत में टिड्डी प्रकोप:-बाजरा की फसल को टिड्डी काफी नुकसान पहुंचाते है ये पौधे के बड़े होने और इसका प्रकोप अधिक देखने को मिलता है।टिड्डी पौधों के मुलायम भाग को खा कर नष्ट कर देतीं हैं। जिससे फसल की 20 से 25% फसल की उपज में हानि होती है। इस कीट की रोकथाम के लिए फोरेट की उचित मात्रा का घोल बनाकर खेत में स्प्रे करना चाहिए।

(C)-मृदु रोमिल रोग:-बाजरा में यह रोग बहुत ही कम लगने वाला रोग है। यह रोग फफूंदी के कारण लगने वाला रोग है, इस रोग के पौधा पीला पड़ने लगता है,और पौधे का विकास नहीं हो पाता,पौधे के निचले भाग की पत्तियां रोगग्रस्त हो जाती हैं,इस रोग की रोकथाम के लिए बीज को खेत में बीने से पहले रिडोमिल एम जेड से उपचारित अवस्य किया जाना चाहिए।

10-बाजरा की फसल की कटाई करना:-बाजरा की फसल बोवाई के 70 से 80 दिन के बाद पककर तैयार हो जाती है,इस अवस्था में बाजरे बे दाने सूख कर कठोर हो जाते हैं इस अवस्था में फसल की कटाई आरम्भ कर देनी चाहिए।बाजरा के खेत को पहले पौधों को खेत में काटा जाता है फिर भुंटों को पौधों से अलग कर थ्रेशर की मदद से भूसा व दानों को अलग कर लिया जाता है, इस क्रिया के बाद अब फसल भण्डारण के लिए तैयार है।
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                           बाजरा की उन्नत खेती का तरीका
'बाजरा की उन्नत खेती कैसे करें पूरी जानकारी'
11-बाजरा की फसल से पैदावार व लाभ:-फसल की अच्छी उपज लेने के लिए नियमित देखरेख की आवश्यकता होती है बाजरा की फसल की सामान्य उपज एक एकड़ खेत से तकरीबन15 से 17 कुन्तल की हो जाती है,और 30 से 35 कुन्तल के लगभग पशुओं के लिए भूसा प्राप्त हो जाता है।बाजरा की बाजार भाव 1400 रुपये प्रति कुन्तल का भी मिलजाए तो 21000 से 23000 रुपये तक मुनाफा कमाया जा सकता है।

किसान बाबा हिंदी न्यूज़प्रि

य किसान भाइयों यह जानकारी केवल सूचनार्थ है,इसके लाभ-हानि का उत्तरदायित्व स्वयं आप का होगा।

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