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मक्का की खेती कैसे करें,पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें।

How to cultivate maize, read full information here

मक्का-की-खेती-कैसे-करें,
                                  मक्का की खेती कैसे करें

नमस्कार दोस्तों: किसान बाबा हिंदी न्यूज़ के एक और ब्लॉग में आप का स्वागत है। दोस्तों आज हम "मक्का की खेती कैसे करें"के बारे में जानकारी देने वाले हैं। तो बने रहिये हमारे साथ और लेख को अपने दोस्तों को शेयर अवस्य करें।

जैसा कि हम सब जानते है मक्का की फसल विश्व में गेंहूँ व धान के बाद सर्बधिक की जाने वाली फसल है।मक्का की खेती अमेरिका व ब्राजील, कनाडा में तो इसे पशुओं व सुकर के लिए विशेष रूप से की जाती है। इसकी खेती भारत में व्यावसायिक के लिए भी की जा रही है। किसान इसकी खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाये तो अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।वही मक्के की खेती कम समय व निम्न लागत में तैयार की जा सकती है।भारत में मक्के की खेती की दो फसलें की जा रहीं हैं। पहली फसल खरीब की फसल के बाद व दूसरी फसल रवी की फसल के बाद की जा रही है। मक्का का उपयोग मनुष्य आहार के रूप में भी बहुतायत किया जाता है।

1-मक्के में मौजूद पोषक तत्व:-मानव शरीर के लिहाज से मक्का पौष्टिकता का खजाना है। बायलोजिकल दृष्टि से मक्के में कई सारे तत्व पाये जाते हैं। मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।  प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन,कैरोटिनॉयड,मैग्नीशियम,फेरुलिक एसिड,बीटाकैरोटीन,कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, फाइवर और कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो मानव शरीर के विकास के लिहाज से बहुत ही जरूरी हैं।और कई बीमारियों को भी बचाते हैं।

मक्का पशुओं के चारा के रूप में भी उपयोग किया जाता है। वही अगर किसान भाई आज के वैज्ञानिक तौर तरीकों से इसकी खेती करते हैं तो कम समय में ही कहीं अधिक मुनाफा अर्जित कर सकते हैं।"मक्का।की खेती कैसे करें"में इसके अच्छे पैदावार से सम्बंधित तरीकों के बारे में चर्चा करेंगे  जो निम्न प्रकार से हैं।

2-मक्का की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु:-सामान्य तौर पर मक्के की खेती किसी भी जलवायु में आसानी से की जा सकती है। लेकिन ऊष्ण क्षेत्रों में इसकी पैदावार कहीं अधिक होती है।यह ग्रीष्म ऋतु की फसल है। मक्के के कल्ले निकलते समय दिन और रात का टेम्प्रेचर उच्च होना लाभकारी रहता है। मक्के की फसल बोवाई के समय मिट्टी में पर्याप्त नमी का होना अति आवश्यक है। कल्ले जमाव अवधि के समय तापमान 20℃ 25℃ के बीच होना चाहिए।

3-मक्का की खेती के लिए उपयुक्त भूमि:-वैसे मक्का की खेती सभी प्रकार की भूमि में कई जा सकती है।यदि इसकी खेती दोमट मिट्टी में कई जाए तो इसके पैदावार में वृद्धि देखने को मिलती । भूमि का चयन करते समय ध्यान देना चाहिए कि खेत में जल भराव न हो और सिचाई की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। मक्के की खेती के लिए सिचाई की अधिक आवस्यकता होती है।

4-मक्का की खेती के लिए भूमि की तैयारी करना:-मक्का की खेती की तैयारी करते समय प्रथम बार जुताई पलटा हल से की जानी चाहिए। इसके बाद 2 जुताई डिस्क हैरो से करदें। मिट्टी के बड़े - बड़े ढेलों को बारिख करने के लिए जुताई के बाद पाटा अवस्य चलाये जिससे मिट्टी भी समतल होगी और डेल भी टूट जायेगे।यदि खेत में पर्याप्त नमी न हो तो खेत में पलेवा कर जुताई की जानी चाहिए। 70 सेंटीमीटर की दूरी पर एक नाली बना दें जिससे सिचाई करने पर असुविधा ना हो।

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5-अच्छी पैदावार के लिए मक्का की किस्में:-मक्का की खेती की अच्छी पैदावार के लिए बीज प्रमाणित कम्पनी से खरीदना चाहिए। यहाँ कुछ किस्मों की जानकारियां दी जा रहीं हैं--

A-शीघ्र पकने वाली किस्में:-मक्का की उन्नत किस्में इस प्रकार हैं--विवेक-4, विवेक-43,जवाहर-8,प्रताप हाईब्रिड-1विवेक 17,जवाहर-12,पंत संकुल-3 ,प्रताप-3, आजाद कमल,इंद्राणी, चन्द्रमणि,विकास421 डीएचएम-109,पूस हाईब्रिड-1,प्रकाश,डीएच एम107,डीकेसी-7014,अमर,पी-368,जेके एमएक-75, मक्के की प्रमुख उन्नत किस्में हैं।

"मक्के की खेती कैसे करें"में आगे है--

B-मक्के की मध्यकालीन पकने वाली किस्में:-मक्के की मध्यम समय में पकने वाली किस्में निम्न प्रकार से हैं-बिस्को-2418, जवाहर-216,एचएम-4,इनएमएक-803, इनके-21, मक्के की प्रमुख किस्में हैं।

C-मक्के की लम्बी अवधि की किस्में:-मक्के की डरी से पकने वाली किस्मों में-सरताज,गंगा-11,बिस्को-855,डेक्कन-101,एच एम-11,डेक्कन-105,सीड टैक-2324 ,एनके-6220,-311,त्रिसूलता,वायो-9681 मक्के की प्रमुख किस्में हैं जो किसानों को अच्छी पैदावार दिला सकती है।

D-व्यावसायिक रूप में प्रयोग होने वाली किस्में:-देखा गया है कि मक्के के बने प्रोडक्ट की माँग तेजी से बड़ी है मक्के से निर्मित कई सारे खाद्य पदार्थ बाजार में खूब बिक रहे हैं ये भी मक्के से ही बनाये जाते है इसकी किस्में निम्न प्रकार से हैं-

1-स्वीटकॉर्न:-स्वीटकॉर्न प्रोडक्ट बनने वाली किस्में वीएल अम्बर,पर्ल पॉप,अम्बर पॉप प्रमुख हैं।

2-अधिक प्रोटीन वाली किस्में:-मक्के की अधिक प्रोटीन वाली किस्मों में -विवेक क्यों बीएल-9,शक्तिमान-1,2,3,एच क्यू पी एन1,2

3-पॉपकॉर्न:-पॉपकॉर्न बनाने वाली मक्का की किस्म इस प्रकार से हैं-वीएल अम्बर,पर्ल पॉप,अम्बर पॉप,किस्में प्रमुख हैं।

4-बेबीकॉर्न:-मक्के की इस किस्म में निम्न प्रकार की किस्में हैं-वीएल बेबीकॉर्न-1 वीएल-78,पी ई एच -2 प्रमुख किस्में हैं।

5-पशुओं के लिए चारा वाली किस्में:-प्रताप चरी,जे-1006,जे-1009,प्रमुख किस्में हैं।

6-मक्के।की खेती के लिए बीज की दर-जी मि मक्का एक सेंसेटिव पौधा होता है यह आपका बीज के अंकुरित क्षमता को खोने का भय बना रहता है ।इस लिहाज से किसानों को ध्यान देना चाहिए कि इसे बोन से पहले अंकुरण प्रतिशक्ता की जाँच अवस्य कर लेनी चाहिए। मक्के की बोवाई के लिए 10 किलो प्रामाणित बीज की आवश्यकता होगी। अच्छी पैदावार के लिए बीज हर बार नया ही प्रयोग करें तो अति उत्तम रहेगा। "मक्का की खेती कैसे करे"में आगे है-

7-अच्छी पैदावार के लिए बीज का उपचार करना:-मक्के के अंकुरण को रोगों से बचाने के लिए इसे उपचारित करना अति आवश्यक है।बीज उपचार के लिए पहले फफूँद नाशक रसायन का प्रयोग करें। उपचारित करने के बाद बीज को अच्छी तरह नमी रहित करें

A-बीज को फफूँद इयोग से बचाने के लिए:-खेत में बोन से पहले कार्बेंदाजीम 4 ग्राम प्रति  बीज की दर से उपचारित क्या जाना चाहिए। दवा को पानी के साथ पेस्ट बनाकर दाने पर लेप करदें।

B-बीज को कीट से बजाने के लिए उपचार:-खेत में बीज को बोन के बाद कीट से बचाने के लिए कीटनाशक से उपचार किया जा सकता है। इसके लिये थायोमेथोकजाम से उपचारित किया जा सकता है।

8-मक्का की खेती के बोवाई का उची समय:-1 मक्के की फसल की मुख्य बोवाई के लिए उपयुक्त समय अप्रैल से मई के अंत तक का समय उपयुक्त रहता है इस समयान्तराल में बोवाई अवस्य कर देनी चाहिए।

2-मक्का की बोवाई बसन्त ऋतु के लिए बोवाई का उचित समय जनवरी से फरवरी के अंतिम सप्ताह के मध्य कर देनी चाहिए।

9-मक्के की खेती के बोवाई करने का तरीका:-A-मक्के का बीज शिडड्रिल से बीने पर बीज से बीज का अंतराल को मेंटेन किया जा सकता है इससे बीज एक समान खेत में बोया जा सके।

B-अच्छी पैदावार के लिए मक्के के बीज को बोन पर भी निर्भर करता है । बीज से बीज की दूरी 18 से 20 सेंटीमीटर के अंतराल पर बोना चाहिए। पौधे से पौधे के बीच की दूरी मक्का के लिए आवश्यक है।

C-बीज को खेत में बोते वक्त ध्यान रखें कि खेत में बीज 4 से 6 सेंटीमीटर से अधिक गहराई में नहीं जाना चाहिए।

D-अच्छी पैदावार के लिए मक्के की बोवाई छिड़काव विधि से ना कर ड्रिल से करें। ऐसा करने से बीज की मात्रा को भी कम किया जा सकता है।

10-मक्के के खेत में खरपतवार का नियंत्रण करना:-मक्के की बोवाई के बाद खेत को 30 दिनों तक खरपतवारों पर रखना अति जरूरी होता है। इसके लिए निराई गुड़ाई निरन्तर की जानी चाहिए। पहली निराई बोवाई के 25 दिन बाद करें व दूसरी निराई 40 से 45 दिनों के बाद अवस्य करदें।

          मक्का की खेती

11-खरपतवार नियंत्रण के लिए रसायनों का उपयोग:-

A-रसायन का उपयोग करने के लिए नॉजल युक्त मशीन का प्रयोग करें।

B-खेत में बीज डालने के 3 से 4 दिन के अंतराल पर एट्रेजिन 50 डब्ल्यू पी या एलाक्लोर 50 ई सी एक किलो प्रति एकड़ 200 लीटर पानी से स्प्रे कर दें।

C-मक्के के खेत में हर बार एक ही रसायनों का उपयोग ना करे इससे पैदावार में गिरावट हो सकती है।

12-मक्का की खेती के लिए खाद व उर्बरक का प्रयोग करना:-

A-अच्छी पैदावार के लिए खेत की मिट्टी का परीक्षण हर 3 वर्ष के अंतराल पर अवस्य करानी चाहिए।

B-मिट्टी में उपस्थित रोगों के रोकथाम के लिए  2 किलो प्रति एकड़ 70 किलो गोबर की अच्छी खाद में मिलाकर खेत की मिट्टी में अच्छी तरह बिखेर दें।

C-मक्के के खेत में बोनी करने से पहले 8 से 10 टन प्रति एकड़ गोबर की साड़ी खाद खेत में अवस्य डालें।

D-मक्का की बोवाई अंतिम समय मे 80 किलो डीएपी,45 किलो पोटाश, 10 से 12 किलो जिंक, 12 किलो सल्फर खेत में अवस्य डालें इससे मक्के की पैदावार में बड़ेत्तरी होती है।

E-खेत में मक्के की बोवाई कर देनी के बाद पहली दफा 60 किलो यूरिया वही दूसरी बार 35 दिनों की फसल होने पर 40 किलो यूरिया एवम जब पौधे में भुट्टे आने के समय 30 किलो यूरिया देनी चाहिए।

13-मक्के के खेत के ये सिचाई प्रबंधन:-जैसा हम सब जानते हैं मक्के।के।लिए पानी की आवश्यकता अधिक होती है। सिचाई उचित समय और ना होने से पैदावार में गिरावट देखने को म सकती है। मक्के के खेत की पहली सिचाई 12 से 15 दिनों के अंतर अवस्य करदें इसके बाद 10 से 12 दिनों के अंतराल पर करते रहें। ध्यान रखें कि भुट्टा निकलते वक्त व दाना कठोर होने के समय सिचाई अवस्य करें जिससे फसल में किसी प्रकार की हानि देखने को न मिले।"मक्के की खेती कैसे करें"

14-मक्के।की फसल की हार्वेस्टिंग का समय:-समय -समय खेत मि निगरानीकरते रहे फसल पकने की अवस्था में पौधे के पत्ते सूख जाने की अवस्था में व भुट्टे को कबर किये हुए पत्ते सूख जाने की स्थिति में फसल पक कर तैयार हो जाती है। उस वक्त फसल की कटाई आरम्भ कर देनी चाहिए। मक्के के बचे हुए अवशेष को जानवरों के भोजन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।"

15-मक्के की फसल की पैदावार:-फसल चाहे जोहो पैदावार आप के खेती करने के  तौर तरीकों पर निर्भर करता है। सामान्य किस्म से की गई खेती से 22 से 25 कुन्तल व मक्के।की शंकर किस्म से इसकी पैदावार 25 से 28 कुन्तल प्रति एकड़ आराम से की जा सकती है।

उपरोक्त विवरण में बताये गये मक्के की खेती से सम्बंधित लेख केवल सूचनार्थ है इससे लाभ व हानि की जिम्मेदारी स्वयंआप  की होगी।

प्रिय दोस्तों हमे उम्मीद है आप को लेख पसन्द आया होगा तो इसे शेयर अवस्य करें और इसे ही अन्य जानकारी के लिए हमें फॉलो करें ।धन्यवाद








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