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 गन्ने की खेती कैसे करें,कम लागत और अधिक मुनाफा।

How to do improved cultivation of sugarcane, less cost and more profit.गन्ने।की व्यावसायिक खेती कैसे करें

                                  गन्ने।की व्यावसायिक खेती 
नमस्कार दोस्तों: किसान बाबा हिंदी न्यूज़ के एक और ब्लॉग में आप का स्वागत गए। आज हम गन्ने की व्यावसायिक खेती कैसे करें में आज खेती से सम्बंधित पूरी जानकारी दी जाएगी। तो बने रहिये हमारे साथ और ब्लॉग को पूरा अवस्य पढ़ें जिससे पूरी जानकारी मिल सके।

       गन्ने की सामान्य जानकारी

गन्ने की खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाने वाली फसल है,भारत में गन्ने की  फसल व्यावसायिक फसलों में से एक है। गन्ने की खेती 5000 वर्ष पहले प्रशांत क्षेत्र में हुई इसके बाद धीरे -धीरे सोलेमान द्वप में फैल गई। इसके बाद फिलीपींस, इंडोनेशिया के बाद भारत में प्रारंभ की गई। कई वर्षों के बाद बेनेजुएला,कोलम्बिया, ब्राजील व अन्य देशों में प्रारंभ हुई।गन्ने की खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जा रही है इसकी खेती से किसान खुशहाल हो रहे हैं

        गन्ने से चीनी की शुरुआत

1-गन्ने की खेती की प्रमुख परेशानियां

A-किसान परम्परागत तरीके से खेती करते आ रहे हैं,वैज्ञानिक विधियों का उपयोग न करना।

B-देखा गया है कि किसान गन्ने में लगने वाले रोगों से परेशान रहते हैं उन्हें रोग मुक्त बीज की उपलब्धता का ना होना।

C-गन्ने की।फसल में वैज्ञानिक तरीके रसायन का प्रयोग ना करना जिससे फसल में रोग कीट का प्रकोप अधिक रहने की सम्भावना बनी रहती है।

D-एक ही भूखंड में लगातार कई वर्षों तक गन्ने की खेती करना जिससे मिट्टी में उर्बरकता शक्ति कम हो जाती है ।

D-देखा गया है कि किसान गन्ने की फसल लगाते समय कतारों की दूरी को सिकोड़ देते हैं जिससे पैदावार व आय में कमी देखने।को मिलती है जिससे लागत अधिक और पैदावार घटती है

E-भारत के किसानों के पास पर्याप्त तकनीक की कमी है जिससे किसानों के पास उचित संसाधनों का अभाव है सिचाई की व्यवस्था जल भराव प्रमुख कारण है।

2-किसान क्यों चुने गन्ने की खेती:-

A-परम्परागत फसल चक्र से खेती करते आना जिससे मुनाफा का निम्न स्तर जैसे-गेंहूँ के।बाद धान की खेती,सोयाबीन के बाद गेंहूँ की खेती ,मक्का के बाद गेंहूँ की खेती।इससे बाद गन्ने की खेती के अपेछा कम लाभ प्राप्त होना।

B-किसान गन्ने।की खेती से अधिक मुनाफा अर्जित कर सकते है।गन्ना एक बहुबवर्षीय  फसल है।गन्ने की खेती यदि अच्छी देखरेख में की जाए तो एक हेक्टेयर में औसतन एक लाख से सवा लाख तक कि इनकम की जा सकती है।

C-वही गन्ने के साथ सह फसली फसल को करके किसान 2 से 3 माह में शुरुआती लागत मूल्य को प्राप्त किया जा सकता है।

D-गन्ने की फसल को अन्य फसलोंन से तुलना नहीं कि जा सकती।गन्ने की फसल बहु श्रमिक फसल है इससे कई और किसानों को रोजगार प्राप्त होता है।

3-गन्ने की फसल के लिए भूमि का चयन:-वैसे तो गन्ने की खेती किसी भी भूमि में कई जा सकती है। काली मिट्टी, चिकनी मिट्टी  इसकी खेती के लिए अधिक उपयोगी है। गन्ने की खेती के लिए पानी का उचित प्रबंधन और पानी का उचित निकास का होना अति आवश्यक है।

4-गन्ने की बोवाई के समय उपयुक्त मौसम:-गन्ने की खेती की बोवाई साल में दो बार की जाती है।

A-गन्ने की शीतकालीन बोवाई:-"गन्ने की खेती कैसे करेन"मेंआज इसकी बोवाई का उचित समय अक्टूबर से नवम्बर के मध्य अवस्य कर देनी चाहिए। इसकी फसल दक माह से बारह माह में तैयार हो जाती है।

B-गन्ने की बसन्त ऋतु की बोवाई:-इस समयकाल में गन्ने की खेती फरबरी माह से लेकर मार्च तक अवस्य कर देनी चाहिए।इस समयावधियों की फसल जल्दी तैयार हो जाती है।

नॉट-अक्टूबर में बोई गई गन्ने की फसल व फरवरी में बोई जाने वाली फसल से अधिक पैदावार मिलती है। किसान भाइयों की अक्टूबर माह की फसल को अधिक महत्व देना चाहिए।

5-गन्ने की फसल के लिए खेत की तैयारी करना:-किसान भाई जिस खत में गन्ने की खेती करना चाहते हैं उस खेत को अप्रेल-मई में एक गहरी जुताई अवस्य कर । इस जुताई के बाद दो बार ट्रेक्टर से कल्टीवेटर के द्वारा जुताई की जानी चाहिए।खेत में पाटा लगाकर खरपतवार रहित कर मिट्टी को एकदम रेतीला कर देना चाहिए। इस कार्य को करने के बाद खेत में 20 सेंटीमीटर से 25 सेंटीमीटर की नाली बना दे जिससे सिचाई के वक्त असुविधा न हो। "गन्ने की खेती कैसे करें"उचित जानकारी दी जा रही है।

6-उचित बीज का चयन करना बरतें सावधानी:-गन्ने की खेती करते वक्त स्वस्थ बीजों का ही चयन करना उचित रहता है इसके अभाव में फसल में रोग व कीट लगने की संभावना अधिक रहती है। गन्ने की बोवाई करते समय ध्यान रखें कि पूरा तना के स्थान पर 3 व 4 आँख के टुकडों में ही बिवाई करना अधिक उचित रहता है। सम्भव हो तो दो आँख के टुकड़े का उपयोग करें

आप जिस किस्म के गन्ने को उपयोग कर रहे हैं वह 7 से 8 माह से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए। बीज रोग रहित किस्म का ही होना चाहिए।

अपने खेत में उपस्थित बोझ को अधिक समय तक उपयोग न करें 3 से 4 वर्ष में एक बार अवस्य बदल देना चाहिए जिससे पैदावार में कमी ना आने पाये।"गन्ने की खेती कैसे करें"

7-गन्ने की उन्नत किस्में के प्रकार:-किसान भाई गन्ने की पहल की अच्छी पैदावार लेने की लिए उचित किस्मों के ही चयन करना चाहिए। उन्नत किस्मों से खेती करने से फसल में 200 % अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

A-उष्णकटिबंधीय(38 से 55 इंच वर्षा वाले।क्षेत्रों के लिए उचित किस्में)-इस प्रकार है-को-6030,को-0218,को-94008,को-0403,को-2000 -15,को-91010,को-90004,सीओए-88081(84आ125),सीओए-03081(97 आ 85) सीओए-99082 (93 आ 145),सीओसी (इस सी)-22,सीओसी (एससी)-23,सीओ एस एन के-05104, सीओवी-940,सीओवीसी-2003-165प्रमुख किस्में है।

B-उपोष्णकटिबंधीय(औसत वर्षा) वाले क्षेत्रों के लिए-किसान भाई औसत वर्षा वाले क्षेत्रों में निम्न किस्मों की चयन कर सकते हैं जो निम्न प्रकार से हैं-को-018, 0124, 0232, 0237, 0233, 05009, 98014, 0238, 05011,सीओबीएलइन-90006, 9102, 02173, 9103, 9104, 94063 सीओएच-110, सीओएच-119, सीओएच-128, सीओपी-9702, कोलख 94184, कोपन्त-90222, कोपन्त-03220, कोपन्त-96219, कोपन्त-99214, कोशा-96275, कोशा-08278, प्रमुख गन्ने की किस्में हैं इस किस्मों से बोवाई कर किसान अधिक पैदावार के सकते हैं। "गन्ने की खेती कैसे करें"

वैज्ञानिकों के परीक्षणों के आधार पर नवीनतम किस्मो से इसकी गुणवत्ता व शर्करा में काफी सुधार हुआ है।

गन्ने की खेती कैसे करें

गन्ने की खेती कैसे करें

8-गन्ने की बोवाई के लिए बीज की मात्रा:-किसान गन्ने की बोवाई करते वक्त ध्यान उसकी बीज पर केंद्रीत करना चाहिए वैसे तो गन्ने की बीज की मात्रा गन्ने की मोटाई पर निर्भर करती है। लेकिन सामान्य किस्म में बीज की मात्रा इस प्रकार से है-'गन्ने की खेती कैसे करें"में गन्ने की मात्रा 80 से 100 सीएम की दूरी पर बोवाई की अवस्था  30 से 40 कुन्तल  10 आंख मीटरकी दर से प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है।

जिस गन्ने में एक आंख हो उस स्थित  50000 से 55000 प्रति एकड़ की आवश्यकता होगी।

दो आँख के गन्ने।के टुकड़े 25000 से 27000 के टुकड़ों की जरूरत होगी।

वही तीन आँख के टुकड़े 15000 17000 के बीच गन्ने की टुकड़ों की आवश्यकता होगी।

8-गन्ने को खेत में बोन का तरीका:- गन्ने की खेत में बोन के लिए लाइनों से लाइनों की दूरी और गन्ने की मोटाई पर निर्भर करता है। गन्ने को 20 सेंटीमीटर गहरी बनी नालियें में गिरा देना होता है। गन्ने की बोवाई आँख से आँख मिलाकर की जानी चाहिए। गन्ने के टुकड़े पर हल्की मिट्टी की परत दल देनी होती है ध्यान दें कि मिट्टी अधिक ना डली गयी हो इससे गन्ने के कल्ले प्रभावित हो सकते है और इन्हें इकलने में भी समय लग सकता है।

9-बीज रोग मुक्त करने के लिए किसान बीज का उपचार अवस्य करें:-किसान भाई बीज को रोग व कीटाणु मुक्त करने के लिए कार्बेंडाजिम की 2 ग्राम प्रति लिटर पानी क्लोरोपायरीफास 4 मिलीलीटर प्रति हेक्टेय की दर से इसका घोल बनाकर 20 मिनट तक गन्ने का उपचार कर दें।"गन्ने की खेती कैसे करें" में आगे हैं-

10-गन्ने के खेत के लिए खाद एवं उर्बरक का प्रयोग:-जैसा कि ऊपर बताया गया है कि गन्ने की फसल 12 महीने की लम्बी अवधि की फसल है,इस कारण इसकी फसल के।लिए खाद उर्बरक की भी अधिक आवश्यकता होती है। इसके लिए खेत की अंतिम जुताई से पूर्व 5 से 6 ट्रॉली गोबर की सड़ी खाद खेत में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए।

इसके बाद गन्ने के खेत में अन्य उर्बरक के लिए 250 किलोग्राम नत्रजन 65 किलो सुफरफस्पेट,70 किलो  गन्ने के खेत में प्रति हेक्टेयर की दर से अवस्य प्रयोग करना चाहिए।

नत्रजन का उपयोग करना

A- नवंबर में बोई जाने वाली फसल के।लिए:-शीतकालीन गन्ने की फसल के लिए यूरिया की कुल मात्रा को 3 समान भागों में बांट टेनी चाहिए।तत्पश्चात 40 दिन 110 दिन 160 दिनों के अंतराल पर प्रयोग किया जाना चाहिए।

B-फरवरी में बोई जाने वाली फसल के लिए:-फरवरी में बोई जाने वाली गन्ने की फसल के लिए यूरिया की मात्रा मो 3 समान भागों में बांट दें। बांटने के बाद 40,100,130 दोनों में प्रयोग करें। इसके साथ ही नीम की खाली, जिंक का भी उचित प्रयोग किया जाना चाहिए।

गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए ध्यान देने योग्य जानकारी:-ऊपर बतायीं गई उर्बरक व खाद का उपयोग खेत की मिटी की गुणवत्ता पर निर्भर के आधार पर ही किया जाना चाहिए।

गन्ने की फसल में मिट्टी चढ़ाने के समय 100 किलो बर्मिकम्पोस्ट खाद का उपयोग किया जाना चाहिए।

12-गन्ने के खेत में सिचाई प्रबंधन:-सिचाई हर फसल के लिए महत्वपूर्ण होती है वही गन्ने के खेत के लिए सिचाई भारी या चिकनी मिट्टी के लिए  ग्रीष्मकालीन के समय10 से 12 दिनों के अंदर सिचाई अवस्य कर देनी चाहिए।वही ब्लूई व दोमट मिट्टी होने पर सिचाई5 से 6 के अंतराल पर अवस्य करदें।इससे बाद उचित व समय समय पर सिचाई अवस्य करते रहना चाहिए। वही अधिक वर्षा होने की स्थिति में पानी को खेत से बाहर निकाल देना उचित रहता है। 

13:-गन्ने के खेत में खरपतवार नियंत्रण करना:-गन्ने का कल्ला आधी देर से आते है और खरपतवार पहले निकलने लगते हैं इन्हें नियंत्रण किया जाना चाहिए इससे लिए खेत में निराई कर दें।

आम तैर पर समय समय पर निराई करते रहें जिससे खरपतवार न उग सकें।

गन्ने के खेत को बोवाई करने के तुरंत बाद खरपतवार नियंत्रण के एट्राजीन 2.25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर में 700 लीटर पानी मिलाकर घोल तैयार । बोवाई के 7 दिनों के भीतर खेत में स्प्रे अवस्य कर दें।

गन्ने की खड़ी ओहसल में बड़े पत्तों वाले खरपतवार के लिए 2,4दी सोडियम साल्ट 2.5 किलो प्रति हेक्टेयर में 700 लीटर घोल को खेत में स्प्रे कर देने से खरपतवारों का नियंत्रण किया जा सकता है।

उपरोक्त बताये गए रासायनिक दवाओं का उपयोग करने से पहले खेत में नमी है होना अति आवश्यक है इसके लिए सिचाई के 10 दिनों के बाद हो उपयोग किया जाना चाहिए।

गन्ने की खेती कैसे करें

          गन्ने की खेती कैसे करें

13-गन्ने की फसल को खेत में गिरने से बचाने के तरीके:-

A-देखा गया है कि तेज हवा,तूफान  में गन्ने की फसल खेत में गिर जाती हेंइस्से बचने के लिए लाइनों को पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर रखनी चाहिए।

B-गन्ने को खेत में गिरने से रोकने के लिए खेत में समय समय पर मिट्टी को चढ़ाते रहे इससे गन्ने की जड़े मजबूती से जमी रहतीं है और फसल गिरने से बच जाती है।

C-गन्ने को गिरने से बचाने के लिए जब फसल 1.5 मीटरकी हो जाये तो गन्ने की बंधाई अवस्य कर देनी चाहिए ऐसा देखा गया है कि गन्ने को बांधने से फसल गिरने से बच जाती है आप भी इस तकनीक का उपयोग कर सकते हैं।

14-किट नियंत्रण प्रबंधन:-तना छेतक किट:-यह किट पट्टी के द्वारा तने तक पहुंचते हैं और गन्ने को नुकशान पहुंचाते हैं।

नियंत्रण:-प्रकोप बढ़ने पर फोरेट 10 जी 15 से 20 प्रति हेक्टेयर उपयोग किया जा सकता है।

पपड़ी किट की रोकथाम:-0.1 % क्लोरोपायरिफास 25 ई सी घोल में गन्ने को 20 मिनट तक उपचारित करें।

15 गन्ने के खेत की कटाई:-गन्ने मि फसल की कटाई उस समय करें  गलूकोज की मात्रा अधिक हो जाये। गलूकोज की यह मात्रा कुछ ही समय के लिए ही होती है और गर्मी बढ़ने पर घटने लगती है। इस स्थिति में गुण व शक्कर की पैदावार एवरेज नहीं मिल पाता और गन्ने का बजन भी घटता है।शक्कर की गुवक्ता अधिक होने पर इसकी कटाई आरम्भ कर देनी चाहिए।

16 पैदावार:-उपरोक्त बताये गए किस्मो से एवम वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर करने से 800 से 1200 कुन्तल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त की जा सकती है।


उपरोक्त बताई गई खेती केवल सूचनार्थ है इसका लाभ व हानि की किसान स्वम जुम्मेदार होंगे।


प्रिय किसान भाइयों हमें उम्मीद है कि आप को यह लेख पसन्द आया होगा तो इसे शेयर व कमेंट करना न भूलें ।  धन्यवाद






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