तेजेन्द्र कुमार सिंह:
अरबी की खेती कैसे करें?सही जानकारी यहाँ मिलेगी।
How to Cultivate Arbi? Correct information will be found here.
how to cultivate arabica
प्रिय दोस्तों किसान बाबा हिंदी न्यूज़ में आप का स्वागत है,दोस्तों यदि आप अरबी,(घुइयां)की खेती करना चाहते हैं तो आप सही साइट पर आए हैं मह आप को "अरबी की खेती कैसे करें?"की सही जानकारी देंगे जो आप को कम लागत में और अधिक मुनाफा मिलने वाला है। तो पूरी जानकारी के लिए इस ब्लॉग को पूरा अवश्य पढ़ें,यदि आप का कोई सवाल है,तो हमें कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं।
1 - अरबी (घुइयां)की सामान्य जानकारी:-अरबी की फसल एक सब्जी की फसल के रूप में उगाई जाने बाली फसल है। इसके पौधे की जड़ से निकलने बाली अरबी जड़ (कन्द)के रूप में होती है। इस कर्ण अरबी को कन्द बाली फसल की शेणी में पहचान मिली। इसकी खेती सम्पूर्ण भारत में आसानी की की जा रही है। अरबी के पौधे ग्रीष्म ऋतु व बरसात में अच्छे से विकास करते हैं। इसका उपयोग सब्जी के अलावा औषधि के रूप में भी की जाती है। इसका सेवन करने से अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में इसकी सेवन हानिकारक हो सकता है।
2 - पौधों की सामान्य जानकारी:-इसके पौधों ने निकलने वाले पत्ते का आकार गोलाकार में और काफी बड़ा होता है। इस पत्ते से भी सब्जी के रूप में उपयोग में लाया जाता है। इस फसल मो अन्तरवर्ती फसल के रूप में उगाया जा सकता है। इस कारण एक बार में दी फसलों की उपज प्राप कर सकते हैं। यदि आप घुइयां की खेती कैसे करें "अरबी की खेती कैसे करें "में पूरी जानकारी दी जा रही है,ध्यान से समझें और लाभ उठायें।
3 - अरबी की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी:-अरबी की खेती किसी भी मिट्टी में जी जा सकती है। इसकी अच्छी उपज लेने के लिए उपयुक्त जल निकासी बाली भूमि होनी आवश्यक है। अरबी मि खेती बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। अरबी की खेती के लिए मिट्टी का ph मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। उष्ण व समशीतोष्ण जलवायु उत्तम होती है।
अरबी के पौधे बारिस व ग्रीष्म ऋतु में अच्छे से विकासशील रहते हैं, इसके अलावा अधिक गर्म व शीत ऋतु इसके पौधों के विकास के लिए हानिकारक होती है। इसकी फसल के लिए सर्दियों के मौसम में गिरने बाल पाला पौधे के विकास को रोक देता है। अरबी के पौधे अधिकतम 35 से 36℃ व न्यूनतम 20 आए 22℃तापमान पर ही अच्छे से विकास करते हैं। इससे अधिक व कम तापमान इसकी अच्छी पैदावार के ये अच्छा नहीं होता है।
4 - अरबी की उन्नत किस्में:-
(ए)- मुक्ताकेशी:- अरबी की यह किस्म अगेती किस्म के लिए उगाई जाती है। यह किस्म कम समय में तैयार होने वाली किस्म है। इस किस्म के पौधे खेत में रोपाई के 160 से 165 दिनों के बाद फसल खोदाई के ये तैयार हो जाती है। इस किस्म के पौधे आकर में सामान्य होते हैं। अरबी के इस किस्म के पौधों से एक हेक्टेयर खेत में 170 से 180 कुंतल तक कि पैदावार आसानी से प्राप की जा सकती है।"अरबी की खेती कैसे करें"
how to cultivate arabica(बी) - व्हाइट गौरैया:- अरबी की यह किस्म पैदावार के लिहाज से उत्तम मानी जाती है । यह किस्म खेत में बोबाई से तकरीबन 160 से 170 दिनों के भीतर पककर तैयार हो जाती है। इसके पौधों से निकलने वाले डंठल व कन्द खुजली से सिरों से मुक्त होते हैं। इस किस्म की पैदावार प्रति हेक्टेयर में 170 से 180 कुंतल की मिल जाती है।
(सी) - नरेन्द्र अरबी:- अरबी की यह किस्म खेत में रोपाई के 160 से 170 दिनों बाद पैदावार के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म के पौधे का सम्पूर्ण भाग खाने योग्य होता है। यह पौधा हरे रंग का दिखाई पड़ता है। अरबी की यह किस्म प्रति हेक्टेयर 150 से 155 कुन्तल की आसानी से मिल जाती है। इस किस्म का पौधा आकार में सामान्य होता है।
(डी) - पंचमुखी:- अरबी की यह पंचमुखी किस्म खेत में बोबाई के 180 से 190 दिनों बाद खोदाई करने के लिए तैयार हो जाती है। प्रत्येक पौधे में पाँच कण्डिकाये होती है, इसीलिए इस किस्म के पौधे मो पंचमुखी नाम से जाना जाता है। यह किस्म अधिक पैदावार के लिहाज से उगाई जाने वाली किस्म है। इस किस्म की प्रति हेक्टेयर पैदावार 220 से 230 कुंतल की मिल जाती है। पैदावार के हिसाब से से एक अच्छी किस्म मानी जाती है।
(ई) - आजाद अरबी-1:-अरबी की यह किस्म जल्द उत्पादन के लिए उगाई जाने वाली किस्म है। जो खेत में बोज रोपाई के 110 से 120 दिनों के भीतर पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म एक हेक्टेयर में 250 कुंतल की मिल जाती है।अरबी की यह किस्म अधिक पैदावार के लिए भी उगाई जाने वाली किस्म है।
(एफ) - पंजाब अरबी-1:-अरबी की इस किस्म को 2009 में तैयार किया गया था। इस किस्म के पौधे का आकार बड़ा होता है। इस किस्म के पौधे खेत में बीज रोपाई के बाद 170 से 180 दिनों के बाद पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म के कन्दों का रंग सफेद दिखाई पड़ता है। इस किस्म की पैदावार 250 से 280 कुन्तल की प्राप्त हो जाती है।
इस किस्मों के अलावा अरबी की अन्य किस्में विलासपुर, सातमुखी,लोकल तेलिया,नदिया,काका कंचु, फैजाबादी,बंसी, लाधरा, श्री पल्लवी प्रमुख किस्में हैं।
(5) - अरबी के खेत की तैयारी:-अरबी की खेती के लिए भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसके ये मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की जुताई की जानी चाहिए। इससे खेत में मौजूद खरपतवार मिट्टी में दबने से नष्ट हो सकें। जुते हुए खेत को 8 से से 10 दिन के लिए खुला छोड़ना चाहिए, जिससेमिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट धूप से नष्ट हो सकें। इस क्रिया के बाद खेत में गोबर की सड़ी खाद की 8 से 10 ट्राली व कुछ भाग केचुआ खाद मिलाकर खेत में अवश्य डालें। खाद डालने के बाद खेत की 2 बार अच्छे से जुताई कर मिट्टी में मिला देनी चाहिए।"अरबी की खेती कैसे करें"
इसके बाद जो किसान उर्बरक का उपयोग करना चाहते है कर सकते हैं इसके लिए 2 से 3 जुताई करने के बाद रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए। जुताई के समय 40 से 45 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो पोटाश, 60 किलो फास्फोरस की मात्रा खेत में बिखेर दें। खाद डालने के बाद खेत में पलेवा कर देना चाहिए। जब खेत की ऊपरी मिट्टी सफेद दिखने लगे तब रोटावेटर से 2 बार जुताई कर दें, इसके बाद ओआधों के विकास के समय 30 से 35 किलो यूरिया का बुरकाव करें। इस तरीके से अरबी की खेती करने से पैदावार में इजाफा देखने मो मिलेगा।
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(6) - बीज की मात्रा व उपचार विधि:- अरबी के बीज के रूप में इसके कन्दों का उपयोग किया जाता है। जिन्हें फसल की खुदाई के समय तैयार किया जाता है। एक हेक्टेयर खेत की बोवाई के लिए 15 से 18 कुन्तल कन्दों की आवश्यकता होती है। इसकी मात्रा कन्द के आकार व बोन के तरीके पर निर्भर करती है। बीज को खेत में रोपाई से पहले उपचारित किया जाना चाहिए,इसके लिए रिडोमिल एम जेड- 72 दावा की उचित मात्रा का उपयोग किया जाना चाहिए।
(7) - बीज रोपाई विधि व समय:- अरबी की रोपाई दो तरीके से की जाती है। 1- समतल भूमि में क्यारियां बनाकर करना। 2- नालीमेंड बनाकर। इन दोनों ही तरीकों में रोपाई के दौरान इसके कन्दों को 5 cm की गहराई में रोपाई की जानी चाहिए,ताकि कन्दों का अंकुरण आसानी से हो सके।
(ए) - क्यारियों के रूप में रोपाई:- अरबी की क्यारियों में रोपाई के लिए उचित दूरी पर क्यारियाँ तैयार कर लेनी चाहिए। इसके बाद कन्दों को क्यारियों में उचित दूरी पर रिपाई करे दें। दो नालीयों के। मध्य कम से कम 1.5 फुट की दूरी रखनी चाहिए।
(बी) - नालीमेंड से रोपाई:- अरबी को नालीमेंड से रोपाई के दौरान खेत में 1 से 1.5 फ़ीट की दूरी रखते हुए नालियों को बना ले। इसके बाद नालियों में कन्दों को डालकर मिट्टी से ढक दिया जाता है।
(8) - अरबी के खेत की सिंचाई व्यवस्था:-अरबी के खेत को अधिक सिचाई की आवश्यकता फरवरी माह में उगाई जाने वाली फसल में पड़ती है। इस समयावधि में फसल बरसात कर मौसम में तैयार हो जाती है। मौसम शुष्क होने के करण पौधे को नमी की अधिक आवस्यकता होती है। इसलिए इस समय पौधे को शुरुआती समय में खेत में 5 से 6 दिन बाल या खेत में नमी की मात्रा के निसार पानी देते रहना चाहिए।
बरसात के मौसम में इसकी खेती करने पर सिचाई की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती। यदि बारिस समय पर ना होने पर सिचाई की जरूरत पड़ती है, इस समय पौधे की आवश्यकता के अनुसार सिचाई करते रहना चाहिए। बारिस का मौसम बीतने के बाद फसल को 20 से 25 दिनों में सिचाई करते रहना चाहिए। "अरबी की खेती कैसे करें"
(9) - खरपतवार नियंत्रण:- अरबी के खेत में खरपतवार नियंत्रण प्राकृतिक व रासायनिक दोनों तरीकों से किया जाता है। वही अरबी के खेत में प्राकृतिक संसाधनों से खरपतवार नियंत्रण किया जाना चाहिए। इसके लिए मल्चिंग विधि का स्तेमाल किया जाना चाहिए। अरबी के बीज रिपाई वाली पंक्तियों को छोड़कर बाकी स्थान पर सूखी या पुआल बिछा कर मल्चिंग कर देनी चाहिए,ऐसा करने से खेत में खरपतवार पनप नहीं पाते।
मल्चिंग विछाने के बाद जब पौधा 25 से 20 दिन का होने के बाद खेत से मल्चिंग को हटा देना चाहिए। इसके बाद पौधे की हल्की गुड़ाई कर उनकी जड़ों पर मिट्टी लगा देनी चाहिए। अरबी के खेत को 2 गुड़ाई अवश्य कर देनी चाहिए, ओर प्रत्येक गुड़ाई के बाद जड़ों पर मिट्टी लगा देनी चाहिए,ईसा करने से पौधे का आकार अच्छा हो जाता है।
वही रासायनिक तरीके से खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए खेत में बीज रिपाई के बाद खेत में पेंडिमेथालीन कई उचित मात्रा पानी मिलाकर खेत में स्प्रे कर देनी चाहिए।
diseased arabica leaves(10) - अरबी की फसल में लगने बाले रोग व उपचार:-अन्य फसलों की भांति अरबी की फसल में भी रोग देखने को मिलते हैं,जो इसके पौधों व पैदावार दोनों को प्रभावित करते हैं। किसान भाई उचीस समय पर उपचार करने से अपनी फसल को रोग ग्रस्त होने से बचा सकते हैं।
(ए) -पत्ती झुलसा रोग:- अरबी के खेत में यह पट्टी झुलसा रोग मौसम परिवर्तन के समय देखने को मिलता है। इस रोग से ग्रस्त अरबी के पौधे की पत्तियों पर पीले धब्बे पड़ने लगते हैं, इस रोग का अधिक प्रकोप होने पर पौधे की पत्तियां सूख कर झड़ने लगतीं हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए इसके पौधे पर एम-45 दावा की चित मात्रा से खेत में स्प्रे कर देना चाहिए।
(बी) - पत्ती अंगमारी:- अरबी के खेत में पत्ती अंगमारी रोग मुख्य रूप में पाए जाने वाला रोग है, जो प्रमुखतः फफूंदी की बजह से फैलता है। इस रोग से ग्रस्त पौधे की पत्तियां पर छोटे-छोटे सफेद धब्बे पड़ने लगते हैं। इस रोग का प्रकोप अधिक बढ़ने पर पौधा काला पड़कर नष्ट होने लगता है। रोग ग्रस्त पौधे का विकास रुक जाता है। इस रोग की रोकथाम के लिए पौधे पर रिडोमिल एम जेड 72 दावा का उचित मात्रा में उपयोग कर खेत में स्प्रे कर देना चाहिए।"अरबी की खेती कैसे करें"
(सी) - जड़ सड़न रोग:-यह रोग फफूंदी की बजह से फैलता है। इ रोग का प्रमुख कर्ण खेत में लगातार नामी व मौसम में आद्रता की बजह से होता है। अरबी के खेत में यह रोग कभी भी देखने मो मिल सकता है। इस रोग से ग्रस्त पौधा मुरझा कर सूखने लगता है। इस रोग मि रोकथाम के ये खेत में जल भराव ना होने दें। भण्डारण के वक्त कन्दों को रोग से बचाने के लिए मरक्यूरिक क्लोराइड की उचित मात्रा से उन्हें उपचारी किया जाना चाहिए।
(डी) - तम्बाकू की इल्ली:- यह रोग कीट के लार्वा की बजह से फैलता है। इस रोग का लार्वा तंबाकू की पत्तियां खाकर नुकसान पहुंचाता है। रोग के करण यह पौधा पत्तियो रहित दिखाई पड़ने लगता है। पौधा अपना भोजन नहीं बना पाता और पौधा नष्ट होने लगता है। इस रोग की रोकथाम के लिए खेत में प्रोफेनोफास की उचित मात्रा से खेत में स्प्रे कर दें।
(ई) - पर्ण चित्ती:;अरबी के पौधे में पर्ण चित्ती रोग का प्रभाव पौधे की पतीयों पर देखने को मिलता है।इस रोग से ग्रस्त पौधे की पत्तियों पर गहरे बैंगनी रंग के धब्बे पड़ने लगते हैं। कुछ समय बाद ये धब्बे मिल कर एक हो जाते हैं। रोग का प्रकोप बढ़ने पर पत्तियां काली पड़ जातीं हैं, और पौधे का विकास अवरुद्ध हो जाता है। इस रोग की रोकथाम के मैंकोजेब दावा की उचित मात्रा का खेत में स्प्रे अवश्य करें।"अरबी की खेती कैसे करें"
11- अरबी फसल की खुदाई व सफाई करना:- अरबी की सभी किस्मों की फसल बोबाई से 160 से 170 दिनों में पककर तैयार हो जाती है,जिस समय पौधों की पत्तियां पीली दिखाई पड़ने लगे तक इन्हें खेत से खुदाई अवश्य कर लेनी चाहिए। खुदाई के समय ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि कन्द को नुकसान ना पहुंचे। खुदाई करने के बाद इसे पानी में धो कर साफ कर लेनी चाहिए।
उपरोक्त प्रक्रिया के बाद इसकी छटाई की जाती है। छटाई के दौरान मृत व मादा कन्दों को अलग किया जाता है। इसके अलावा इसके हरे पत्ते को भी बेचकर लाभ कमाया जा सकता है।
12-अरबी के खेत से पैदावार और लाभ:-अरबी की सभी किस्मों से औसत पैदावार एक हेक्टेयर खेत से 180 से 190 कुंतल तक पायी जाती है। वही इसके कन्दों के बाजार भाव 15 से 18 रुपये प्रति किलो तक आसानी से मिल जाता है। इस प्रकार एक हेक्टेयर खेत से 3 से 35 लाख तक का मुनाफा कमाया जा सकता है
"अरबी की खेती कैसे करें"
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