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 Tejendra kumar singh

अश्वगंधा की खेती कैसे करें,यहाँ समझे मोटी कमाई का पूरा तरीका।

How to cultivate Ashwagandha, understand here the full way of earning big.

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                   How to Cultivate Ashwagandha

प्रिय किसान भाइयों kisan baba hindi news में आप का एक बार फिर स्वागत है,आज हम 'अश्वगंधा की खेती कैसे करें' की पूरी जानकारी देने वाले हैं। प्रिय किसान भाई इस लेख को पूरा अवश्य पढ़ें और शेयर भी कर दें। kisan baba hindi news

सामान्य जानकारी

किसान भाइयों अश्वगंधा की खेती औषधीय फसल के रूप में की जाने बाली एक फसल है। इसका पौधा झाड़ीनुमा व बहुवर्षीय होता है। जिससे निकलने बाले छाल, फल, बीज अनेकों प्रकार के इलाज में प्रयोग की जाने बाली औषधीय है। अश्वगंधा के पौधे को सभी जड़ी बूटियों में सबसे ऊपर गिनती की जाती है। चिंता व तनाव की समस्या से छुटकारा पाने के लिए अश्वगंधा सबसे लाभकारी होता है। यह हमारे शरीर की ताकत को भी इंक्रिज करता है। वही इसका सेवन महिलाओं के लिए भी अति लाभकारी सिद्ध होता है। इसी कारण से विश्व के बाजारों में अश्वगंधा की काफी माँग बनी रहती है।

भारत में अश्वगंधा की खेती:- भारत में इसकी खेती मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, जम्मू कश्मीर, केरल,आदि राज्यों में की जाती है। अश्वगंधा का सम्पूर्ण पौधा उपयोग में लाया जाता है। इसलिए किसान इसकी खेती से बम्पर कमाई कर सकते हैं। यदि आप एक किसान हैं और खेती से मोटी कमाई करना चाहते हैं तो इस लेख में आप को 'अश्वगंधा की खेती कैसे करें, 'अश्वगंधा से कमाई कैसे करे' में पूरी जानकारी दी जा रही है। kisan baba hindi news

अश्वगंधा की खेती कैसे करें

1- अश्वगंधा की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी, जलवायु और तापमान:-अश्वगंधा की खेती के लिए ऐसी भूमि की आवश्यकता होती है जिसमें जल भराव कदापि ना हो अश्वगंधा की खेती के लिए यह अच्छा नहीं होता। इसकी अच्छी पैदावार के लिए खेत की मिट्टी लाल व बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। अश्वगंधा की खेती के लिए जल का ph मान 7 से 8 के बीच होना चाहिए।

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इसकी खेती के लिए शीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। वारिश के मौसम में इसके पौधों को 500 से 700 मिलीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है। अश्वगंधा के पौधे के विकास के लिए मिट्टी में नमी का होना आवश्यक है। इसके पौधों की ग्रोथ के लिए 20 से 28℃ तापमान की आवश्यकता होती है। 'अश्वगंधा की खेती कैसे करें' 

2- अश्वगंधा की तासीर:- अश्वगंधा की तासीर गर्म होती है। इस कारण इसका सेवन करते समय बहुत ही कम मात्रा में उपयोग किया जाना चाहिए,इसके अलावा अश्वगंधा को अन्य जड़ी-बूटियों के साथ उपयोग करना चाहिए। ताकि शरीर में कोई इफेक्ट ना हो। इसका सेवन दूध के साथ सर्दी के मौसम में किया जाता है,तो लाभ अनेक देखने को मिलते हैं।

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                          How to Cultivate Ashwagandha

अश्वगंधा खाने के बेमिसाल फायदे:-

(A)-रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाये:-

अश्वगंधा के नियमित सेवन से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट,गुणों की मात्रा पाई जाती है,जो हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता मो बढ़ाती है। इसके सेवन से कई गम्भीर बीमारियों से बचा जा सकता है।

(बी)- कैंसर में फायदेमंद:-अश्वगंधा में कैंसर रोधी गुण पाये जाते हैं। अश्वगंधा शरीर में कैंसर शेल्स के विस्तार को रोकता है,और इस 

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(सी)- तनाव व डिफ्रेशन में लाभदायक

अश्वगंधा का सेवन मानसिक तनाव व डिप्रेशन की समस्या को तेजी के साथ दूर करने में हमारी मदद करता है। शरीर में होने वाले तनाव के कारण ब्लड का सुगर लेवल कम होने के कारण टाइप 1 सुगर 

(डी)- पुरुषों के लिए अति गुणकारी

अश्वगंधा का नियमित सेवन पुरुषों की शारिरिक समस्याओं के लिए अधिक गुणकारी माना जाता है। यह पुरुषों में पुरूषत्व का निर्माण कर बांझपन की समस्या का निदान करता है। पुरुषों का शरीर बलवान बनता है। पुरुषों को इसका नियमित सेवन दूध के साथ किया जाना चाहिए।

3- अश्वगंधा की उन्नत किस्में:-

भारत में अश्वगंधा की कई उन्नत किस्में मौजूद हैं। अच्छे किस्म का अश्वगंधा अधिक मुनाफा दिला सकता है,यहाँ कुछ अश्वगंधा की किस्मों की जानकारी दी जा रही है,जो निम्न प्रकार से है -    'अश्वगंधा की खेती कैसे करें' 

A- डब्लू.स. 10,134 अश्वगंधा की यह किस्म मंदसौर अनुसंधान संस्थान के माध्यम से तैयार किया गया है। यह किस्म 160 से 165 दिनों में पककर पिया हो जाती है। जिसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 8 से 9 कुन्तल की मिल जाती है।

(B)- जवाहर अश्वगंधा-20:- अश्वगंधा की यह एक उन्नत किस्मों में गिनती की जाती है। इस किस्म को तैयार होने में 155 से 160 दिनों का समय लग जाता है। इस किस्म का उत्पादन 7 से 8 कुन्तल का तैयार माल मिल जाता है।

4- अश्वगंधा के खेत की तैयारी करना:- अश्वगंधा को खेत में बोने से पहले उसके खेत को अच्छी तरह से खेत को तैयार कर लेना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई कर देनी चाहिए। ऐसा करने से खेत में पिछले फसल की अवशेष नष्ट हो को सर्वप्रथम पहली जुताई के समय खेत में गोबर की साड़ी खाद की 8 से 10 ट्राली प्रति हेक्टेयर खेत में डालनी चाहिए। इस क्रिया के बाद खेत की 2 से 3 जुताई कर देनी चाहिए। जुताई करने से खेत में गोबर की खाद अच्छे से मिल सके। 'अश्वगंधा की खेती कैसे करें' 

5- अश्वगंधा की फसल रोपाई का उचित तरीका व समय:- अश्वगंधा किफ़स्ल की रोपाई बीज के द्वारा की जाती है बीज रोपाई के लिए छिड़काव व कतार दो विधियों से की जाती है। कतार विधि से रोपाई करने के लिए खेत में 20 से 22 सेंटीमीटर की उचित दूरी पर कतारों को तैयार कर लिया जाता है। अब इन कतारों में 5 से 6 सेमी की दूरी पर बीजों को लगाना हिता है। इन विधि के अलावा छिड़काव विधि से करना चाहते हैं तो इसके लिए आप को समतल भूमि में बीजों को छिड़काव करना होता है।

बीजों को खेत में बोन के बाद पाटा लगा कर छोड़ दिया जाता है। ऐसा करने से बीज भूमि में दब जाता है। एक हेक्टेयर खेत में लगभग 8 से 10 माह पुराना व 8 से 10 किलो बीज की आवश्यकता होती है। खेत में बीज बोने से पहले इन बीजों को डायथेन एम. की उचित मात्रा से उपचारित अवश्य किया जाना चाहिए। अश्वगंधा की खेती की बोवाई के लिए जुलाई से अगस्त के महीना उचित रहता है।

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                              How to Cultivate Ashwagandha

6- अश्वगंधा फसल की सिचाई व्यवस्था:-खरीब के मौसम में कई गई अश्वग कि फसल को सिचाई की आवश्यकता कम ही होती है। परन्तु रवी के मौसम में उगाई जाने वाली अश्वगंधा की फसल को 4 से 5 बार सिचाई की आवश्यकता होती है। अश्वगंधा की फसल की पहली सिचाई खेत में पौधा रोपाई से 10 दिन के भीतर करनी होती है,इसके लिए ड्राप विधि का उपयोग करने से फसल की पैदावार अच्छी होती है।

7- अश्वगंधा के खेत में खरपतवार नियंत्रण:- अश्वगंधा की फसल में खरपतवारों को अधिक नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती। प्राकृतिक विधि द्वारा खरपतवार नियंत्रण के लिए खेत की निराई-गुड़ाई की जानी चाहिए। अश्वगंधा की फसल की पहली निराई बोवाई से 25 दीन के बाद की जानी चाहिए। यदि किसान भाई खरपतवार नियंत्रण रासायनिक विधि से करना चाहते हैं तो इसके लिए बीज फसल खेत में रोपने से पहले ग्लाइफोसेट 1.5 किलो ट्राइफ़्लूरेसिल 2 किलो दावा का छिड़काव खेत में करें।

8- अश्वगंधा की फसल को रोगों से बचाव:- अश्वगंधा की खेती में रोग व कीटों के कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता, फिर भी मौसम के अनुसार कभी कभार माहूं का प्रकोप देखने को मिलता है।इसके अलावा झुलसा रोग भी होने की संभावना रहती है,फिर भी ऐसी स्थिति होने पर मोनोक्रोटोफास का दायेयन एम-45 3 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 25 दिन के भीतर स्प्रे करें। यदि प्रकोप अधिक होने पर 20 दिन के भीतर पुनः स्प्रे करनी चाहिए।

9- अश्वगंधा की फसल खुदाई व पैदावार:- अश्वगंधा की फसल को तैयार होने में औसतन 160 से 170 दिनों का समय लग जाता है। पौधे की पत्तियां पककर पीली होकर जमीन पर गिरने लगतीं है,इस अवस्था में इसकी जड़ों को खोद कर निकाल लिनी होती हैं। जड़ों मि खुदाई करने से पहले खेत में हल्की सिचाई की जानी चाहिए,ऐसा करने से जड़ों मि खुदाई करने में आसानी होती है। पानी लगाने के दो से तीन दिन के बाद जड़ों को उखाड़ लें।

अश्वगंधा की खेती कैसे करें' 

पौधों को उखाड़ने के बाद छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें, अब इन टुकड़ों को धूप में अच्छे से सूखा लें अब फलों से बीज को अलग कर लें। एक हेक्टेयर खेत से 7 से 8 कुन्तल सूखी जडों का उत्पादन प्राप्त हो जाता है,तथा 45 से 50 किलो बीज की प्राप्ती हो जाती है

अश्वगंधा का बाजारी भाव 1000 से 3000 रु प्रति किलो के उच्च कीमत में आसानी से बिक जाता।

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