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नमस्कार दोस्तों:किसान बाबा हिंदी न्यूज़ के एक और ब्लॉग में आप का स्वागत है। इस ब्लॉग के माध्यम से नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जीवन पर आधारित रोचक तथ्यों पर प्रकाश डालेंगे। तो आप इस ब्लॉग को पूरा अवस्य पढ़ें बहुत ही रोचक है और आप को इन महापुरुषों से प्रेरणा मिलेगी।

सुभाष-चन्द्र-बोस-के-जीवन-परिचय

                                          नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

               जीवन परिचय:-

वास्तविक नाम- सुभाष चन्द्र बोस।            उपनाम-           नेताजी।                          व्यवसाय-        - राजनीतिज्ञ,सैन्य नेता,                                      -भारतीय स्वतंत्रता सेनानी,                                  -सिविल सेवा अधिकारी

पार्टी/दाल-   भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस                           (1921-1939)

राजरीतिक यात्रा-1923 में अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने,

●1923 में बंगाल कांग्रेस सचिव बने।

●1927 में कांग्रेस के महासचिव बने।

●1930 में कलकत्ता के मेयर बने।

प्रसिद्ध कथन:- ●'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा'

●जय हिंद,दिल्ली चलो।

शारीरिक संरचना:

लम्बाई- 179 cm.

              1.79 m.

              5"9'

भार-   75 किलो

व्यक्तिगत जीवन:- 

जन्म तिथि     :- 23 जनवरी सन 1897

मृत्यु तिथि :-18 अगस्त 1948

जन्म स्थान:- कटक,ओडिशा,भारत

राशि :-        कुम्भ

राष्ट्रीयता :-   भारतीय

शैक्षिक योग्यता:- स्नातक

परिवार सदस्य: पिता-जानकीनाथ बॉस।                                   माता-प्रभावती देवी                                          भाई-शारद चन्द बॉस,                                        बहन- 6

धर्म  :-            हिन्दू                              

जाति। :-         कायस्थ।                        

शौक। :-     पुस्तकें पढ़ना, किताबें लिखना  

विवाद  :-●जैसा कि 1947 से पहले भारत में अंग्रेजों का शासन हुअ करता था।सुभाष चन्द्र बोस हमेशा से ही स्वराज का समर्थन करते थे। वही महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस दो अलग अलग विचारधाराओ के थे। महात्मा गांधी अहिंसा के पथ पर आजादी का समर्थन करते थे,जबकि सुभाष चन्द्र जी हिंसा से देश को आजादी दिलाने चहाते थे। इसी के चलते सन 1939 में भारतीय कांग्रेस का विभाजन हुआ। इसी के साथ 22 जून 1939 को सुभाष जी ने 'फोरवर्ड ब्लॉक' का गठन किया।

●नेता जी ने आजाद हिंद नाम से एक बैंक की स्थापना की। यह आजाद हिंद फौज के संचालन के लिए एवं बैंक की शाखाओं के उपयोग करने के  स्थापित किया गया था।

                                   नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

वैवाहिक जीवन:- विवाहित।                    

पत्नी      :-       एमिली शेंकिल।                

बच्चे       :-       बेटा -  कोई नहीं                              :-        बेटी-अनिता बॉस

शिक्षा  :- सुभाष चन्द्र बोस जी की स्कूली शिक्षा उडीसा में ही हुई।उसके बाद कोलकाता के प्रेजीडेंसी कॉलेज में हुई।बाद में भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए इंग्लैंड गए। अंगेजी शासनकाल में भारतीयों के लिए सिविल सर्विसेज में जाना बहुत कठिन था। लेकिन सुभाष चन्द्र बोस ने चौथा स्थान प्राप्त किया।

● सन 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय योजना आयोग का गठन किया। सन 1939 में सुभाष चन्द्र बोस पुनः एक गांधीवादी प्रतिद्वंदी को हराकर विजई हुए। उनके अध्यक्ष चुने जाने पर गांधीजी कहा कि सुभाष चन्द्र बोस की जीत हमारी हार है। गांधीजी के विरोध के चलते "विद्रोही अध्यक्ष" ने त्यागपत्र देने की आवश्यकता महसूस की गांधी ज के लगातार विरोध को देखते हुए सुभाष चंद्र जी ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी।

● इसी बीच दुतीय विश्व युद्ध चल रहा था। बोस का मानना था कि अंगेजों के दुश्मनों से मिलकर आजादी प्राप्त की जा सकती है। उनके विचारों को देखते हुए सरकार ने कोलकाता में नजरबंद कर दिया वह अपने भतीजे शिशर कुमार बॉस की सहायता से वहां से भागने में सफल रहे।

● सुभाष चन्द्र बोस राजनीति में प्रवेश करने से पहले विश्व की यात्राएं की। वे 1933 से 1936 तक तीन साल तक योरोप में ही रहे। जैसा कि उस समय जर्मनी में नाजीवाद व फासीवाद का दुश्मन इंग्लैण्ड था। पहले विश्व युद्ध के बाद जर्मनी पर एक तरफा समझौते हुए थे। इसका इंग्लैण्ड से लेना चाहते थे बोस जी फँप गए और इस कैच को लपक लिया। सुभाष जी को जर्मनी के शासक में दोस्त नजर आ रहा था। 

●सन 1943 में नेता जी जर्मनी छोड़ दक्षिण पूर्व एशिया पहुँच गए(जापान)। वहां वे मोहन सिंह से मिले, जो उस समय आजाद हिंद फौज के प्रमुख थे। सुभाष चन्द्र बोस मोहन सिंह व रास बिहारी बॉस जी के साथ मिलकर आजाद हिंद फौज का पुनर्गठन किया। नेताजी ने आजाद हिंद फौज नाम की पार्टी भी बनाई सुभाष चन्द्र जी ने अपनी आजाद हिंद फौज को नारा दिया "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा" जिसने देश में क्रांति ला दी।

नेता जी का इंग्लैंड दौरे:- नेता जी इंग्लैंड में लिवर पार्टी के प्रमुख व व्रिटिश राजनायकों से मिल कर जाना उन्होंने भारत की आजादी के विषय में बातचीत की। नेता जी ने बहुत हद तक अंग्रेजों को मना भी लिया। 

● नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु:-द्वितीय विश्वयुद्ध के समय सन 1945 ई. में जापान जाते वक्त विमान ताईवान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। लेकिन सुभाष चन्द्र बोस की मृत शरीर नहीं मिला। कुछ समय के बाद मृत घोसित कर दिया गया। भारत सरकार ने इस घटना पर एक कमेठी का गठन किया लेकिन उन्ही मृत्यु की पुष्टी नहीं कि जा सकी। इसके बाद सन 1956 में शाह नवाज कमेठी बनी यह कमेठी नेताजी की मौत का रहस्य सुलझा ने जापान गई। लेकिन वहाँ की सरकार में उनकी कोई मदद नहीं की। बाद में एक और 2006 में मुखर्जी कमेटी गठित की गई। इस कमेठी ने भारतीय संसद में एक बयान दिया। जिसमें कहा गया कि सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु 1945 के प्लेन दुर्घटना में नहीं हुई और जो अन्थियाँ रेंकोजी मंदिर में रखी हैं वी नेताजी की नहीं हैं। लेकिन भारत सरकार ने इसे खारिज कर दिया। एक शख्स ने इस बात का दावा भी किया कि उस वक्त कोई प्लेन दुर्घटना ग्रस्त नहीं हुआ था। नेताजी की मौत का रहस्य आज भी बना हुआ है।

●सुभाष चन्द्र बोस से सम्बंधित रोचज तथ्य

सन 1942 में नेताजी हिटलर के पास गए भारत की आजादी का प्रस्ताव रखा लेकिन हिटलर को भारत की आजदी में कोई रुचि नहीं होने से कोई जबाव नहीं दिया।

●सुभाष चन्द्र बोस क्रांतिकारी नेता भगत सिंह को बचाना चाहते इसलिए उन्होंने गांधीजी को अपना दिया हुआ वचन तोड़ने को  लेकि नेताजी इस काम में नाकाम रहे।

●नेताजी ने सिविल सेवा परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया ,लेकिन देश की आजादी के लिए उन्होंने इस नौकरी को ही छोड़ दिया।

नेताजी जलियांवाला बाग की घटना ने अधिक विचलित  किया और भारत की आजादी की लड़ाई में सामिल हो गए।

●वर्ष 1943 में ही आजाद हिंद बैंक ने 10 रु के सिक्के से लेकर 1 लाख रु के नोट जारी किए  जिसमें नेताजी की तसवीर भी छापी गयी थी।

● नेताजी ने ही महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था

● सुभाष चन्द्र बोस जी को 1921 से 1941 के बीच 11 बार देश के अलग-अलग कैदखाने में कैद किया गया।





   

 

           

          




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